वर्ल्ड कप 2019 : खिलाड़ियों का चोटिल होना भारत को पड़ न जाए महंगा

आईसीसी विश्व कप की तैयारियों में लगी भारतीय टीम के लिए चोटिल खिलाड़ियों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच से पहले अभ्यास मैच के दौरान आर अश्विन के भी चोटिल होने की खबर आई। इससे पहले भी कई भारतीय खिलाड़ी चोट से उबरकर टीम में वापसी की राह देख रहे हैं। इसमें विकेट कीपर बल्लेबाज ऋद्धिमान साहा, केदार जाधव, भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह मुख्य हैं। ये खिलाड़ी टीम के लिए रीढ़ की हड्डी की तरह हैं। इंग्लैंड दौरे पर इनका खेलना इसलीए भी महत्त्वपूर्ण था क्योंकि यहीं 2019 में क्रिकेट का महासमर खेला जाना है। वे यहां खेलकर खुद को यहां के हालात के मुताबिक तैयार कर सकते थे। हालांकि टीम प्रबंधन ने कहा है कि भुवनेश्वर और बुमराह जल्द ही टीम में वापसी कर लेंगे। इसके बाद भी जो ऋद्धिमान साहा के साथ हुआ उसे देखते हुए इन दोनों के पूरी तरह फिट होने का अंदाजा लगाना बेईमानी ही है। प्रबंधन की जल्दबाजी ने साहा के चोट को नजरअंदाज किया और आज इसका भुगतान पूरी टीम को करना पड़ रहा है। व्यस्त कार्यक्रम ने खेल बिगाड़ा दरअसल, बीते कुछ सालों से लगातार मैच खेलने की वजह से भारतीय खिलाड़ियों को जितना आराम चाहिए वो मुमकिन नहीं हो पा रहा। इस विषय पर खुद भारतीय कप्तान विराट कोहली भी आवाज बुलंद कर चुके हैं। इंडियन प्रीमियर लीग समाप्त होने के तुरंत बाद ही भारतीय टीम को इंग्लैंड दौरे पर रवाना किया गया। यहां उन्हें टी-20, एक दिवसीय मैचों के साथ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज खेलनी है। इसके बाद एशिया कप में भी भाग लेना है। साल के अंत में भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया से भी खेलना है। अब इस व्यस्त कार्यक्रम के दौरान खिलाड़ियों को आराम का मौका ही नहीं मिलता जिससे उनपर चोटिल होने का खतरा मंडराने लगता है। टीम प्रबंधन शायद इस विषय पर विचार करने को तैयार ही नहीं है। इस वजह से खिलाड़ी चोटिल हो रहे हैं। प्रबंधन का ध्यान सिर्फ फिटनेस पाने पर है। उन्हें इस बात की इल्म तक नहीं कि कोई खिलाड़ी फिट तभी तक रहेगा जब तक उसे उचित आराम मिले। एक ही खिलाड़ी पर निर्भरता कोई भी टीम चाहती है कि वह हर टूर्नामेंट में जीत दर्ज करे। यह सही भी है। जब कोई काम किया जाए और उसमें सफलता नहीं मिले तो क्या फायदा लेकिन सफलता किसी को दांव पर लगाकर मिले यह सही नहीं है। भारतीय टीम की स्थिति कुछ ऐसी ही है। यहां जीत के लिए एक ही खिलाड़ी को झोंका जा रहा है। हमारे पास खिलाड़ियों का एक बड़ा जत्था है लेकिन टीम में जगह सिर्फ उन्हीं को दिया जा रहा है जो अव्वल हैं। मैच चाहे किसी भी टीम के खिलाफ हो खिलाड़ी टॉप के ही शामिल होंगे। इससे भारत को दो नुकसान हो रहे हैं। एक तो जसप्रीत बमुराह, भुवनेश्वर कुमार और विराट कोहली जैसे उम्दा खिलाड़ियों को आराम के लिए बिलकुल ही समय नहीं मिल रहा तो दूसरी तरफ हमारे बेंच स्ट्रेंथ में कमी आ रही है। आईपीएल में भले ही हमारे युवा कमाल कर रहे हैं लेकिन वे अंतरराष्ट्रीय मैचों में फुस्स हो जा रहे हैं। युवा खिलाड़ियों पर भी यह दबाव होता है कि अगर वो दो या तीन मैचों में कुछ नहीं कर पाए तो पुराने खिलाड़ी उनकी जगह लेने को तैयार बैठे हैं। कुछ दिन पहले एक संवाददाता