चेन्नई सुपर किंग्स आईपीएल की मौजूदा चैंपियन है, साल 2019 के सीज़न के लिए इस टीम ने पूरी तैयारियां कर ली हैं। चेन्नई के मालिकों ने ज़्यादातर खिलाड़ियों को रिटेन करने का फ़ैसला किया है ताकि टीम का संतुलन न बिगड़े। 23 खिलाड़ी टीम में पहले से ही थे, इसके अलावा 3 सदस्यों को रिलीज़ कर दिया गया है और 2 को शामिल किया गया है। कोच स्टीफ़न फ़्लेमिंग ने बोली लगाने वाले सदस्यों को ज़्यादा परेशान नहीं किया है। टीम में तेज़ गेंदबाज़ मोहित शर्मा को वापस बुलाया गया है और हुनरमंद खिलाड़ी ऋतुराज गायकवाड को शामिल किया गया है।
चेन्नई ने 3 बार आईपीएल ख़िताब पर कब्ज़ा जमाया है और साल 2019 में इनकी नज़र चौथी बार ट्रॉफ़ी हासिल करने पर है। अगले साल ये टीम लगभग वही खिलाड़ियों को लेकर अपने अभियान की शुरुआत करेगी जिनके ज़रिए पिछली बार ख़िताब जीता था। इस टीम में कई सकारात्मक पहलू हैं जो इसको मज़बूती देते हैं। फिर भी कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां ये टीम असंतुलित नज़र आती है। यहां हम चेन्नई सुपरकिंग्स की 3 ऐसी कमज़ोरियों को लेकर चर्चा करेंगे जिन्हें नज़रअंदाज़ करना बड़ी भूल साबित हो सकती है।
#1 टीम में अनुभवी विदेशी तेज़ गेंदबाज़ की ग़ैरमौजूदगी
यहां हम ऐसे गेंदबाज़ की बात कर रहे हैं जो बेहद तेज़ गेंद फेंकते हैं, इसलिए इस चर्चा में हम ड्वेन ब्रावो की शामिल नहीं कर रहे हैं। चेन्नई टीम ने हाल में ही मार्क वुड को रिलीज़ किया है। ऐसे में धोनी की टीम में लुंगी नगीदी और डेविड विली ही विदेशी तेज़ गेंदबाज़ बचेंगे। विली को लेकर ये आशंका जताई जा रही है कि शायद वो पूरे सीज़न के लिए टीम में मौजूद नहीं रहेंगे क्योंकि वो उस वक़्त अपनी राष्ट्रीय टीम को सेवाएं दे सकते हैं। अब ऐसे में पूरे टूर्नामेंट के लिए एक विदेशी तेज़ गेंदबाज़ पर निर्भर रहना कहां तक सही होगा।
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#2 टीम में युवा खिलाड़ियों की कमी
चेन्नई सुपरकिंग्स के खिलाड़ियों की औसत आयु 32 साल है और इनकी बदौलत इस टीम ने पिछला आईपीएल ख़िताब जीता था। लेकिन क्या 2019 में भी सीनियर खिलाड़ियों का ये दल वही कमाल दिखा पाएगा ? ये कहना थोड़ा मुश्किल है। सुरेश रैना, हरभजन सिंह, शेन वॉटसन और ड्वेन ब्रावो अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेल रहे हैं, ऐसे क्या ये खिलाड़ी इतनी ज़्यादा गर्मी के मौसम में अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे ?
शेन वॉटसन ने पिछले आईपीएल सीज़न के फ़ाइनल में सनराइज़र्स हैदराबाद के ख़िलाफ़ विस्फोटक बल्लेबाज़ी की थी। अब 37 साल की उम्र में वॉटसन से हर मैच में शानदार प्रदर्शन की उम्मीद करना बेमानी होगी। हरभजन सिंह के साथ भी यही परेशानी है, क्योंकि वो आजकल ज़्यादा क्रिकेट नहीं खेल रहे हैं। चेन्नई के मालिकों को टीम में कुछ युवा चेहरों को भी जगह देनी चाहिए थी जिससे उम्र का संतुलन बना रहता।
#3 टॉप ऑर्डर में विकल्प की कमी
चेन्नई टीम की मज़बूती में बल्लेबाज़ी का बहुत बड़ा योगदान रहा। बैटिंग की ही बदौलत ये टीम 3 बार ख़िताब अपने नाम करने में कामयाब रही है। लेकिन साल 2019 में बल्लेबाज़ी के क्षेत्र में चेन्नई टीम को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अगर अंबाती रायडू की बात करें तो पिछले सीज़न में उन्हें कई क्रम में आज़माया गया था। हर ऑर्डर में रायडू ने अपनी ज़िम्मेदारी बख़ूबी निभाई थी। जब इस दल में फ़ॉफ़ डुप्लेसी को शामिल किया गया, तब रायडू को निचले क्रम में भेज दिया गया था।
डुप्लेसी ने पिछले सीज़न में ज़्यादा कमाल नहीं दिखाया, हांलाकि प्लेऑफ़ में उन्होंने नाबाद 67 रन की मैच जिताउ पारी खेली थी। भले ही इस दक्षिण अफ़्रीकी बल्लेबाज़ की क़ाबिलियत पर शक नहीं किया जा सकता, फिर भी उनका एक बेहतर विकल्प ज़रूरी है। टीम में वॉटसन, डुप्लेसी और रायडू की जगह मुरली विजय पारी की शुरुआत कर सकते हैं। हांलाकि विजय अब टी-20 के उतने प्रभावी खिलाड़ी नहीं रहे। ऐसे में चेन्नई टीम के मालिकों को टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज़ों का चयन करना चाहिए था।