आईपीएल का दसवां सीजन अपने आखिरी पड़ाव की ओर बढ़ रहा है, और अब निर्णायकों ने तय कर लिया है कि किस खिलाड़ी ने बेहतरीन प्रदर्शन कर उस पर लगे दाम के साथ न्याय किया है और वो कौन से खिलाड़ी हैं जो खुद को साबित करने में नाकाम रहे। हर टीम के पास कई ऐसे दमदार खिलाड़ी मौजूद हैं जो आगे से टीम की जिम्मेदारी लेते हैं और साथ ही गेंदबाजी में भी जौहर दिखाते हैं। लेकिन, क्रिकेट एक टीम गेम है और बड़े खिलाड़ियों के पीछे, उन खिलाड़ियों कि भी मेहनत होती है जिन्हें शायद उतनी लाइमलाईट नहीं मिली होती। क्योंकि ऐसे बहुत से खिलाड़ी हैं जिनके बारे में क्रिकेट विशेषज्ञ, कमेंटेटर्स और टीवी एंकर्स खूब चर्चा करते हैं। बेन स्टोक्स, क्रिस लिन, सुनील नारेन, राशिद खान और स्टीव स्मिथ जैसे कई विदेशी खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने टीम मालिकों के लिए अपनी उपयोगिता साबित की है। एक नजर उन पांच खिलाड़ियों पर डालते हैं जिन्होंने ना सिर्फ अपनी जिम्मेदारी निभाई बल्कि टीम के लिए पूरा योगदान भी दिया लेकिन उन्हें उनकी मेहनत के हिसाब से शायद उतना नहीं सराहा गया। इसकी एक वजह ये भी हो सकती है क्योंकि उनकी टीम में उनसे बड़े कई खिलाड़ी मौजूद हैं जिनकी वजह से लोग शायद उन पर इतना ध्यान नहीं दे पाते। राहुल त्रिपाठी 26 वर्षीय महाराष्ट्र का ये खिलाड़ी इमर्जिंग प्लेयर अवॉर्ड के लिए उपयुक्त नहीं है। जितना हमने उनको इंटरव्यू के दौरान देखा है वो सभ्य, विनम्र और धनी व्यक्तित्व के इंसान हैं। हालांकि, उन्होंने पूणे सुपरजायंट को ज्यादातर मौको पर अच्छी शुरुआत दिलाई जबकि रहाणे इस बार कोई खास कमाल नहीं कर पाए। अपने कप्तान स्टीव स्मिथ के बाद त्रिपाठी वो दूसरे खिलाड़ी हैं जिन्होंने 151.89 के शानदार स्ट्राइक रेट से 11 पारियों में 360 रन बनाए। उनकी औसत 32.72 है, जो किसी के भी 150 से ज्यादा के स्ट्राइक रेट वाले खिलाड़ियों में सबसे ज्यादा है। दो अर्धशतक जड़कर त्रिपाठी ने 39 चौके और 16 छक्के भी अपने नाम किए हैं। पवन नेगी नेगी इस सीजन के सबसे शानदार ऑलराउंडर हैं। लेकिन आरसीबी के लिए ये सीजन काफी खराब रहा, जिसकी वजह से नेगी के उम्दा प्रदर्शन पर किसी ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया, और सीजन के शुरुआती दौर में नेगी ने कप्तान वॉटसन के लिए अपने दम पर एक मैच भी टीम को जिताया था। नेगी ने बल्लेबाजी करते हुए 131 रन बनाए जबकि गेंदबाजी में जौहर दिखाते हुए 13 विकेट भी झटके। लेकिन इस साल कहानी का सबसे दमदार हिस्सा ये नहीं है। बाएं हाथ का खिलाड़ी, जिसे एक बार अच्छी राशि मिली है, उसके नीचे गिरने से पहले, 6.19 की इकॉनमी रेट के साथ, वो इस सीजन में पांच विकेट लेने वाले किसी भी खिलाड़ी से कम है। उनकी गेंदबाजी औसत 14.38 काफी अच्छी है और उनका स्ट्राइक रेट भी 13.9 रहा है। नेगी ने इस सीजन में अपनी गेंदबाजी और बल्लेबाजी का जलवा दिखाने से पहले कई शुरुआती मैच नहीं खेले। हरभजन सिंह हरभजन सिंह को चैम्पियंस ट्रॉफी में जगह न