IPL 2018: 5 साहसिक फ़ैसले जिसका फ़ायदा टीम को हुआ

किसी भी आईपीएल टीम को 20 से ज़्यादा खिलाड़ियों को चुनने का हक़ होता है। ऐसे में टीम मैनेजमेंट के पास ये मौका होता है कि वो एक संतुलित टीम चुन सके, जिसमें हर तरह के खिलाड़ी शामिल हों, और उन्हें ज़रुरत के हिसाब से आज़माया जा सके। पिछले एक दशक में आईपीएल में कई तरह का रोमांचक और कड़े फ़ैसले देखने को मिले हैं जो टीम के लिए वरदान साबित हुए हैं। इंडियन प्रीमियर लीग के 11वें सीज़न में हमने कई चौंकाने वाले फ़ैसले देखे हैं जिसमें कई फ़ैसले ऐसे हैं जो आत्मघाती साबित हुए हैं। वहीं कुछ निर्णय ऐसे भी रहे हैं जो टीम के लिए फ़ायदेमंद रहे हैं। हम यहां उन 5 साहसिक फ़ैसलों के बारे में चर्चा कर रहे हैं जो या तो टीम मैनेजमेंट या फिर टीम के कप्तान द्वारा लिए गए हैं, और इन सभी 5 फ़ैसलों ने टीम को फ़ायदा पहुंचाया है।

#5 रविचंद्रन अश्विन ने सनराइज़र्स हैदराबाद के ख़िलाफ़ पहले बल्लेबाज़ी का फ़ैसला किया

मौजूदा दौर की बात करें तो टी-20 क्रिक्रेट में कोई भी इस बात का इंतज़ार नहीं करता कि कप्तान टॉस जीतने पर क्या फ़ैसला लेता है। 100 में 99 दफ़ा किसी भी टीम का कप्तान पहले गेंदबाज़ी करना ही पसंद करता है। किंग्स XI पंजाब के कप्तान रविचंद्रन अश्विन ने 19 अप्रैल 2018 को सनराइज़र्ज हैदराबाद के ख़िलाफ़ टॉस जीत कर पहले बल्लेबाज़ी का दुर्लभ फ़ैसला लिया। हैदराबाद इससे पहले लगातार 3 मैच जीत चुकी थी, वो भी लक्ष्य का पीछा करते हुए। ऐसे में अश्विन का ये फ़ैसला बेवकूफ़ी भरा लग रह था, लेकिन मैच खत्म होने के बाद अश्विन सही साबित हुए। पहले बल्लेबाज़ी करते हुए पंजाब ने 193 रन बनाए, हैदराबाद टीम इस लक्ष्य का पीछा करने में नाकाम रही और मैच हार गई।

#4 अंबाती रायुडू को सनराइज़र्स हैदराबाद के ख़िलाफ़ चौथे नंबर पर भेजना

32 साल की उम्र में अंबाती रायुडू का ये सबसे बेहतरीन आईपीएल सीज़न है। इस सीज़न की शुरुआत में चेन्नई सुपरकिंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने रायुडू का इस्तेमाल सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर किया था, लेकिन हैदराबाद के ख़िलाफ़ 22 अप्रैल 2018 को रायुडू को चौथे नंबर पर बल्लेबाज़ी के लिए भेजा गया। दक्षिण अफ़्रीकी खिलाड़ी फ़ॉफ डू प्लेसी को टीम में तब शामिल किया गया जब उन्हें मिडिल ऑर्डर में भेजा जाना था, क्योंकि उस वक़्त रायुडू बतौर ओपनर अच्छी बल्लेबाज़ी कर रहे थे। हांलाकि हैदराबाद के ख़िलाफ़ चेन्नई पहले 8 ओवर में 2 विकेट खोकर महज़ 32 रन बनाए थे। लेकिन रायडु ने मैच का सारा रुख़ ही पलट कर रख दिया और ये साबित कर दिया कि धोनी का फ़ैसला कितना सटीक था।

#3 सूर्यकुमार यादव से ओपनिंग कराना

सूर्यकुमार यादव आईपीएल में नया नाम नहीं है वो इस टूर्नामेंट में पहले भी अपना कमाल दिखा चुके हैं। इस साल वो बतौर ओपनर धमाल मचा रहे हैं। वो केकेआर के उप-कप्तान रह चुके हैं, हांलाकि इससे पहले उनके हुनर का ज़्यादा इस्तेमाल नहीं किया गया है। इस आईपीएल सीज़न में पहले 2 मैच हारने के बाद मुंबई इंडियंस ने ये फ़ैसला किया कि दिल्ली डेयरडेविल्स के ख़िलाफ़ यादव को एविन लुईस के साथ ऊपरी क्रम में भेजा जाए। उस मैच में यादव ने 32 गेंद में 53 रन की पारी खेली थी, उसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हांलाकि इससे मुंबई इंडियंस की किस्मत में कुछ ख़ास बदलाव नहीं आया, लेकिन सूर्यकुमार ने अपनी अहमियत साबित कर दी।

#2 श्रेयस अय्यर को गौतम गंभीर की जगह दिल्ली डेयरडेविल्स का कप्तान बनाया जाना

गौतम गंभीर को इस साल दिल्ली डेयरडेविल्स का कप्तान बनाया गया था। लेकिन उनके लिए ये सीज़न बेहद बुरा रहा, गंभीर बतौर खिलाड़ी भी इस सीज़न में अच्छी बल्लेबाज़ी नहीं कर पा रहे थे जिसका ख़ामियाज़ा टीम को भुगतना पड़ रहा था। इसके बाद उन्होंने दिल्ली टीम की कप्तानी छोड़ने का फ़ैसला किया और श्रेयस अय्यर को टीम की ज़िम्मेदारी सौंपी। अय्यर ने अपनी कप्तानी में 27 अप्रैल 2018 को अपना पहला मैच खेला और शानदार जीत दर्ज की। उस मैच में दिल्ली डेयरडेविल्स टीम में पृथ्वी शॉ और कॉलिन मुनरो ने ओपनिंग की थी। इसके बाद कप्तान अय्यर ने टीम के लिए सबसे ज़्यादा रन बनाए थे।

#1 केन विलियमसन को सनराइज़र्स हैदराबाद का कप्तान बनाया जाना

सनराइज़र्स हैदराबाद को उस वक़्त तगड़ा झटका लगा था जब इस टीम के अहम सदस्य डेविड वॉर्नर पर बॉल टैंपरिंग की घटना के बाद एक साल का बैन लगा दिया गया था। इस वजह से वॉर्नर को आईपीएल सीज़न 11 से बाहर होना पड़ा था। तब सभी ने सोचा कि शिखर धवन या भुवनेश्वर कुमार को टीम का कप्तान बनाया जाएगा। धवन बतौर कप्तान पहले नाकामयाब रहे रहें, ऐसे में टीम मैनेजमेंट ने केन विलियमसन को टीम की कमान सौंपी। केन ने बतौर कप्तान और बतौर खिलाड़ी ख़ुद को साबित किया और ये बता दिया कि हैदराबाद टीम के लिए उनसे बेहतर विकल्प और कोई नहीं है। विलियमसन ने अपनी कप्तानी में हैदराबाद को पहले 7 में से 5 मैच में जीत दिलाई है। लेखक- शुवादित्य बोस अनुवादक- शारिक़ुल होदा

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