IPL 2018: कोलकाता नाइट राइडर्स ने दिनेश कार्तिक को रॉबिन उथप्पा के ऊपर तवज्जो क्यों दिया ?

आईपीएल नीलामी खत्म होने के बाद कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए असली असमंजस की स्थिति शुरु हुई। अपने खाते से अधिकतर पैसा खर्च करने के बावजूद टीम के फ्रैंचाइजियों से एक बड़ी चूक हो गई। टीम में एक अनुभवी भारतीय तेज गेंदबाज की कमी थी और मुख्यधारा खिलाड़ी के मौजूद नहीं होने पर उपयुक्त बैकअप टीम में उपलब्ध नहीं थेा। इन सबसे ऊपर इस टीम में सबसे बड़ी खामी कप्तानी अनुभव का अभाव था। अगले कप्तान के लिए चारों ओर चल रहीं अटकलों के बीच ज्यादातर लोगों का अनुमान रॉबिन उथप्पा पर था। उथप्पा केकेआर से पिछले चार सालों से जुड़े रहे हैं और उनके स्टार परफॉर्मर रह चुके हैं। साथ ही केकेआर ने उथप्पा के लिए अपने राइट टू मैच कार्ड का उपयोग करके 6.4 करोड़ रुपये में अपने पास रखा था, जिससे इन दावों को और भी मजबूती मिली। यहां तक ​​कि बंगाल टाइगर यानी केकेआर के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली ने भी कप्तानी भूमिका के लिए कर्नाटक के बल्लेबाज का समर्थन किया। हालांकि एक लंबे इंतजार के बाद केकेआर प्रबंधन ने वेंकी मैसूर के नेतृत्व में तमिलनाडु के बल्लेबाज दिनेश कार्तिक को अपना अगला कप्तान चुना, जिनकी उप कप्तानी का पदभार उथप्पा को सौंपा गया। हालांकि केकेआर का यह कदम पहली नजर में गलत प्रतीत होता है,लेकिन नीचे दिये गये चार कारण आपकों बतायेंगे कि आखिर यह चुनाव कैसे एक सोचा समझा चयन है-

#1 लगातार अच्छा प्रदर्शन

यह सोचने वाली बात जरुर हो सकती है लेकिन दिनेश कार्तिक अपने पूरे दस वर्षों के आईपीएल करियर में लगातार अच्छा प्रदर्शन करते आये हैं। आईपीएल करियर में 25 की औसत और 125 की स्ट्राइक रेट के साथ, कार्तिक के पास एक अच्छा रिकॉर्ड है जो टीम को एक कप्तान के रूप में अच्छी सेवा दे सकता है। यही वजह है कि कार्तिक को आईपीएल के 2014 और 2015 के सत्रों में 12.5 और 10.5 करोड़ के साथ टीमों ने अपने पास रखा। पिछले साल भी तमिलनाडु के इस विकेटकीपर ने गुजरात लॉयंस के लिए 36.10 की औसत से और लगभग 140 की स्ट्राइक रेट के साथ बेहतरीन प्रदर्शन किया था। वहीं तुलनात्मक रूप से उथप्पा का 30 के करीब का औसत कार्तिक के मुकाबले कम लगता है।

#2 कप्तानी का अनुभव

दिनेश कार्तिक के पक्ष में जाने वाली सबसे बड़ी बात उनके पास कप्तानी का अनुभव था। कार्तिक ने अपनी कप्तानी में तमिलनाडु को विजय हजारे ट्राफी 2009-10 में खिताबी जीत दिलायी थी और 2017 के दिलीप ट्रॉफी में भारत रेड का नेतृत्व किया। ऐसे में टीम का नेतृत्व करने के लिए कार्तिक के पास पर्याप्त अनुभव रहा है। यहां तक ​​कि खेल के सबसे छोटे प्रारूप में भी, उन्होंने तमिलनाडु प्रीमियर लीग के 2016 के संस्करण में पैट्रियॉट्स का नेतृत्व करके कप्तानी में अपनी पहचान साबित कर दी है। इसके विपरीत उथप्पा ने पांच साल पहले यानि 2013 में एक छोटी अवधि के लिए भारत ए का नेतृत्व किया था। जिसे छोड़कर उथप्पा के पास किसी बड़े अवसर पर कप्तानी करने का अनुभव नहीं रहा, जो उनके विपक्ष में गया।

#3 मनीष पांडे और सूर्यकुमार यादव को मिले दूसरे फ़्रैंचाइज़ी

मनीष पांडे एक उम्मीदवार थे जिन पर केकेआर की कप्तानी के लिए विचार किया जा सकता था। पिछले सीजन में पांडे की औसत लगभग 50 की थी और उनके क्षेत्ररक्षण कौशल ने भी उन्हें आईपीएल की सबसे अमूल्य संपत्ति बना दिया था। लेकिन केकेआर ने अपना बैंक मनीष पांडे के लिए ना खोलने का फैसला किया फिर सनराइजर्स हैदराबाद ने 11 करोड़ में उन्हें अपने टीम में ले लिया। केकेआर के पूर्व उप-कप्तान सूर्यकुमार यादव, जिन पर फ्रैंचाइज़ी ने भारी निवेश किया था। उन्हें 2015 में टीम का उप-कप्तान नियुक्त किया गया था और यह उम्मीद थी कि गौतम गंभीर के कप्तानी से हटने के बाद वह कप्तानी का पदभार संभालेंगे। गंभीर खुद भी यादव की काफी प्रशंसा कर चुके हैं। गंभीर ने यादव के बारें में कहा था 'वह एक ऐसा खिलाड़ी है जिसके बारें में भविष्य में सोचा जा सकता है और उसका भविष्य बहुत ही उज्जवल है।' 2014-15 सत्र में रणजी ट्रॉफी के लिए मुंबई टीम की कप्तानी करने के बाद 27 वर्षीय खिलाड़ी के पास भी अनुभव की कोई कमी नहीं है। लेकिन यादव को मुंबई इंडियंस द्वारा 3.2 करोड़ रुपये में टीम में शामिल कर लिया गया।

#4 विकल्प की कमी

यह स्पष्ट है कि केकेआर के पास ऐसे विकल्पों की कमी थी, जिनके पास टीम का नेतृत्व करने के लिए खास स्वभाव व अनुभव रहा हो। उपलब्ध विकल्पों में से केकेआर ने उथप्पा, सुनील नारेन, क्रिस लिन, विनय कुमार और दिनेश कार्तिक को कप्तानी उम्मीदवार के रूप में पांच खिलाड़ियों को चुना। जिसके बाद एक सार्वजनिक मतदान के माध्यम से उथप्पा, लिन और कार्तिक का चुनाव हुआ। लेकिन ट्रांस टस्मान टी-20 त्रिकोणीय सीरीज़ में लिन ने खुद को घायल कर दिया, अपने नाजुक शरीर और कमजोर कंधों के साथ वह विस्फोटक बल्लेबाजी करने में असमर्थ हो गये। इसलिए लिन के रेस से बाहर हो जाने के बाद उथप्पा को उप-कप्तान के रूप में रखा गया और कार्तिक को केकेआर के कप्तान की भूमिका के लिए सबसे उचित विकल्प के रूप में चुना गया। लेखक- सक्षम मिश्रा अनुवादक- सौम्या तिवारी