#3 टॉप ऑर्डर में विकल्प की कमी
चेन्नई टीम की मज़बूती में बल्लेबाज़ी का बहुत बड़ा योगदान रहा। बैटिंग की ही बदौलत ये टीम 3 बार ख़िताब अपने नाम करने में कामयाब रही है। लेकिन साल 2019 में बल्लेबाज़ी के क्षेत्र में चेन्नई टीम को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अगर अंबाती रायडू की बात करें तो पिछले सीज़न में उन्हें कई क्रम में आज़माया गया था। हर ऑर्डर में रायडू ने अपनी ज़िम्मेदारी बख़ूबी निभाई थी। जब इस दल में फ़ॉफ़ डुप्लेसी को शामिल किया गया, तब रायडू को निचले क्रम में भेज दिया गया था।
डुप्लेसी ने पिछले सीज़न में ज़्यादा कमाल नहीं दिखाया, हांलाकि प्लेऑफ़ में उन्होंने नाबाद 67 रन की मैच जिताउ पारी खेली थी। भले ही इस दक्षिण अफ़्रीकी बल्लेबाज़ की क़ाबिलियत पर शक नहीं किया जा सकता, फिर भी उनका एक बेहतर विकल्प ज़रूरी है। टीम में वॉटसन, डुप्लेसी और रायडू की जगह मुरली विजय पारी की शुरुआत कर सकते हैं। हांलाकि विजय अब टी-20 के उतने प्रभावी खिलाड़ी नहीं रहे। ऐसे में चेन्नई टीम के मालिकों को टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज़ों का चयन करना चाहिए था।