अपने फेयरवेल आईपीएल सीजन में, गुजरात लायंस को जैसी उम्मीद थी वैसी विदाई नहीं मिल पाई। 2016 में टॉप 4 में पहुंचने वाली गुजरात लायंस जिसने प्लेऑफ में जगह बनाई थी, इस बार 14 मैचों में सिर्फ 4 में जीत दर्ज करके प्वाइंट टेबल में 7वें नम्बर पर रही। रैना अपनी पारी खत्म करने तक सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की दौड़ में चौथे नम्बर पर थे। और कप्तान सुरेश रैना की बेहतरीन बल्लेबाजी के चलते ही गुजरात लायंस नम्बर 7 पर रही जो रैना के लिए सांत्वना पुरस्कार है । एक नजर उन कमियों पर जिसकी वजह से गुजरात इस बार कमाल दिखाने में असफल रही। सही कॉम्बिनेशन को ढूंढने में काफी वक्त लिया आईपीएल 2017 के शुरुआत में, गुजरात ने अपने चारों विदेशी स्लॉट पर अंतर्राष्ट्रीय ओपनर खिलाड़ियों को मैदान पर उतारा, एरॉन फिंच और ड्वेन समिथ ने मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी की जबकि टीम में कोई विदेशी ऑलराउंडर और गेंदबाज़ नहीं था , जिसकी वजह लॉयंस के प्रदर्शन पर काफी असर पड़ा और वो कई अहम मुकाबले हारे। काफी वक्त के बाद लॉयंस टीम ने टाई को टीम में शामिल किया साथ ही दो स्पेश्लिस्ट ओपनर मैदान में उतारे जिससे टीम का तालमेल ठीक लगने लगा लेकिन टाई की चोट ने टीम का संतुलन फिर बिगाड़ दिया हालांकि टाई की जगह टीम में फॉक्नर ने ली जो टीम के लिए बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी दोनों डिपार्टमेंट में अपना रोल अदा कर सकें। इरफान पठान को एंड्रू टाई केप्लेसमेंट के तौर पर टीम में शामिल किया गया जिससे टीम बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी फ्लेक्सिबल हो सके। ना सिर्फ पठान के टीम में आने में देरी हुई बल्कि जब उन्हें मौका मिला तो वो कुछ खास नहीं कर सके । सलामी जोड़ियों में तालमेल की कमी जब आपके पास तीन अंतरराष्ट्रीय ओपनर पहले से ही हों और फिर आप निलामी में जाएं और एक और ओपनर खरीद लें वो भी तब जब बाकी डिपार्टमेंट में सुधार की जरूरत हो । जाहिर है शुरुआती संकेत अच्छे नहीं दिख रहे थे हुआ भी ऐसा ही टीम ने 14 मुकाबलों में 5 अलग सलामी जोड़ीदार मैदान में उतारे । उस फॉर्मैट में जहां तेज़ शुरुआत का काफी महत्व है वहां लगातार बैटिंग ऑर्डर से छेड़छाड़ करना समझदारी नहीं दर्शाता वो भी तब जब सभी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी खुद को प्रूव कर चुके हैं । गुजरात लॉयंस ने टूर्नामेंट का आगाज़ जेसन रॉय और मैक्कलम की जोड़ी के साथ किया और टूर्नामेंट का अंत स्मिथ और इशान किशन की जोड़ी के साथ । बीच में मैकलम और स्मिथ, फिंच और मैकलम , किशन और मैकलम की जोड़ियां पारी की शुरुआत करती रही । स्पिनरों का प्रदर्शन जिन 4 टीमों ने प्लेऑफ में जगह बनाई है उनमें एक समानता है वो है वर्ल्ड क्लास स्पिन गेंदबाज़ जिन्होंने या तो रन रोकने में अहम रोल अदा किया या विकेट चटकाए। राईज़िंग पुणे सुपरजाएंट्स (इमरान ताहिर ), मुंबई इंडियंस ( हरभजन सिंह क्रुणाल पांड्या ) ,कोलकाता नाइट राइडर्स ( कुलदीप यादव और सुनील नरेन) और सनराईजर्स हैदराबाद (राशिद खान)। सभी टीमों के पास शानदार स्पिन गेंदबाज़ी का विकल्प मौजूद था, जो लायंस के पास नहीं था । शिविल कौशिक के