मिलने के से निराश होने के लिए माफ किया जा सकता है। क्योंकि वो काफी समय से नेशनल टीम से दूर हैं, लेकिन उन्होंने दिखाया है कि कैसे उनके खेल पर उनकी उम्र हावी नहीं होती। जबकि, वो उन चुनिंदा खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने इस सीजन में अपनी टीम के लिए पूरी मेहनत की है। इस सीजन में सबसे मजबूत टीम की ओर से खेलते हुए, हरभजन सिर्फ 8 विकेट ही ले पाए लेकिन इससे उनकी टीम के लिए उनकी उपयोगिता नहीं आंकी जा सकती। भज्जी ने 11 मैचों में 41 ओवर गेंदबाजी की जिसमें 6.48 की बेहतरीन इकॉनमी रेट गेंदबाजी की। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 3/22 था। भज्जी ने ज्यादातर मुकाबले मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले जहां की पिच बल्लेबाजों के लिए शानदार है और बाउंड्री भी काफी छोटी हैं। मनीष पांडे चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए भारतीय टीम का हिस्सा बनना, मनीष पांडे के लिए किसी सपने का सच होने जैसा है। आईपीएल में पहले भारतीय जिसने शतक लगाया साथ ही सबसे कम उम्र के खिलाड़ियों में से एक जिसने आईपीएल में सेंचुरी लगाई। वो लगातार केकेआर के लिए रन बनाते रहे लेकिन केकेआर के टॉप-4 खिलाड़ी सुनील नरेन, गौतम गंभीर, रॉबिन उथप्पा और क्रिस लिन सारी सुर्खियां बटोरते रहे जिससे मनीष पांडे को ख्याति प्राप्त नहीं हो पाई। 12 मुकाबलों में मनीष पांडे ने मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी करते हुए 128.57 की स्ट्राइक रेट से 396 रन बनाए। उनकी स्ट्राइक रेट से ज्यादा उनकी 49.5 की दमदार औसत ये बताने के लिए काफी है कि वो केकेआर के लिए इस सीजन में एक अच्छे फिनीशर साबित हुए हैं। खासतौर पर उनकी दो पारी- जिसमें एक पारी में मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम में मुम्बई के खिलाफ उन्होंने 47 गेंदों में नाबाद 81 रन बनाए जबकि दूसरी पारी में दिल्ली के खिलाफ उसी के घर में 49 गेंदों पर नाबाद 69 रन जड़े थे।मनोज तिवारी तिवारी, शुरुआती दौर में उनपर किसी ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन समय के साथ-साथ उन्होंने हर पॉजीशन पर खेलते हुए राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स को अपनी उपयोगिता साबित की। हालांकि दिल्ली के खिलाफ उनकी 60 रन की पारी टीम को जीत नहीं दिला पाई थी उस वक्त आखिरी ओवर में पुणे को जीत के लिए 25 रन की दरकार थी। जबकि आरसीबी के खिलाफ नाबाद 44 रन की उनकी पारी भी शानदार थी। कुल मिलाकर, तिवारी ने 11 मुकाबलों में 259 रन बनाए जिसमें वो तीन बार नाबाद रहे। 32.37 की औसत के साथ, तिवारी का स्ट्राइक रेट 143.88 है और इस दौरान उन्होंने 26 चौके और 9 छक्के भी जड़े। ज्यादातर रन उन्होंने तब बनाए जब टीम मुश्किल में थी। तिवारी ने अपनी प्रतिभा को सबूत देते हुए दिखाया है कि वो आखिरी ओवर में तेजी के साथ रन बना सकते हैं जबकि वो पारी का आगाज करते हुए भी स्कोर को लगातार बढ़ाने का दम रखते हैं।