आईपीएल नीलामी के दौरान हर टीम ने अपनी रणनीति बनाई थी और उस हिसाब से ही बोली भी लगाई थी। लेकिन नीलामी उतार चढ़ाव से भरी रही और कई योजनाएं सफल नहीं हो पाई। बजट की कमी की वजह से कई टीम अपने हिसाब से खिलाड़ी नहीं ख़रीद पाई। हम यहां हर टीम की सबसे बड़ी कमज़ोरियों के बारे में चर्चा करेंगे जो आईपीएल 2018 में दिख रही हैं।
#1 चेन्नई सुपर किंग्स – उम्र की समस्या
चेन्नई सुपर किंग्स कई स्टार खिलाड़ियों को रिटेन किया है और कई उम्रदराज़ खिलाड़ियों को अपनी टीम में शामिल किया है। धोनी की उम्र 36, रैना की 31 साल है। जडेजा जिनकी उम्र 29 साल है, फिलहाल टीम इंडिया में जगह बनाने में नाकाम हैं। इन 3 खिलाड़ियों को रिटेन करने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि चेन्नई टीम के मालिक कुछ युवा खिलाड़ियों पर दांव लगाएंगे। नीलामी के दौरान पहले 8 खिलाड़ी जो चेन्नई टीम में शामिल हुए उनमे से किसी की उम्र 30 से कम नहीं थी। इनमें फ़ॉफ़ डू प्लेसी, हरभजन सिंह, ड्वेन ब्रावो, शेन वॉट्सन, केदार जाधव, अंबाती रायडु, इमरान ताहिर और कर्ण शर्मा शामिल हैं। ये बात ध्यान में रखी जानी चाहिए कि इन खिलाड़ियों को अगले 3 सीज़न के लिए चुना गया है ऐसे में बढ़ती उम्र चेन्नई टीम के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।
#2 दिल्ली डेयरडेविल्स – कमज़ोर बॉलिंग लाइन-अप
दिल्ली डेयरडेविल्स आईपीएल इतिहास की सबसे नाकामयाब टीम है। पिछले 10 सालों में ये टीम एक बार भी फ़ाइनल में नहीं पहुंची है। साल 2018 के लिए दिल्ली ने गौतम गंभीर को अपना कप्तान बनाया है। इस टीम की सबसे बड़ी समस्या बॉलिंग अटैक ही है। उम्मीद है कि बॉलिंग के लिए ये टीम मोहम्मद शमी, कगिसो राबादा, शहबाज़ नदीम, अमित मिश्रा और क्रिस मॉरिस पर निर्भर रहेगी। राहुल तेवतिया या विजय शंकर छठे गेंदबाज़ के तौर पर इस्तेमाल किए जाएंगे। शमी पिछले कई आईपीएल सीज़न में चोटिल रहे हैं, उनकी इकॉनमी रेट 9 के आसपास है। रबादा ने आईपीएल में महज़ 6 मैच खेले हैं, उनकी इकॉनमी रेट 8.81 रही है। अमित मिश्रा का आईपीएल में रिकॉर्ड शानदार रहा है, लेकिन वो अब 35 साल के हो चुके हैं। नदीम ने पिछले 15 मैच में सिर्फ़ 8 विकेट हासिल किए हैं। शंकर और तेवतिया के पास अनुभव की कमी है। यही वजह है कि दिल्ली के लिए गेंदबाज़ी चिंता का विषय है।
#3 किंग्ल इलेवन पंजाब- स्थापित विकेटकीपर की कमी
साल 2018 के लिए किंग्स इलेवन पंजाब ने संतुलित टीम चुनी है। इनके पास केएल राहुल, एरॉन फिंच, क्रिस गेल, करुण नायर और युवराज सिंह जैसे बेहतरीन बल्लेबाज़ हैं। गेंदबाज़ों में एंड्रयू टाई, रविचंद्रन अश्विन और अक्षर पटेल जैसे गेंदबाज़ हैं। इसके बावजूद टीम के पास कोई भी फुल टाइम विकेटकीपर नहीं है। मुमकिन है कि पंजाब ये जिम्मेदारी राहुल को सौंप सकती है। उन्होंने आरसीबी टीम के लिए विकेटकीपिंग की थी। राहुल कई बार चोट का शिकार हुए हैं, ऐसे में विकेटकीपर की कमी पंजाब को मुश्किल में डाल सकती है।
#4 कोलकाता नाइटराइडर्स – अनुभवी कप्तान की कमी
