इंडियन प्रीमियर लीग एक लंबा टूर्नामेंट होता है, जिसमें हर एक टीम अपने प्रदर्शन के बूते एक सफल अभियान का अंत भी सफलता से करना चाहती है। एक खिलाड़ी अपने फिटनेस स्तर पर खरा उतरते हुए, बल्ले और गेंद से एक यादगार सत्र बनाना चाहता है। कुछ खिलाड़ी पूरे सत्र में अच्छा प्रदर्शन करते हैं जबकि अन्य केवल एक या दो मैच में ही अच्छा कर पाते हैं। हालांकि, अपनी पहचान वही बना पाते हैं जो अपनी टीम के लिये जरूरत पड़ने पर खड़े होते हैं और अपनी टीम को जीत दिला पाते है। टी 20 प्रारूप की गति ऐसी होती है कि कम गेंदों में भी दर्जन भर रन बनाने वाले, अच्छी तरह से बनाये गये अर्धशतक को दबा देते है। आईये एक नज़र डालते है, ऐसे खिलाड़ियों पर जिन्होंने आईपीएल के फाइनल में अपने प्रदर्शन से टीम को सफलता दिलायी, अब तक कोई भी खिलाड़ी दो बार ऐसा करने में सफल नही हो पाया है।
# 10 यूसुफ पठान (2008)
आईपीएल के शुरुआती संस्करण में कमजोर आंकी गयी राजस्थान रॉयल्स ने जब फाइनल में पहुंचने में सफलता पाई तो सभी को चौंका दिया था। स्पिनर शेन वॉर्न के प्रेरणादायी नेतृत्व में युवा प्रतिभाओं ने उभरते हुए शानदार प्रदर्शन किया और टूर्नामेंट के फाइनल में आक्रमक बल्लेबाज़ यूसुफ पठान ने इसे खुद के लिये एक मंच के रूप में प्रयोग किया। चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ पहले गेंदबाजी करते हुए यूसुफ ने पहले तीन विकेट लिए, जिसमें पार्थिव पटेल, एस विद्युत और एल्बी मोर्कल के विकेट शामिल थे। उन्होंने अपने चार ओवरों में 22 रन देकर 3 विकेट लेकर उत्कृष्ट आंकड़े दर्ज किये और सीएसके को 164 के स्कोर पर रोकने में बड़ी भूमिका निभाई। पठान के लिये मैच यही नही खत्म हुआ और जब एक समय लक्ष्य का पीछा करते हुए उनकी टीम 42-3 पर थी, तो बड़ौदा के दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 39 गेंदों में 56 रन की पारी धमाकेदार पारी खेली, जिसमें 3 चौके और 4 लंबे छक्के शामिल भी थे।
# 9 अनिल कुंबले (2009)
आईपीएल फाइनल में हारने वाली टीम की ओर से एकमात्र मैन ऑफ़ द मैच अवार्ड पाने वाले खिलाड़ी अनिल कुंबले हैं, जिन्होंने अपनी टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर को अपने शानदार प्रदर्शन से ट्राफी के काफी पास तक पहुँचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कप्तान केविन पीटरसन के सीज़न के बीच में ही चले जाने के बाद, कुंबले ने टीम का आक्रमक तौर पर नेतृत्व किया और फाइनल मैच में डेक्कन चार्जर्स के खिलाफ पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। खुद गेंदबाजी की शुरुआत करते हुए, उन्होंने अपने समकक्ष एडम गिलक्रिस्ट को मैच की तीसरी गेंद पर ही पवेलियन भेज दिया। आईपीएल के इतिहास में स्पिन गेंदबाजी के इस सबसे खूबसूरत और प्रभावशाली गेंदबाज़ी स्पेल में से एक में उन्होंने एंड्रयू साइमंड्स और रोहित शर्मा के महत्वपूर्ण विकेटों को भी हासिल किया और उन्होंने चार ओवरों में महज 16 रन देकर 4 विकेट लिए। चार्जर्स को 143 पर रोकने के बाद, आरसीबी के लिए जीत आसान दिख रही थी। लेकिन फाइनल में लक्ष्य का पीछा करने का दबाव उनपर बना रहा और वे 6 रन से मैच हार गये। विडंबना यह रही कि कुंबले मैच की समाप्ति पर नॉन-स्ट्राइकर थे, अपने गेंद से अपने यादगार प्रदर्शन के बाद बीच मैदान पर सिर्फ टीम को हारते देखते रहे।