सम्मेलन में शारदुल ठाकुर भी इस मसले को उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि किसी खिलाड़ी के लिए एक मैच में खेल कर लय पाना बहुत मुश्किल है। अब प्रबंधन को इस पर विचार करने की सख्त जरूरत है। उन्हें एक ही खिलाड़ी को बार-बार मौके देने की जगह कुछ नए या पुराने गेंदबाज जो कभी चोट के कारण टीम से बाहर हैं, उनके बारे में सोचना चाहिए। इससे उनकी एक खिलाड़ी पर निर्भरता भी खत्म होगी और हमरा बेंच स्ट्रेंथ भी काफी मजबूत हो जाएगा। साहा जैसी गलती न दोहराए प्रबंधन विकेट कीपर बल्लेबाज ऋद्धिमान साहा के कंधे का ऑपरेशन होना है। कुछ समय पहले मांसपेशियों में खिंचाव के कारण साहा को आराम दिया गया था। आईपीएल से कुछ समय पहले उन्हें फिट घोषित किया गया। आईपीएल के दौरान उन्हें कंधे में फिर चोट लगी और यह इतनी बढ़ गई कि अब उनके कंधे का ऑपरेशन होगा। कुल मिलाकर उनकी चोट की स्थिति को लेकर रहस्य बना हुआ है। इस चोट के बाद से एनसीए का रवैया भी सवाल के घेरे में आ गया। टीम प्रबंधन को इस पूरे मसले से सबक लेने की जरूरत है। उन्हें सिर्फ खिलाड़ियों को मैच में नहीं झोंकना चाहिए बल्कि उनके सेहत का भी ख्याल रखना चाहिए। टीम के दिग्गज खिलाड़ी हैं चोटिल चोटिल खिलाड़ियों की सूची में पहला नाम उस बल्लेबाज का है जो एक भरोसेमंद मध्यक्रम खिलाड़ी के रूप में टीम में जगह बना रहा था। जिस ढहते मध्यक्रम की चिंता टीम प्रबंधन और कप्तान को खाए जा रही है उसे दूर करने में वह पूरी तरह सक्षम था। जी हां, मैं बात कर रहा हूं केदार जाधव की। न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू मैदान पर पिछले साल हुए मैच के दौरान जाधव को चोट लगी थी। इसके बाद उन्हें फिट घोषित किया गया और दक्षिण अफ्रीका दौरे पर टीम मे शामिल किया गया। यहां भी उन्हें दिक्कत हुई और एक बार फिर उन्हें रिहैबिलिएशन के लिए भेजा गया। आईपीएल से ठीक पहले केदार को फिट बताया गया लेकिन शुरुआती मैच के बाद फिर पुराने चोट ने उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया। अंत में डॉक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी और अभी उन्हें ठीक होने और मैदान पर लौटने में दो से तीन महीने लग सकते हैं। इस सूची में एक और नाम है जिसे पिछले कुछ सालों से टीम लगातार खेला रही है। वह भारतीय टीम की गेंदबाजी के आगुआ हैं। उनका नाम भुवनेश्वर कुमार है। इसे प्रबंधन की लापरवाही कहें या पैसे के लिए कुछ भी कर गुजरने की लालसा, आईपीएल के इस सत्र में भुवी लगातार पीठ की दर्द से परेशान रहे। आईपीएल में उनके फ्रेंचाइजी ने उन्हें पांच मैचों में आराम दिया था लेकिन इसके बाद उन्हें इंग्लैंड दौरे के लिए टीम में शामिल कर लिया गया। हालांकि उन्होंने टीम में चयन के लिए जरूरी टेस्ट भी पास कर लिया लेकिन फिर दर्द ने उन्हें पवेलियन की राह दिखा दी। इस मसले में सिर्फ खिलाड़ियों को ही लापरवाह नहीं कहा जा सकता, चयनकर्ता भी उतने ही दोषी हैं। चोटिल खिलाड़ियों में एक नाम जसप्रीत बुमराह का भी है। चयनकर्ता उन्हें भी जीत के लिए अलादीन का चिराग मान बैठे हैं। चाहे कोई भी मैच हो चयनकर्ता उन्हें टीम का हिस्सा बनाने पर आमादा हैं। यह 2019 में होने वाले विश्व कप के लिहाज से न तो टीम और न ही बुमराह के लिए फायदेमंद हैं।

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