गौतम गंभीर के जाने के बाद केकेआर टीम में कोई भी ऐसा खिलाड़ी नहीं बचा जिसके पास कप्तानी का अच्छा-ख़ासा अनुभव हो। कोलकाता टीम के मालिकों ने सुनील नारेन और आंद्रे रसेल को रिटेन किया था। इसके बाद नीलामी में क्रिस लिन और मिचेल स्टार्क को ख़रीदा। ख़बरों के मुताबिक गंभीर दिल्ली टीम से खेलना चाहते थे ऐसे में केकेआर ने उन्हें राइट टू मैच कार्ड के ज़रिए रिटेन नहीं किया। कोलकाता की टीम में सदस्यों की संख्या मात्र 19 है। क्रिस लिन कंधे की चोट की वजह से शायद ये आईपीएल सीज़न न खेल पाएं। ऐसे में कोलकाता नाइट राइडर्स के मालिकों ने दिनेश कार्तिक को टीम का कप्तान बनाया है, जिन्हें कप्तानी के अनुभव की कमी है। अब देखना होगा कि कार्तिक गंभीर के इतिहास को दोहरा पाते हैं या नहीं।
#5 मुंबई इंडियंस – स्पिन गेंदबाज़
मुंबई इंडियंस ने साल 2017 की टीम के कई खिलाड़ियों को बरक़रार रखा है जिसमें रोहित शर्मा, हार्दिक पांड्या, क्रुणाल पांड्या, जसप्रीत बुमराह और काइरोन पोलार्ड शामिल हैं। लेकिन इस टीम ने स्पिन गेंदाबज़ों पर ध्यान नहीं दिया है। मुंबई में क्रुणाल पांड्या, राहुल चाहर और जेपी डुमिनी जैसे स्पिन गेंदबाज़ हैं। चाहर के पास अनुभव की कमी है, डुमिनी फ़ुल टाइम स्पिन गेंदबाज़ नहीं हैं। हांलाकि वानखेड़े में स्पिन पिच नहीं है लेकिन दूसरे मैदानों पर मुंबई टीम को समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
#6 राजस्थान रॉयल्स – विशेषज्ञ गेंदबाज़
चूंकि राजस्थान टीम में स्टीवन स्मिथ, अजिंक्य रहाणे, डी' आर्सी शॉर्ट, बेन स्टोक्स, संजू सैमसन और राहुल त्रिपाठी जैसे खिलाड़ी हैं तो ऐसे में बल्लेबाज़ी इनकी समस्या नहीं हैं। हांलाकि विशेषज्ञ गेंदबाज़ों की कमी इस टीम के परेशानी ज़रूर है। राजस्थान रॉयल्स टीम ने जयदेव उनादकट को 11.5 करोड़ रुपये में ख़रीदा है, लेकिन किसी फ़ुल टाइम गेंदबाज़ पर ख़र्च नहीं किया। बॉलिंग के लिए ये टीम जोफ़रा आर्चर, बेन स्टोक्स और कृष्णप्पा गौथम जैसे ऑलराउंडर्स पर निर्भर है।
#7 रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर – कमज़ोर मिडिल ऑर्डर
आरसीबी टीम में टॉप ऑर्डर हमेशा मज़बूत रहा है, विराट कोहली और एबी डीविलियर्स के मौजूदगी में ये समस्या है ही नहीं। इस टीम का मिडिल ऑर्डर हमेशा चिंता का विषय रहा है। ये टीम मध्य क्रम के लिए सरफ़राज़ ख़ान, कॉलिन डी ग्रैंडहोम, क्रिस वोक्स, मंदीप सिंह, मोइन अली और नाथन कुल्टर-नाइल पर निर्भर है। इन सभी बल्लेबाज़ों के पास अनुभव की कमी है। मंदीप सिंह का फ़ॉर्म सही नहीं चल रहा है, ऐसे में आरसीबी के लिए ये मुश्किल साबित हो सकता है।
#8 सनराइज़र्स हैदराबाद – लोअर मिडिल ऑर्डर
इस साल सनराइज़र्स हैदराबाद ने शिखर धवन और डेविड वॉर्नर की ओपनिंग जोड़ी को सीधे रिटेन किया है। मनीष पांडे को टीम में लाने के लिए हैदराबाद को 11 करोड़ रुपये चुकाने पड़े हैं। इस टीम ने केन विलियमसन को भी टीम में बरक़रार रखा है, गेंदबाज़ी के लिए भुवनेश्वर कुमार, राशिद ख़ान को टीम में जगह दी गई है। संदीप शर्मा, बासिल थंपी, सैयद अहमद और सिद्धार्थ कौल जैसे युवाओं पर भी भरोसा किया गया है। इस टीम की एक ही परेशानी है, वो है लोअर मिडिल ऑर्डर। शाक़िब अल हसन पिछले साल सिर्फ़ एक मैच ही खेल पाए थे, ऋद्धिमान साहा ने पिछले 14 मैच में महज़ 234 रन ही बनाए थे। दीपक हुड्डा को ज़्यादा मौके नहीं मिले थे। यूसुफ़ पठान भी इस टीम के सदस्य हैं लेकिन अब वो इतने प्रभावशाली नहीं रहे हैं। ऐसे में मोहम्मद नबी और कार्लोस ब्रेथवेट से काफ़ी उम्मीदें हैं। लेखक- विषणु राजेश अनुवादक- शारिक़ुल होदा