टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को लेकर हितों के टकराव का मामला थमा ही था कि अब एक नया मामला सामने आ गया है। इसमें बीसीसीआई लोकपाल डीके जैन ने क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण को नोटिस जारी कर दिया है। दोनों पूर्व खिलाड़ियों को नोटिस इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के मेंटर के साथ बोर्ड की सलाहकार समिति (सीएसी) के सदस्य होने के कारण कथित हितों के टकराव की वजह से जारी किया गया है। इसके तहत सचिन और लक्ष्मण को 28 अप्रैल तक जवाब देना है।
बीसीसीआई लोकपाल ने यह नोटिस मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) के आजीवन सदस्य संजीव गुप्ता के आरोप के बाद जारी किया। उन्होंने आरोप लगाया था कि सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण ने बीसीसीआई के संविधान के नियम का उल्लंघन किया है। सचिन मुंबई इंडियंस और लक्ष्मण सनराइजर्स हैदराबाद के मेंटर हैं। इस तरह हितों के टकराव का यह तीसरा मामला हो गया है। इससे पहले सौरव गांगुली को हितों के टकराव के मामले में सफाई देनी पड़ी थी। तीनों पूर्व खिलाड़ियों ने 2017 में सीनियर राष्ट्रीय कोच रवि शास्त्री का चयन किया था, जो उनकी अंतिम बैठक थी। लोकपाल ने 28 अप्रैल तक दोनों पूर्व खिलाड़ियों को नोटिस का लिखित जवाब देने और साथ ही बीसीसीआई से भी जवाब देने को कहा है।
हालांकि, इस नोटिस से बीसीसीआई के अधिकारी बिल्कुल भी खुश नजर नहीं आ रहे हैं। बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सचिन तेंदुलकर का मुंबई इंडियंस के साथ कोई वित्तीय अनुबंध नहीं है। सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण स्वेच्छा से क्रिकेट सलाहकार समिति का हिस्सा हैं। चूंकि, गांगुली को नोटिस जारी किया गया था इसलिए बीसीसीआई लोकपाल ने सचिन और लक्ष्मण को भी नोटिस जारी किए हैं। फिर भी मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि सचिन मुंबई टीम से एक पैसा भी नहीं लेते हैं। वह सिर्फ स्वैच्छिक सेवा कर रहे हैं। यही नहीं, सीएसी के सदस्य के रूप में उन्हें कभी बीसीसीआई ने कोई भुगतान नहीं किया है।
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