IPL 2018: 3 कारण जो सनराइज़र्स हैदराबाद को ख़िताब से कर सकते हैं वंचित

सनराइजर्स हैदराबाद इस सीजन में अब तक की सबसे अच्छी टीमों में से एक रही है लेकिन उनके पास परेशानी करने के लिए कई सारे मुद्दे हैं। उनकी गेंदबाजी सभी टीमों में सबसे अच्छी रही है लेकिन उनकी बल्लेबाजी के बारे में भी ऐसा नहीं कहा जा सकता है। हालांकि वे संभवतः शीर्ष 4 में अपनी जगह पक्की कर लेंगे (शायद शीर्ष 2 में ही) फिर भी उन्हें एक बार फिर खिताब जीतने के लिए पहले अपनी त्रुटियों को हल करना होगा। हैदराबाद की टीम कई बार खिताब जीतने के लिए पसंदीदा टीम रही है लेकिन कुछ गलतियों और कमजोरियों के कारण प्लेऑफ के दौरान बाहर हो गयी। ऐसे में नजर डालते है उन तीन कारण पर जिन्हें अगर सही नहीं किया गया तो एक बार फिर से हैदराबाद के हाथ से फिसल सकता है आईपीएल का ताज।

#3 चोट से टीम परेशान

ज्यादातर टीमों की तरह ही सनराइजर्स हैदराबाद को भी अपने तेज गेंदबाजों की चोट के कारण परेशान होना पड़ा है लेकिन उनकी टीम की गहराई ने उनकी मदद की है। संदीप शर्मा और सिद्धार्थ कौल जैसे खिलाड़ी इस सीजन में बहुत अच्छे साबित हुए हैं लेकिन जब उनके मुख्य बल्लेबाज घायल हो गए तो उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ा। शिखर धवन के घायल होने के बाद उन्हें रिकी भुई को टीम में शामिल किया जो प्रभावित करने में नाकामयाब साबित हुए। वह अभी भी थोड़ी चोट के साथ खेल रहे है क्योंकि उनकी कोहनी की चोट अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है, जो खतरनाक हो सकती है। लेकिन अगर शिखर की चोट बड़ी हो गयी तो इसका मतलब हैदराबाद के लिए परेशानी बढ़ सकती है क्योंकि उनके पास धवन के रिप्लेसमेंट के लिए सही उम्मीदवार नहीं है। वे एलेक्स हेल्स को शामिल कर सकते हैं लेकिन इसका मतलब है कि उन्हें विदेशी खिलाड़ियों के साथ अपनी टीम संतुलन में बदलाव करना होगा और इससे टीम को नुकसान पहुंचा सकता है।

#2 शीर्षक्रम पर अधिक निर्भरता और कमजोर मध्यक्रम

ये बात छिपी नहीं है कि वर्तमान में हैदराबाद की बल्लेबाजी उसकी एक कमजोर कड़ी है। बल्ले के साथ उनका औसतन स्कोर 146 रन का रहा है। इसके अलावा उनकी जीत में उनका औसत स्कोर 134 रहा है, जो बेहद निराशजनक है। पिछले सालों की तरह इस साल भी उनका मध्य क्रम असफल साबित हुआ है। मनीष पांडे और दीपक हुड्डा पर इतना खर्च करने के बावजूद यह क्रिकेटर उम्मीदों पर खरे उतरने में नाकामयाब रहे हैं। वे अच्छी शुरुआत के लिए धवन और पूरी पारी में अच्छी बल्लेबाजी करने लिए विलियम्सन पर अधिक भरोसेमंद हैं। विलियमसन आउट हो जाने के बाद पांडे को मध्य ओवर को तुरंत गति प्रदान करनी है जो 112.8 के नीचे की स्ट्राइक दर पर बल्लेबाजी कर रहे है। यह देखना निराशाजनक है कि आर अश्विन जैसे गेंदबाज का स्ट्राइक रेट पांडे की तुलना में बेहतर है। इस सीजन में सबसे अधिक रन बनाने वाले टॉप 30 बल्लेबाजों के बीच उनकी स्ट्राइक रेट सबसे कम है। इसके कारण शाकिब अल हसन पर पहली गेंद से तेज पारी खेलने का दबाव होता है। हालांकि यूसुफ पठान ने निचले मध्यक्रम में अच्छा किया है और यहां तक ​​कि राशिद ख़ान भी बड़े शॉट लगा रहे हैं।

#1 छोटे लक्ष्यों का बचाव या पहले बल्लेबाज़ी

टूर्नामेंट के शुरुआती हिस्से में स्थापित प्रवृत्ति सनराइजर्स के लिए पूरी तरह से काम कर रहा है। उन्होंने कुल 6 मैचों में जीत हासिल की है और जिसमें से 3 पहले बल्लेबाजी करते समय आयी हैं। उन्होंने उन सभी 3 मैचों में 150 से नीचे स्कोर का पीछा किया और केवल एक अवसर पर बेहतरीन प्रदर्शन था। इसके बाद लगातार दो बार वे बड़े लक्ष्य का पीछा करने में नाकाम रहे। किंग्स-XI पंजाब के खिलाफ कोई भी कह सकता है कि गेल तूफान हैदराबाद के बल्लेबाज के लिए बहुत अधिक था, लेकिन सीएसके के खिलाफ हैदराबाद में 182 रनों का लक्ष्य पहुंच से बाहर नहीं था लेकिन इसे वह पार नहीं कर पाये। उसके बाद उन्होंने पहले बल्लेबाजी करते हुए अपने सभी मैच जीते और हर बार उनके गेंदबाजों ने अच्छा काम किया है। लेकिन अगर प्लेऑफ चरण में वे पहले गेंदबाजी कर रहे हैं और यदि विपक्षी 150 से ज्यादा कुछ भी ज्यादा रन बनाती है तो सनराइजर्स हैदराबाद के लिए लक्ष्य का पीछा करना मुश्किल होगा। उनकी बल्लेबाजी को काफी सुधार करना होगा लेकिन हैदराबाद को एक फायदा तब मिल सकता है जब दबाव के मैच में विपक्षी टीम लक्ष्य का पीछा कर रही होगी और अगर हैदराबाद बचाव कर रहे हैं, तो उनकी गेंदबाजी निश्चित रूप से जीत को सुनिश्चित करेगी। लेखक- निखिल पोटनिस अनुवादक- सौम्या तिवारी