मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण को हितों के टकराव के मामले में बीसीसीआई लोकपाल डीके जैन ने नोटिस जारी किया था। अब सचिन ने उस नोटिस का जवाब दिया है। इसमें उन्होंने खुद पर लगे हितों के टकराव के आरोपों से साफ इनकार किया है। सचिन ने अपने जवाब में साफ किया कि उन्होंने आईपीएल की फ्रैंचाइजी मुंबई इंडियंस से किसी प्रकार का कोई आर्थिक लाभ हासिल नहीं किया है। साथ ही फ्रेंचाइजी के किसी फैसले में उनकी कोई भूमिका नहीं रही है।
सचिन तेंदुलकर ने यह दावे बीसीसीआई लोकपाल के जारी नोटिस के बाद दिए लिखित जवाब में किए हैं। इसमें उन्होंने 14 बिंदुओं का उल्लेख किया है। सचिन ने दोहरी भूमिका के सवाल पर जवाब दिया कि संन्यास के बाद से मैं मुंबई इंडियंस में किसी भी पद पर नहीं हूं। साथ ही मैं टीम को लेकर कोई फैसला भी नहीं लेता हूं। इस वजह से यह बीसीसीआई के नियमों के तहत या अन्य किसी तरह से हितों का टकराव नहीं है। सीएसी में अपनी भूमिका को लेकर सचिन ने लिखा कि मैं 2015 में बीसीसीआई समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त हुआ था। उसी साल मुंबई इंडियंस से भी जुड़ा था। हालांकि, सीएसी में शामिल होने से काफी पहले ही मुंबई इंडियंस का मुझे आईकन घोषित किया गया था। यह सबकी जानकारी में रहा है। सचिन तेंदुलकर ने डगआउट में बैठने को लेकर कहा है कि मुंबई के पास बल्लेबाजी, गेंदबाजी और मुख्य कोच हैं, जो अपना काम करते हैं। वे केवल टीम का उत्साहवर्द्धन करने के लिए उसका हिस्सा बनते हैं, जहां खिलाड़ी, कोच और सपोर्ट स्टाफ बैठता है।
सचिन और लक्ष्मण के खिलाफ मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ के सदस्य संजीव गुप्ता ने शिकायत की थी। उनका आरोप था कि सचिन और लक्ष्मण ने क्रमश: मुंबई इंडियंस और सनराइजर्स हैदराबाद के सहायक सदस्य और बीसीसीआई के क्रिकेट सलाहकार समित (सीएसी) के रूप में दोहरी भूमिका निभाई है। उन्होंने इसे ही कथित हितों के टकराव का मामला बताया था।
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