इस वर्ष का इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) खतरे में पड़ गया है। 10वें संस्करण के शुरू होने में कुछ समय ही बचा है और उसके शुरू नहीं होने की पूरी संभावना है क्योंकि राज्य संघों (एसोसिएशनों) को बोर्ड द्वारा मैच आयोजित कराने की प्रक्रिया शुरू करने का भुगतान प्राप्त नहीं हुआ है। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ बंगाल (कैब) के सूत्र ने स्पोर्ट्सकीड़ा को बताया, 'प्रत्येक वर्ष इस समय तक हमें भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से अग्रिम भुगतान (एडवांस पेमेंट) मिल जाता था। मगर इस बार अब तक ऐसा नहीं हुआ है। हमें टूर्नामेंट की तैयारी शुरू करने के लिए पैसों की जरुरत है। अगर एडवांस पेमेंट नहीं मिलता है तो इस तरह के भव्य टूर्नामेंट को अपने दम पर आयोजित करना हमारे लिए मुश्किल होगा।' मैच आयोजित कराने वाली राज्य एसोसिएशन को प्रत्येक आईपीएल मैच के लिए 60 रुपए दिए जाते हैं। इनमें से 30 लाख रुपए बोर्ड द्वारा जबकि बची हुई रकम फ्रैंचाइज़ी भेजती है। यह पैसा खेल, अभ्यास, फ्लडलाइट्स, मैदान की तैयारी, ग्राउंड स्टाफ आदि पर खर्च की जाती है। पिछले कुछ वर्षों में एसोसिएशनों को बोर्ड से एडवांस पेमेंट मिल जाता था और बाकी बची रकम टूर्नामेंट के दौरान या बाद में भेज दी जाती थी। मगर इस बार हालात ऐसे नहीं हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष कहा था कि बीसीसीआई का फंड राज्य संघों को तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक वह लोढ़ा समिति सुधारों को मान नहीं लेती। इसकी वजह से न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट, वन-डे और टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच भी खतरें में पड़ गए थे क्योंकि राज्य संघों ने फैसला सुना दिया था कि वह इतना बड़ा खर्चा नहीं उठा सकते। सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से राहत देते हुए कहा कि मैच आयोजित कराने के लिए राज्य एसोसिएशनों का भुगतान पूरा करना चाहिए। कर्नाटक राज्य संघ कह चुका है कि बीसीसीआई से पहले ही उनका बहुत सारा पैसा बकाया है और आईपीएल का आयोजन बिना ग्रांट के नामुमकिन है। हाल ही में आईपीएल समिति और राज्य एसोसिएशनों के सदस्यों की एक बैठक मुंबई में हुई थी जहां सभी ने कहा कि बिना फंड के आईपीएल मैच आयोजित कराना मुश्किल है। अब हमें इंतज़ार करना होगा कि बीसीसीआई तुरंत प्रभाव से फंड देकर मैच आयोजित कराने की तैयारी शुरू करती है या नही। अगर ऐसा होता है तो ही इस वर्ष आईपीएल होते दिखेगा।