इस सीजन में दिल्ली ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंकाने का काम किया। आठवें सीजन में खराब प्रदर्शन के बाद टीम ने इस बार टीम का कप्तान ज़हीर खान को और राहुल द्रविड़ को मेंटर बनाया। इन दोनों ने मिलकर टीम के प्रदर्शन को एक नई ऊंचाई दी। केकेआर से अपना पहला मैच हारने के बाद टीम ने अपने अगले तीनों मैच में जीत हासिल की। जिसमें उन्होंने मुंबई इंडियंस और आरसीबी जैसी मजबूत टीम को हराया। अपने 7 मैचों में से 5 मैच में जीत दर्ज करने के बाद दिल्ली ख़िताब की प्रबल दावेदार मानी जाने लगी थी। लेकिन टूर्नामेंट के दुसरे दौर में टीम का प्रदर्शन काफी खराब रहा और वह प्लेऑफ़ में भी जगह नहीं बना पायी। लेकिन दिल्ली इससे पहले 3 सीजन में नीचे की चार टीमों में रहती थी। लेकिन इस बार टीम ने अच्छी खासी उड़ान भरी। ड्रॉबैक: टीम ने कुछ ज्यादा ही प्रयोग किए दिल्ली की टीम ने 14 मैचों में 35 खिलाड़ियों को मौका दिया। उन्होंने पूरे सीजन में लगातार एकादश में बदलाव किए। राहुल द्रविड़ और उनके साथी सपोर्ट स्टाफ ने बहुत सारे युवा खिलाड़ियों को टीम में मौका दिया। हालांकि ये आश्चर्य करने वाला नहीं था। टीम ने राजस्थान रॉयल्स की तरह बदलाव किए। करुण नायर, संजू सैमसन और ऋषभ पन्त कई मौकों पर खुद को साबित भी किया। लेकिन श्रेयस अय्यर जैसे बेहतरीन घरेलू क्रिकेटर ने 6 मैचों में से 3 में एक भी रन नहीं बनाये। हालाँकि नायर ने हैदराबाद के खिलाफ करो या मरो मुकाबले में बेहतरीन प्रदर्शन किया। लेकिन विराट कोहली की टीम ने अगले मैच में उन्हें हराकर बाहर का रास्ता दिखा दिया। उनके इरादे से विपक्षी टीमें हैरान रहीं लेकिन परिणाम उनके पक्ष में नहीं आये टीम में बड़े अंतर्राष्ट्रीय नाम जेपी डुमिनी, क्विंटन डीकॉक, क्रिस मोरिस और कार्लोस ब्रेथवेट थे। दक्षिण अफ्रीका के आक्रामक विकेटकीपर बल्लेबाज़ ने कई मैचों में अच्छा खेल दिखाया। जिसमें आरसीबी के 193 रन का पीछा करते हुए डीकाक ने 108 रन की मैच विनिंग पारी खेली। यद्यपि अन्य दो बल्लेबाजों ने अपना प्रभाव नहीं छोड़ा, जबकि मोरिस ने खुद को बतौर आलराउंडर साबित किया। इस तेज गेंदबाज़ ने 7 के इकॉनमी रेट से 13 विकेट और 178.89 के स्ट्राइक रेट से 195 रन बनाये। मोरिस ने 32 गेंदों में 82 रन की पारी खेली थी, हालाँकि टीम हार गयी थी। टीम के इस बार अच्छे प्रदर्शन कप्तान का प्रदर्शन और लीडरशिप का भी काफी अहम योगदान था। वहीं लेग स्पिनर अमित मिश्रा ने इस सीजन में 13 विकेट लिए, जिसमें उनका बेहतरीन प्रदर्शन 11 रन देकर 4 विकेट था। जो उन्होंने 7 मई को पंजाब के खिलाफ लिए था। दिल्ली के लिए इस बार सबसे बुरी बात ये रही कि ज्यादातर उनके खिलाड़ी खराब फॉर्म से जूझते रहे। अनुभवी ब्रेथवेट, नाथन कुल्टर नाइल, सैम बिलिंग्स और इमरान ताहिर जैसे खिलाड़ियों को को उन्हें खुद को साबित करने के लिए मौके भी कम मिले। इनसे कहीं ज्यादा मौका अनकैप खिलाड़ियों को मिला। इसके आलावा पवन नेगी, मयंक अग्रवाल और शाहबाज़ नदीम को मौके मिले लेकिन वह खुद को साबित नहीं कर पाए। नेगी को नीलामी में 8.2 करोड़ रुपये में दिल्ली ने खरीदा था। लेकिन उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में 8 मैचों में मात्र 57 रन बनाये। आगे की रूपरेखा अनुभवी स्टाफ और अच्छे युवा खिलाड़ियों के दम पर दिल्ली अगले साल अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। फ्रैंचाइज़ी को कम से कम प्रयोग और खिलाड़ियों की मजबूती और कमजोरी को परखकर उतरना चाहिए। अन्य टीमों के मुकाबले दिल्ली ने इस बार अच्छा खेल दिखाया है। लेकिन टीम अपना मोमेंटम नहीं बरकरार रख पायी है। ऐसे में टीम को अपने एक इकाई के तौर पर अच्छा प्रदर्शन करने के लिए देशी और विदेशी खिलाड़ियों में अच्छा मिश्रण बनाकर चलना होगा। निचोड़ टीम ने शुरु में बेहतरीन खेल दिखाया लेकिन अचानक टीम के प्रदर्शन में तेजी से गिरावट हुई। टीम के मिले जुले प्रदर्शन के लिए 10 में से 7 अंक मिलते हैं। साथ ही टीम को अच्छा संतुलन बनाना होगा। अपनी पूरी क्षमता से अगर दिल्ली अगले साल खेलेगी तो वह ट्राफी जीत सकती है। लेखक: श्रुति रवि, अनुवादक: मनोज तिवारी