# 8 सुरेश रैना (2008)
आईपीएल के तीसरे सीजन में फाइनल में चेन्नई सुपर किंग्स और मुंबई इंडियंस की भिड़ंत हुई है। टॉस जीतकर, महेंद्र सिंह धोनी ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया और सीएसके ने धीमी गति से शुरूआत की। 11.2 ओवर के बाद 67/3 का स्कोर बनाने के बाद, उन्हें एक चमत्कारी पारी की जरुरत थी, जिससे कि वह चुनौतीपूर्ण लक्ष्य तक पहुँच सके। चेन्नई के सबसे ज्यादा भरोसेमंद बल्लेबाज सुरेश रैना ने ऐसा ही किया टीम के लिये एक तेज़ पारी खेली। बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 35 गेंदों का सामना किया और नाबाद 57 रनों की पारी खेली, जिसमें तीन चौके और इतने ही छक्के भी शामिल थे। रैना की इस पारी ने उनकी टीम को 168 के स्कोर तक पहुँचाया और फिर जब वो गेंदबाज़ी करने आये तो इस ऑफ स्पिनर ने पहले पारी के 12 वें ओवर में अच्छी तरह से सेट हो चुके अभिषेक नायर को रन आउट किया और फिर पिंच हिटर हरभजन सिंह को LBW आउट कर दिया दिया और मुंबई के लिये लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल कर दिया। हालाँकि काइरोन पोलार्ड ने निचले क्रम एक तेजतर्रार पारी जरुर खेली मगर वह मुंबई के लिये आईपीएल ट्राफी उठाने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
# 7 मुरली विजय (2011)
चेन्नई सुपर किंग्स, जो चार साल में अपना तीसरा आईपीएल फाइनल खेल रहे थे, 2011 की खिताबी भिड़ंत में 2009 के उप विजेता रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के खिलाफ उतरे थे। पिछले दो मौकों की तरह, सीएसके ने इस मैच में भी पहले बल्लेबाजी की। आरसीबी के गेंदबाजों के लिये वह एक भयानक शाम रही थी क्योंकि माइक हसी और स्थानीय खिलाड़ी मुरली विजय की जोड़ी ने जमकर रन लूटे। दाएं हाथ के भारतीय सलामी बल्लेबाज विजय ने मैदान के सभी हिस्सों में शॉट खेले, और 52 गेंदों में 95 रन बनाये और इस दौरान चार चौके और 6 छक्के जड़े। वह तीन अंकों के आंकड़े तक पहुँचने से चूक गए, लेकिन उनके और हसी के बीच हुई 159 रन की सलामी साझेदारी के चलते, उनकी टीम ने आरसीबी के सामने 205 रनों का पहाड़ जैसा लक्ष्य खड़ा कर दिया था। सितारों से सजी आरसीबी बल्लेबाजी क्रम दबाव में ताश के पत्तों की तरह बिखर गयी और 58 रन से मैच हार गए। मुरली विजय को उनकी मैच जिताऊ पारी के लिये मैन ऑफ़ द मैच मिला।
# 6 मनविंदर बिस्ला (2012)
2010, 2011 और 2012 के आईपीएल फाइनल में बहुत सामान्य बात थी, चेन्नई सुपर किंग्स सभी फाइनल में एक छोर पर थी, एमएस धोनी ने तीनों बार टॉस जीता और सीएसके ने पहले बल्लेबाजी की। सिर्फ उनकी विरोधी टीम बदलती रही थी और 2012 में एक अन्य चीज़ जो बदली वो थी उसका परिणाम। कोलकाता नाइट राइडर्स ने आखिरकार गौतम गंभीर के नेतृत्व में कमतर प्रदर्शन करने वाली टीम का टैग हटाया था। जीत के लिए वे चेन्नई द्वारा निर्धारित 190 के एक कठिन लक्ष्य का पीछा करने उतरे। सलामी बल्लेबाज और कप्तान गौतम गंभीर का पहले ओवर में ही विकेट गिर गया, जिसके