इंडियन प्रीमियर लीग का 12वां सीजन अभी तक का सबसे बेस्ट सीजन रहा है, क्योंकि इस बार हमने ऐसे खिलाड़ियों को मैदान में बेहतरीन प्रदर्शन करते देखा, जिसकी उम्मीद नहीं की जा सकती। टूर्नामेंट के दौरान टीमों को एक दूसरे पर जीत हासिल करने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। क्योंकि हर टीम के पास दुनिया के सबसे बेहतरीन खिलाड़ी थे।
हालांकि इसके बावजूद अगर हम टूर्नामेंट की सभी टीमों के कप्तानों की बात करें, तो इसमें चेन्नई सुपरकिंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा उम्मीदों पर खरे उतरे हैं। इनके अलावा दिल्ली कैपिटल्स ने भी इस सीजन में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए प्लेऑफ में जगह बनाई। वहीं कुछ खिलाड़ियों की कप्तानी पर सवाल भी उठे हैं, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण राजस्थान रॉयल्स के कप्तान अजिंक्य रहाणे हैं।
रहाणे की कप्तानी में टीम ने सीजन में शुरुआती आठ मैचों में केवल दो मैच जीते। जिसकी वजह से बीच टूर्नामेंट में ही रहाणे की जगह स्टीव स्मिथ को टीम की कप्तानी सौंप दी गई। आज हम आपको आईपीएल इतिहास के चार ऐसे मौकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जब आईपीएल के एक सत्र के बीच में ही टीमों को कप्तान बदलने की जरूरत पड़ी। जानिए कौन से हैं वो चार मौके-
डेक्कन चार्जर्स की कप्तानी वीवीएस लक्ष्मण से लेकर एडम गिलक्रिस्ट को सौंपना
सबसे पहला उदाहरण हमें आईपीएल के पहले सत्र में 2008 में ही देखने को मिला था। वर्तमान में सनराइजर्स हैदराबाद के नाम से खेलने वाली टीम ने डेक्कन चार्जर्स के नाम से आईपीएल खेलना शुरू किया था। यह टीम उस दौरान एडम गिलक्रिस्ट, एंड्र्यू साइमंड्स, शाहिद अफरीदी और हर्शल गिब्स जैसे विदेशी खिलाड़ियों से सजी हुई थी। जबकि इस टीम में रोहित शर्मा, वेणुगोपाल राव, और प्रज्ञान ओझा जैसे भारतीय खिलाड़ी शामिल थे। इस टीम की कमान भारत के स्टार खिलाड़ी वीवीएस लक्ष्मण को सौंपी गई थी। उस सीजन में मात्र 6 मैच खेलने के बाद ही लक्ष्मण को चोट लग गई और उन्हें उस सीजन से बाहर होना पड़ा। जिसके बाद इस टीम की कमान ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट को दी गई। हालांकि फिर भी यह टीम कुछ खास नहीं कर सकी और उस सीजन में 14 मैचों में से मात्र 2 मैच जीतने में सफल रही थी।
डेनियल विटोरी की जगह विराट कोहली को आरसीबी की कप्तानी मिलना
इसका दूसरा उदाहरण हमें रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की टीम में देखने को मिला। आरसीबी ने साल 2011 के आईपीएल में कमाल का प्रदर्शन करते हुए फाइनल तक का सफर तय किया था लेकिन बदकिस्मती से आईपीएल ट्रॉफी जीतने में नाकामयाब रही थी। हालांकि इस टीम ने 2012 में दिल्ली की टीम को हराते हुए अच्छी शुरुआत की लेकिन अगले तीन मैचों में आरसीबी को हार का सामना करना पड़ा। फिर भी टीम ने अच्छी वापसी करते हुए अगले तीन मैचों में जीत हासिल की। उस सीजन में मुथैया मुरलीधरन ने आरसीबी के लिए सबसे कमाल की गेंदबाजी की और उनकी वजह से टीम के कप्तान डेनियल विटोरी को बाहर बैठना पड़ा और उनकी जगह विराट कोहली को कप्तानी सौंप दी गई। जिसके बाद विराट कोहली के नेतृत्व में इस टीम ने अगले छह मैचों मे से चार में जीत हासिल की, हालांकि फिर भी यह टीम प्लेऑफ में जगह बनाने से चूक गई थी।
मुंबई इंडियंस की कप्तानी रिकी पोंटिंग की जगह रोहित शर्मा को देना
सभी को मालूम है कि रिकी पोंटिंग की गिनती दुनिया के सबसे सफल कप्तानों में की जाती है लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि रोहित शर्मा की कप्तानी में ही मुंबई को आईपीएल में तीन बार चैंपियन बनने का मौका मिला। साल 2013 के आईपीएल में आरसीबी के हाथों 2 रन से हार के साथ मुंबई ने सीजन शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने तीन मुकाबले और जीते और एक मजबूत टीम के रूप में उभरी। हालांकि मुंबई की ओर से कप्तान पोंटिंग सबसे असफल खिलाड़ी साबित हुए। पॉवरप्ले में रन बनाना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। जिसके कारण पोंटिंग ने मुंबई की कप्तानी छोड़ने का फैसला किया। उनकी जगह रोहित को इस टीम की कप्तानी सौंपी गई और ये मुंबई इंडियंस के लिए अच्छा भी रहा। उसी सीजन में रोहित की कप्तानी में टीम ने प्लेऑफ में जगह बनाई और फाइनल मैच में सीएसके को हराकर आईपीएल ट्रॉफी भी अपने नाम की।
डेक्कन चार्जर्स की कप्तानी कुमार संगाकारा की जगह कैमरन व्हाइट को देना
डेक्कन चार्जर्स एक ऐसी टीम थी, जिसने साल 2009 में आईपीएल ट्रॉफी अपने नाम की। हालांकि इसके बाद इस टीम के ग्राफ में लगातार गिरावट दर्ज की गई। साल 2011 का सीजन इस टीम के लिए बेहद खराब रहा, इसके बाद 2012 के सीजन की शुरुआत भी कुछ खास नहीं रही। कप्तान कुमार संगाकारा भी अपनी टीम के लिए कुछ खास नहीं कर सके और सीजन के बीच में ही टीम की कप्तानी छोड़ने का फैसला लिया। जिसके बाद टीम की कप्तानी कैमरन व्हाइट को दे दी गई। हालांकि गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों में ही विफल रहने के कारण यह टीम प्लेऑफ मे जगह बनाने में नाकामयाब रही। उस सीजन में यह टीम केवल चार मैच ही जीत सकी थी।