इस आईपीएल सीज़न में भी आरसीबी की वही पुरानी कहानी देखने को मिली। हांलाकि इस टीम को नए सिरे से तैयार करने में कोई कमी नहीं की गई थी। नीलामी के दौरान कोशिश की गई थी कि पुरानी ग़लतियों को न दोहराया जाए। इतनी मज़बूत टीम होने के बावजूद आरसीबी अपना आख़िरी मैच राजस्थान रॉयल्स के ख़िलाफ़ हारकर बाहर हो गई। आईपीएल सीज़न 2018 के शुरू होने से पहले ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि ये टीम ख़िताब की प्रबल दावेदार साबित होगी, लेकिन जैसे-जैसे मैच होते गए आरसीबी से बनीं उम्मीदें भी धुंधली पड़ने लगी। इस साल फिर से नाकामी के बाद आरसीबी के मैनेजमेंट को अब कोहली को लेकर कड़े फ़ैसले लेने होंगे। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि कोहली अपने सीनियर खिलाड़ी गौतम गंभीर के नक्श-ए-कदम पर चलते हुए ख़ुद ही कप्तानी छोड़ दें और किसी अन्य खिलाड़ी को बैंगलौर टीम की ज़िम्मेदारी सौंप दें। हम यहां उन 5 वजहों के बारे में चर्चा कर रहे हैं जिसको ध्यान में रखते हुए कोहली को आरसीबी टीम की कप्तानी छोड़ देनी चाहिए।
#5 निराशाजनक प्रदर्शन
पिछले कई आईपीएल सीज़न से आरसीबी कागज़ पर सबसे मज़बूत टीम्स में से नज़र आ रही है। हांलाकि टीम ने अपनी मज़बूती को ज़मीन पर नहीं उतारा है और कोई बड़ा नजीता हासिल नहीं किया है। ऐसे में अगर टीम के कप्तान पर हार का ठीकरा फोड़ा जाए तो कुछ ग़लत नहीं होगा। भले ही कप्तान विराट कोहली का निजी प्रदर्शन शानदार रहा है, लेकिन वो टीम के लिए नज़ीर नहीं बन पाए हैं। टीम उनसे प्रेरणा लेने में नाकाम रही है। आरसीबी में एबी डीविलियर्स, ब्रेंडन मैकुलम, क्विंटन डी कॉक जैसे धाकड़ बल्लेबाज़ मौजूद थे। आरसीबी उन चुनिंदा टीमों में से एक है जिसे आईपीएल ख़िताब जीतने की ख़ुशकिस्मती हासिल नहीं हुई है। टीम मैनेजमेंट को ऐसा महसूस हुआ था कि नए चेहरे शामिल करने के बाद टीम की किस्मत बदल सकती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आईपीएल के 11वें सीज़न में कोहली की टीम ने 14 में से महज़ 6 मैच में जीत हासिल की थी, जो बेहद निराशाजनक था। कोहली को ख़ुद और अपने खिलाड़ियों का आंकलन करना चाहिए और कुछ कड़े फ़ैसले लेने चाहिए।
#4 टीम में कप्तानी का अन्य विकल्प
आरसीबी टीम में कप्तानी के दावेदारों की कमी नहीं है। एबी डीविलियर्स और ब्रेंडन मैकुलम ने अपनी-अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए कप्तानी की है, ऐसे में अगर इन दोनों खिलाड़ी को टीम की ज़िम्मेदारी मिलती है तो वो बख़ूबी निभा सकते हैं। अगर टीम मैनेजमेंट किसी भारतीय कप्तान के विकल्प को तलाशती है तो मनदीप सिंह, पार्थिव पटेल को मौका दिया जा सकता है। मंदीप मैदान में बातचीत करने में माहिर हैं और पार्थिव ने गुजरात को अपनी कप्तानी में रणजी ट्रॉफ़ी दिलाई थी। ऐसे में विराट को अपनी कप्तानी की ज़िम्मेदारी किसी अच्छे खिलाड़ी को सौंप देनी चाहिए जिससे टीम को फ़ायदा मिल सके।
#3 ज़रूरी मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया
आरसीबी की गेंदबाज़ी की कमज़ोरी सीज़न की शुरुआत से ही दिखाई दे रही थी। टीम सबसे ज़्यादा उमेश यादव पर निर्भर भी और वो ही टीम में गेंदबाज़ी का ज़्यादातर बोझ उठा रहे थे। युज़वेंद्र चहल, मोहम्मद सिराज, कोरी एंडरसन ज़्यादा प्रभावशाली साबित नहीं हो पाए। बैंगलौर की टीम किसी भी स्कोर को बचाने में नाकाम साबित हुई। उनकी डेथ ओवर में गेंदबाज़ी बहुत ही बड़ी परेशानी का सबब था। कप्तान को टीम साउदी का इस्तेमाल काफ़ी पहले करना चाहिए था। साउदी घातक यॉर्कर गेंद फेंकने में माहिर हैं और डेथ ओवर में प्रभावशाली हैं, लेकिन वो इस सीज़न के पहले हाफ़ में प्लेइंग XI से बाहर रहे। इसके अलावा टीम के खिलाड़ियों का फ़ील्ड प्लेसमेंट, गेंदबाज़ी में बदलाव पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए था। कोरी एंडरसन से डेथ ओवर में बॉलिंग कराई जाती थी। बैटिंग ऑर्डर में बार-बार बदलाव किया जा था, डी कॉक, मैकुलम, कोहली और वोहरा से टॉप ऑर्डर में बल्लेबाज़ी कराई गई और नाकामी हासिल हुई।
#2 नया कप्तान, नई सोच
हमने आईपीएल इतिहास में कई बार देखा है कि नए कोच और कप्तान की नियुक्ति के बाद टीम में नई जान आ गई है। अगर इसी तर्ज पर कोहली कप्तानी छोड़ दें और नए कप्तान को लाया जाए तो संभव है कि टीम में नई ऊर्जा का संचार होगा। मैदान में नई आवाज़ को सुनकर टीम के खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। कोहली ने कभी भी आरसीबी को ख़िताब नहीं दिलाया है, हो सकता है कि नया कप्तान ये कारनामा कर दे।
#1 कोहली का ध्यान सिर्फ़ बल्लेबाज़ी पर हो
कोहली हमेशा अपने बल्ले से कमाल दिखाते हैं, वो इस साल आरसीबी के तरफ़ से सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं, उनका औसत 40 से ज़्यादा का है। उनके ऊपर कप्तानी का दबाव है। उनकी टीम कई बार लक्ष्य का पीछा करने में नाकाम रही है। सनराइज़र्स हैदराबाद और राजस्थान रॉयल्स के ख़िलाफ़ अहम मैच में हार का सामना करना पड़ा था। अगर उन्हें कप्तानी की ज़िम्मेदारी से आज़ाद कर दिया जाए तो वो बिना किसी दबाव के बल्लेबाज़ी पर पूरा ध्यान दे सकते हैं। लेखक – राज अनुवादक – शारिक़ुल होदा