बाद जैक कालिस ने विकेटकीपर बल्लेबाज मानविंदर बिस्ला के साथ साझेदारी बनाई। हरियाणा के दाएं हाथ के बल्लेबाज बिसला ने कैलिस के साथ 136 रन की साझेदारी की। बिसला ने 48 गेंदों पर 89 रन का योगदान दिया। उनकी पारी में आठ चौके और पांच छक्के शामिल थे। अपनी टीम के पक्ष में मैच लाने के बाद बिस्ला ने अपना विकेट गंवा दिया और आईपीएल फाइनल में पहला शतक बनाने का मौका भी गवा दिया। निचले मध्य क्रम में मनोज तिवारी और शाकिब अल हसन ने सुनिश्चित किया कि बिस्ला का प्रयास जाया न जाये और केकेआर ने अपना पहला आईपीएल खिताब जीता था।
# 5 काइरोन पोलार्ड (2013)
आईपीएल फाइनल में शामिल होती आयी चेन्नई सुपर किंग्स ने 2013 सीजन में भी फाइनल में जगह बनाई और इस बार वे मुंबई इंडियंस से चैंपियनशिप जीतने के लिये लड़े। टॉस जीतकर, मुंबई के कप्तान रोहित शर्मा के बल्लेबाजी का फैसला लिया और जल्द ही उनकी टीम 16-3 पर संघर्ष करती नज़र आयी। 9.3 ओवर के बाद 52-4 के स्कोर पर विंडीज के मेगा स्टार किरॉन पोलार्ड बल्लेबाजी करने उतरे। पारी में शेष 63 गेंदों में से पोलार्ड ने 32 रनों का सामना किया, जिनमें 7 चौके और 3 छक्के शामिल थे। मुंबई ने चेन्नई को पारी के अंत में 149 रनों का लक्ष्य दिया था। यदि मुंबई की शुरुआत खराब रही थी तो मुंबई की और भी ज्यादा खराब रही थी, मगर 'कप्तान कूल' धोनी अकेले लड़ाई लड़ रहे थे और दूसरी और उनके साथी एक के बाद एक जाते रहे हैं। अश्विन ने अपने कप्तान के साथ कुछ देर रुकने का प्रयास किया, जो पोलार्ड की मध्यम गति की गेंद के साथ ही समाप्त हो गया था, इसप्रकार मुंबई ने चेन्नई को 23 रनों से हराकर अपना पहला आईपीएल खिताब जीता था।
# 4 मनीष पांडे (2014)
बेंगलुरु में एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला गया 2014 का फाइनल दर्शकों के लिये एक नया अनुभव था, जब आईपीएल फाइनल में ऐसा पहली बार हुआ था कि खेल रही दोनों टीमों में से कोई भी पीली जर्सी में नही थी। एक बार के विजेता केकेआर और किंग्स इलेवन पंजाब के बीच एक उच्च स्कोरिंग मुकाबला हुआ था। गौतम गंभीर द्वारा पहले बल्लेबाजी करने के लिये आमंत्रण मिलने के बाद पंजाब एक समय 5.1 ओवरों के बाद 30-2 पर संघर्ष कर रहा था, मगर इसके बाद ग्लेन मैक्सवेल और डेविड मिलर से पहले भेजे गए ऋद्धिमान साहा ने आईपीएल फाइनल में पहला शतक बनाने वाला खिलाड़ी बनते हुए, कोलकाता के लिए 200 का एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य दिया। वह सिर्फ 55 गेंदों पर 115 पर बनाकर नाबाद रहे। जीतने के लिए मिले 200 के लक्ष्य का पीछा करते हुए केकेआर की ओर से मनीष पांडे ताबड़तोड़ पारी खेली और 7 चौके और 6 छक्के मारकर, स्थानीय खिलाड़ी पांडे ने 94 रन बनाये। सिर्फ 21 रनों के शेष रहते पांडे आउट हो गये, मगर पियुष चावला की बल्लेबाजी ने यह सुनिश्चित किया कि उनके साथी की पारी बेकार न जाये।
