बीते सीजनों की तरह ही आईपीएल में इस बार भी रोमांच और निराशा का खेल जारी रहा। इस दौरान कई लाजवाब बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी देखने को मिली तो रोंगटे खड़े कर देने वाले कैच भी देखने को मिले। साथ ही बेहतरीन कप्तानी भी देखने को मिली। लम्बा चलने वाले इस टूर्नामेंट में काफी मैच होते हैं, जिनमें कई ऐसी चीजें होती हैं, जिन्हें हम मिस या याद करते हैं। आइये हम आपको 5 ऐसी ही चीजों के बारे में बता रहे हैं, जो इस बार के आईपीएल में देखने को मिली: #1 विराट और डीविलियर्स की बल्लेबाज़ी जैसा कि सभी को पता है कि टी-20 फॉर्मेट बल्लेबाजों के लिए स्वर्ग की तरह है। लेकिन जब मैदान पर विराट और डीविलियर्स होते हैं तो वह मैच को नई ऊंचाई देते हैं। इस दौरान गेंद और रन में भारी अंतर होता है। आरसीबी का इस बार सीजन में जोरदार वापसी करने का ज्यादातर क्रेडिट इन्हीं दोनों बल्लेबाजों को जाता है। इन दोनों ने इस बार चार शतकीय साझेदारी की थी। टूर्नामेंट में 3 बड़ी साझेदारियां हुई हैं, जिनमे एक 200 रन की थी। इन दोनों ने मिलकर 1600 से अधिक रन बनाये हैं। ये हैरानी वाली बात नहीं कि ये दोनों बल्लेबाज़ शीर्ष 3 सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं। जिसमें कोहली ने सबसे ज्यादा 4 शतक और 7 अर्धशतक की मदद से रन बनाये हैं। डेविड वार्नर के दूसरे स्थान के बाद डीविलियर्स 1 शतक और 5 अर्धशतक के साथ तीसरे स्थान पर रहे। #2 बिना हर्षा भोगले की कमेंट्री किसी भी खेल में कमेंटेटर की भूमिका काफी अहम होती है। कमेंटेटर दर्शकों को खेल की गहराई से विश्लेषण करता है। जिससे उन्हें खेल की अच्छी समझ हो। एक अच्छा कमेंटेटर वही होता है। जो मैच के बोरिंग पल को भी दिलचस्प बना दे। इस साल आईपीएल में दुनिया भर के कमेंटेटर नजर आये, लेकिन एक नाम इसमें छूट गया। हर्षा भोगले, ये ऐसे कमेंटेटर हैं जो अपने शब्दों से खेल को देखने का अनुभव ही बदल देते हैं। साल 2008 से हर्षा भोगले की आवाज आईपीएल का अभिन्न अंग रही है। लेकिन इस साल उन्हें कमेन्ट्री पैनल से हटा दिया गया जो हैरान कर देने वाला था। इसका असल कारण नहीं बताया गया, इसमें बीसीसीआई से जुड़ा बहुत ही खास रहस्य कोई है। जिसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं चल सका। लेकिन फैन्स ने हर्षा को मिस किया। #3 ज़हीर खान का प्रेरणादाई नेतृत्व दिल्ली डेयरडेविल्स ने भले ही इस साल आईपीएल में छठा सस्थान हासिल किया हो। लेकिन उन्होंने सभी मैचों में संघर्ष किया है। टीम ने 14 मैचों में से 7 मैचों में जीत हासिल की है। जिसका श्रेय टीम के कप्तान ज़हीर खान को जाता है। उनकी कप्तानी पूरे टूर्नामेंट में प्रेरणादायी रही। वह टीम में बदलाव करने में कभी नहीं हिचकिचाए। हालांकि टीम को इसका अंत में नुकसान हुआ, जब टीम में स्थिरता नहीं होने से टीम को हार का सामना करना पड़ा। ज़हीर को देखकर ऐसा कभी नहीं लगा कि वह नये खिलाड़ियों को सलाह देने से पीछे हट रहे हों। ऐसा वह टीम इंडिया में खेलते हुए भी किया करते थे। उनकी सलाह और नेतृत्व क्षमता के दम पर टीम का प्रदर्शन इस आईपीएल में अच्छा रहा। इसका फायदा टीम को अगले सीजन में भरपूर मिलेगा। #4 महेंद्र सिंह धोनी का प्लेऑफ में न पहुंचना निलम्बित होने से पहले चेन्नई सुपर किंग्स ने आईपीएल के सभी सीजन में बेहतरीन खेल दिखाया था। लेकिन एमएस धोनी ने इस बार नई टीम का नेतृत्व किया। लेकिन वह अपनी सफलता यहां दोहराने में असफल रहे। नौ साल के आईपीएल इतिहास में धोनी और सीएसके के फैन्स के लिए ये पहला मौका था। जब उनकी टीम प्लेऑफ़ में नहीं पहुंच पाई। धोनी की राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स इस बार 14 में से मात्र 5 मैच ही जीतने में सफल हो पायी। ये धोनी के फैन्स के लिए घोर निराशा से कम नहीं था। वास्तव में उनकी टीम कागजों पर काफी मजबूत थी। हालांकि धोनी ने टूर्नामेंट के आखिरी मैच में पंजाब के खिलाफ आखिरी ओवर में 23 रन बनाकर टीम को जीत दिलाई। ये उनका इस बार का यादगार प्रदर्शन था। #5 सीमारेखा पर रोमांचक कैच बहुत से क्रिकेट के जानकार क्रिकेट के टी-20 फॉर्मेट को अच्छा नहीं मानते हैं। उनके लिए टेस्ट मैच ही आज भी सबसे अच्छा प्रारूप है। लेकिन इसका सबसे बड़ा आलोचक भी ये बात मानेगा की इस प्रारूप से फील्डिंग में काफी सुधार हुआ है। इससे पहले वनडे क्रिकेट में खिलाड़ी डाइव मारकर गेंद को रोकते थे। लेकिन टी-20 में फील्डिंग का लेवल और ऊंचा उठ गया है। इसी साल के आईपीएल में कई ऐसे मौके आये हैं। जब फील्डर ने बाउंड्री लाइन पर कैच पकड़कर सभी को हैरानी में डाल दिया है। कई ऐसे मौके आये जब एक खिलाड़ी ने कैच को पकड़ा लेकिन खुद के बाउंड्री के अंदर जाने से पहले गेंद को दूसरे फील्डर के हाथ में फेंक दिया। जिसके बाद वह कैच पूर हुआ। शेन वॉट्सन और डेविड वीस, सुरेश रैना और आंद्रे रसेल, क्रिस लिन ऐसे कुछ खिलाड़ी थे। जिन्होंने इस बार फील्डिंग में कमाल किया है। यही ट्रेंड अगर बरकरार रहा तो आने वाले समय में डाइविंग और स्लाइडिंग की तरह ही जगलिंग भी आम हो जायेगा। लेखक: आदित्य भूषण, अनुवादक: मनोज तिवारी