लिए ये सत्र भुला देने वाला साबित हुआ जब तक उन्हें अंकित सोनी से रीप्लेस किया गया जो इससे पहले कभी किसी टीम से नहीं खेले थे। अनुभवी शादाब जाकाती को प्रभाव छोड़ने का मौका नहीं मिला लेकिन लायंस के लिए सबसे बड़ी निराशाजनक बात रही रविंद्र जडेजा की खराब फॉर्म रही । भारत के इस ऑलराउंडर ने फील्डिंग में तो शानदार हाथ दिखाए लेकिन बल्ले से और गेंद से कुछ कमाल नहीं दिखा सके। ना तो जडेजा ने विकेट चटकाए बल्कि रन भी खूब लुटाए । 12 मैच में जडेजा ने 9 से ज्यादा के इकॉनॉकी रेट से सिर्फ 5 विकेट झटके जो टीम के काम नहीं आई । मुख्य खिलाड़ियों की चोट की समस्या हालांकि टूर्नामेंट के शुरुआत से पहले लायंस को ये पता था कि उन्हें पहले दो हफ्ते ड्वेन ब्रावो और रविंद्र जडेजा के बिना ही खेलना होगा । ये बात अलग है कि जडेजा सिर्फ दो मैच के लिए बाहर रहे लेकिन ब्रावो जो बिग बैश के दौरान चोटिल हुए थे टूर्नामेंट में एक भी मैच नहीं खेल सके। ड्वेन ब्रावो का पूरे टूर्नामेंट से बाहर होना लायंस के लिए काफी बड़ा नुकसान था क्योंकि उनकी बैटिंग और बॉलिंग में ब्रावो की जगह कोई दूसरा खिलाड़ी नहीं ले सकता था। आखिरकार एंड्रयू टाई ने ब्रावो को रीप्लेस किया और प्रभाव भी छोड़ा । टाई ने 6 मैच में एक हैट्रिक समेट 12 विकेट झटके लेकिन वो भी चोटिल होकर टूर्नामेंट से बाहर हो गए । चोट ने फिर एक बार लायंस को आघात दिया जब उनके इन-फॉर्म बल्लेबाज़ ब्रैंडन मैकलम चोट के चलते टूर्नामेंट से बाहर हो गए। कोई भी टीम ऐसी स्थिति से नहीं उबर सकती जब उनके एक नहीं दो नहीं बल्कि टीम के तीन-तीन मुख्य खिलाड़ी चोटिल होकर बाहर हो जाएं और गुजरात लायंस के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ जिससे वो उबर नहीं सकी। नाजुक गेंदबाज़ी लाइनअप ड्वेन ब्रावो के टूर्नामेंट से बाहर होने से गुजरात टीम को ये पता था कि अगर टीम को प्लेऑफ में पहुंचना है तो टीम के बाकी गेंदबाज़ों को कंधो पर जिम्मेदारी लेनी होगी लेकिन दुर्भाग्य की बात ये रही की ऐसा बिलकुल नहीं हुआ और आईपीएल 2016 में लायंस के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ का भी फ्लॉफ शो दिखा। धवल कुलकर्णी जिन्होंने आईपीएल 2016 में 7.5 से भी कम इकॉनॉमी रेट से 18 विकेट झटके थे इस बार 6 मुकाबलों में सिर्फ 3 विकेट ही ले सके। रविंद्र जडेजा पूरे सीज़न में सिर्फ 5 विकेट ही लेने में सफल रहे , इसके अलावा प्रदीप सांगवान, प्रवीण कुमार, अंकित सोनी हर किसी तो अलग अलग मौकों पर जगह दी गई लेकिन प्रभाव छोड़ने में कोई सफल नहीं रहा। जेम्स फॉकनर ने भी निराशाजनक प्रदर्शन किया हालांकि चमक बिखेरने वाले एंड्रयू टाई भी चोटिल होकर बाहर हो गए लेकिन केरला के 23 साल के बासिल थंपी ने प्रभाव छोड़ा और 12 मुकाबलों ने 11 विकेट झटके, लेकिन आप ये जानते हैं कि तो आपका क्या हाल होगा जब आप उस खिलाड़ी पर निर्भर हैं जो पहले आईपीएल नहीं खेला। टीम में अनुभवी गेंदबाज़ों के होने के बावजूद टीम के कोई काम नहीं आ सका क्योंकि कोई भी गेंदबाज़ लीडर के तौर पर नहीं उभरा । सिर्फ जब तक टाई कहर बरसा रहे थे तब तक लगा कि लायंसजीत हासिल कर सकी है लेकिन दुर्भाग्य से वो चोटिल हो गए और टूर्नामेंट में सिर्फ 6 मैच ही खेल सके।