दक्षिण अफ़्रीका में हुई बॉल टैंपरिंग की घटना ने पूरे क्रिकेट जगत को शर्मसार किया है। इस साज़िश में ऑस्ट्रेलिया का मुख्य नेतृत्व शामिल था। गेंदबाज़ कैमरन बैनक्रॉफ्ट के अलावा टीम के कप्तान स्टीवन स्मिथ और उप-कप्तान डेविड वॉर्नर इस साज़िश में लिप्त पाए गए। स्मिथ ने तो अपनी ग़लती मान ली और प्रेस कॉन्फ़ेंस में ही रो पड़े थे। ख़ैर, हम यहां बात करने जा रहे हैं डेविड वॉर्नर की। बॉल टैंपरिंग की घटना के इस बाद आईसीसी ने वॉर्नर पर 1 साल का बैन लगाया है। इसके अलावा वॉर्नर को आईपीएल 2018 से भी बाहर कर दिया गया है। उन्हें सनराइज़र्स हैदराबाद टीम ने रिटेन किया था और कप्तानी की ज़िम्मेदारी भी सौंपी थी। इस विस्फोटक ओपनिंग बल्लेबाज़ की कमी को पूरा करने के लिए हैदराबाद टीम ने एलेक्स हेल्स को चुना है। हेल्स इग्लैंड के ज़बरदस्त बल्लेबाज़ हैं जो तेज़ शॉट लगाने में माहिर हैं। टी-20 में उनका रिकॉर्ड शानदार रहा है, क्रिकेट के सबसे छोटे फ़ॉर्मेट में उनका स्ट्राइक रेट 136.33 है, इसमें इन्होंने एक शतक भी अपने नाम किया है। उन्होंने ये साबित किया है कि वो सीमित ओवर के खेल के लिए इंग्लैंड के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। हांलाकि ये बात भी माननी होगी को वो डेविड वॉर्नर के आदर्श विकल्प नहीं सकते। इसकी 3 बड़ी वजहें हैं।
#1 निराशजनक फ़ॉर्म
एलेक्स हेल्स अपनी बल्लेबाज़ी को लेकर मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं वो फ़ॉर्म को लेकर आजकल काफ़ी जद्दोजहद करते देखे जा सकती हैं। मार्च 2017 के बाद से उन्होंने सीमित ओवर के खेल में एक भी शतक नहीं लगाया है। साल 2018 में इंग्लैंड की तरफ़ से खेलते हुए वनडे में उनका औसत महज़ 26.83 और टी-20 अंतरराष्ट्रीय में 18.25 है। उनका फ़ॉर्म इसलिए भी चिंता का विषय है क्योंकि जब वो भारतीय उपमहाद्वीप में खेलने आते हैं तो उनके खेल का स्तर गिर जाता है। उनका कुल स्ट्राइक रेट 143.54 है जबकि एशिया में उनका औसत 129.55 है। इस साल की पाकिस्तान प्रीमियर लीग में भी वो ख़ुद को साबित करने में नाकाम रहे। इस्लामाबाद युनाइटेड टीम की तरफ़ से खेलते हुए 4 मैचों में उनका कुल औसत महज़ 21.75 था। इस आईपीएल में स्पिन गेंदबाज़ों का जलवा देखने को मिल सकता है, ऐसे में हेल्स के ये कांटों भरा सफ़र हो सकता है।
#2 भारतीय हालात को लेकर अनुभव की कमी
साल 2015 में वो पहली बार आईपीएल में किसी टीम का हिस्सा बने थे। उन्हें मुंबई इंडियंस टीम में चोटिल कोरी एंडरसन की जगह शामिल किया था, लेकिन वो उस साल एक भी मैच नहीं खेल पाए थे और वो आज तक आईपीएल का कोई मैच नहीं खेल सके हैं। साल 2017 में इंग्लैंड की टीम भारत के दौरे पर आई थी। वनडे सीरीज़ के पहले 2 मैच में वो कोई कमाल नहीं दिखा पाए थे। इसके बाद उंगली में चोट लगने की वजह से वो सीरीज़ के बाकी मैच नहीं खेल पाए थे। यही वजह है कि उन्हें भारतीय हालात का ज़्यादा तजुर्बा नहीं मिल पाया था। इससे पहले भी इंग्लैंड टीम के ये बल्लेबाज़ भारत की धीमी पिच पर ख़ुद को साबित करने में नाकाम रहे हैं। इयॉन मॉर्गन, केविन पीटरसन, जोस बटलर और जेसन रॉय जैसे अन्य इंग्लिश बल्लेबाज़ भी आईपीएल में अपनी गहरी छाप नहीं छोड़ पाए हैं। हांलाकि हेल्स आज भी अच्छी बल्लेबाज़ी करने की ताक़त रखते हैं लेकिन डेविड वॉर्नर की कमी को वो पूरा नहीं कर पाएंगे।
#3 हेल्स से बेहतर विकल्प मौजूद थे
डेविड वॉर्नर के बाहर होने के बाद सनराइज़र्स हैदरबाद के पास ओपनिंग बल्लेबाज़ चुनने का कई विकल्प मौजूद थे। ल्यूक रॉन्ची, शॉन मार्श, लेंडल सिमंस, हाशिम अमला और मार्टिन गप्टिल जैसे खिलाड़ियों को टीम में शामिल किया जा सकता था। रॉन्ची ने पिछले कुछ सालों में टी-20 क्रिकेट में काफ़ी धमाल मचाया है। उनके पास गेंद को ज़ोरदार तरीके से हिट करने की ताक़त मौजूद है। हाल में हुई पाकिस्तान प्रीमियर लीग में वो इस्लामाबाद युनाइटेड का हिस्सा थे, इस टूर्नामेंट में उनका औसत 43.50 और स्ट्राइक रेट 182 का था। वो टी-20 में कई मैन ऑफ़ द मैच अवॉर्ड से नवाज़े जा चुके हैं। वो सनराइज़र्स हैदराबाद टीम में शिखर धवन का अच्छा साथ निभा सकते थे। हैदराबाद टीम हाशिम अमला को लेकर भी दांव लगा सकती थी, क्योंकि अमला ने पिछले आईपीएल सीज़न में किंग्स-XI पंजाब की तरफ़ से खेलते हुए 2 शतक लगाए थे। सनराइज़र्स हैदराबाद टीम के लिए वॉर्नर का बाहर होना किसी सदमे से कम नहीं है। इस टीम को तेज़ी से रन बनाने वाले ओपनिंग बल्लेबाज़ की ज़रूरत है। इस टीम ने केन विलियमसन को अपना कप्तान चुना है। अब यहां बाक़ी 3 विदेशी खिलड़ियों को प्लेइंग इलेवन में खेलाने को लेकर मशक्कत करनी है। ये देखना दिलचस्प होगा कि वो वॉर्नर की कमी को कितनी हद तक पूरा कर पाते हैं, उन्हें शिखर धवन के साथ ओपनिंग करने का मौक़ा मिलेगा भी या नहीं। लेखक- प्राज्वल नागेश अनुवादक- शारिक़ुल होदा