# 3 रोहित शर्मा (2015)
ईडन गार्डन्स के साथ रोहित शर्मा के फॉर्म का पुराना नाता रहा है: चाहे वह टेस्ट (उनका पहला शतक), एकदिवसीय(श्रीलंका के खिलाफ करिश्माई 264) या आईपीएल, रोहित ने हमेशा ही इस मैदान पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। 2015 के संस्करण में मुंबई इंडियंस का सामना अपना छठा आईपीएल फाइनल खेल रही चेन्नई सुपर किंग्स से हुआ था। पहले बल्लेबाजी करते हुए मुंबई ने लैंडल सीमन्स (68) और पोलार्ड और रायुडू दोनों ने 36 रन की पारी खेली। हालांकि, पारी के असली नायक बन रोहित उभरे और उन्होंने 26 गेंद पर एक तेज़ अर्धशतक बनाया जिसमे छह चौके और दो छक्के शामिल थे। अपने तीसरे आईपीएल खिताब के लिए 202 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए, चेन्नई 41 रन से मैच हार गया क्यूंकि सीएसके के विकेट लगातार गिरते रहे।
# 2 बेन कटिंग (2016)
आईपीएल फाइनल के 2016 के सीजन में वॉर्नर की सनराइजर्स हैदराबाद की भिड़ंत कोहली के रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर से हुई। दोनों टीमों के कप्तानों ने फाइनल तक अपनी टीमों को पहुँचाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। अच्छी शुरुआत करने के बाद, हैदराबाद को सिर्फ चार ओवर शेष रहते 147-5 था और वार्नर, धवन, युवराज और हेनरीकस आउट हो चुके थे। ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर बेन कटिंग ने इस मौके पर सिर्फ 15 गेंद में चार छक्के और तीन चौके लगाए थे जो कि बैंगलोर के लिये 39 रन खर्चीला हुआ। आरसीबी ने 209 के लक्ष्य का पीछा करना शुरू किया और गेल और कोहली दोनों के बीच साझेदारी के चलते एक समय आरसीबी 114-0 के स्कोर के साथ मैच में आगे दिख रही थी। ऐसे में कटिंग ने एक बार फिर से मैच का रुख बदल दिया, और इस बार अपनी गेंदबाजी के साथ। उन्होंने 76 रन पर गेल को आउट किया और केएल राहुल को आउट कर महत्वपूर्ण सफलता हासिल की, और अंत में आरसीबी 8 रनों से मैच हार गया और एक बार फिर आईपीएल में 'चोकर्स' टैग के साथ लौटे। कटिंग को उनके प्रदर्शन के लिये मैन ऑफ द मैच अवार्ड मिला और उन्हें आईपीएल के इतिहास में सर्वाधिक प्रभावशाली ऑल-राउंडर के रूप में माना जा सकता है।
# 1 क्रुणाल पांड्या (2017)
2017 का आईपीएल फाइनल- एक मराठी टक्कर रहा, जहाँ मुंबई इंडियंस और अंतरिम फ्रेंचाइजी राइजिंग पुणे सुपरजयिन्ट्स के बीच मुकाबला खेला गया था। एकतरफा माना गया मैच क्रुनाल पंड्या की बल्लेबाजी प्रतिभा, और की एकाग्रता की कमी के कारण एक कम स्कोरिंग थ्रिलर में बदल गया। पहले बल्लेबाजी करते हुए, मुंबई ने नियमित अंतराल पर विकेट खोए, और उनका शीर्ष क्रम विफल रहा। पोलार्ड और हार्डिक पंड्या कोई प्रभाव डालने में नाकाम रहे, क्रीज पर क्रुणाल की मौजूदगी से मुंबई की उम्मीद कायम थी। मैच की स्थिति के अनुसार खेलते हुए, उन्होंने बुद्धिमानी से बल्लेबाजी भी की जिसमे 38 गेंदों में 47 रन बनाये और 26 रन बाउंडरी से आये। अंतिम आठ ओवरों से सिर्फ 50 रनों की आवश्यकता रहते, पुणे के लिये जीत तय दिख रही थी। मगर मुंबई की अनुशासित गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण ने पुणे की हार तय की और 129 रन के आसन लक्ष्य से सिर्फ एक रन से चूक गये। क्रुनाल पांड्या को मैन ऑफ द मैच चुना गया था और यही वजह भी थी कि मुंबई ने 2018 के आईपीएल सीजन के लिए अपने आरटीएम कार्ड के माध्यम से उन्हें वापस खरीदा। लेखक: कुशाग्र अग्रवाल अनुवादक: राहुल पांडे