साल 2018 की नीलामी से पहले भी गौतम गंभीर ने दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम में वापस जाने की इच्छा जताई थी। आख़िरकार उनकी ये ख़्वाहिश पूरी हुई और टीम मैनेजमेंट ने उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें टीम का कप्तान बनाया। उन्होंने दिल्ली के पहले मैच में किंग्स-XI पंजाब के ख़िलाफ़ हाफ़ सेंचुरी लगाई थी, लेकिन उससे बाद वो हर बार नाकाम रहे। उन्होंने अगले 4 मैच में क्रमश: 15,8,3 और 4 रन बनाए। उनके बल्लेबाज़ी का स्तर मैच दर मैच गिरता चला गया। बल्लेबाज़ी के अलावा उनकी कप्तानी भी दिल्ली टीम के किसी काम नहीं आ रही है, ये टीम प्वाइंट्स टेबल में सबसे नीचे जा चुकी है। ऐसा लगने लगा था कि मैनेजमेंट उनको लेकर कुछ कड़े फ़ैसले ले सकती है। ऐसा कुछ होता, इससे पहले ही गंभीर ने अपनी कप्तानी से इस्तीफ़ा दे दिया ताकि दिल्ली टीम का फ़ायदा हो सके। अब युवा बल्लेबाज़ श्रेयस अय्यर को दिल्ली की कमान सौंपी गई है। अय्यर भी उस चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हम यहां 4 ऐसे मौकों के बारे में चर्चा कर रहे हैं जब किसी आईपीएल टीम के कप्तान ने अपनी टीम के फ़ायदे के लिए कप्तानी से इस्तीफ़ा दे दिया था।
कुमार संगकारा
साल 2012 के आईपीएल सीज़न की शुरुआत में डेक्कन चार्जर्स के कप्तान कुमार संगाकार ने कुछ मैच खेलने के बाद टीम की कप्तानी छोड़ दी थी। वो न ही उम्मीद के मुताबिक बल्लेबाज़ी कर पा रहे थे और न ही अपनी कप्तानी से टीम को फ़ायदा पहुंचा पा रहे थे। इस कड़े कदम का मकसद बस इतना था कि बाक़ी विदेशी खिलाड़ियों को प्लेइंग-XI में शामिल होने का मौका मिल सके और टीम को रफ़्तार हासिल हो। संगकारा ने डेक्कन टीम की बागडोर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ कैमरन व्हाइट को सौंप दी। हांलाकि संगकारा के इस कदम का फ़ायदा टीम को नहीं मिल सका और 9 टीम के टूर्नामेंट में डेक्कन चार्जर्स 8वें स्थान पर रही थी।
डेनियल विटोरी
साल 2010 के आईपीएल सीज़न के बाद दिल्ली डेयरडेविल्स ने न्यूज़ीलैंड के बाएं हाथ के स्पिनर डेनियल विटोरी को आज़ाद कर दिया था। 2011 के आईपीएल सीज़न से पहले आरसीबी टीम ने इस कीवी खिलाड़ी को कप्तान बना दिया था। साल 2012 में आरसीबी टीम में मुथैया मुरलीधरन की एंट्री हुई। चूंकि टीम में क्रिस गेल, एबी डीविलियर्स और तिलकरत्ने दिलशान पहले से ही टीम में विदेशी खिलाड़ी के तौर पर मौजूद थे। ऐसे में प्लेइंग-XI में मुरली और विटोरी में से किसी एक खिलाड़ी की जगह बन पा रही थी। चूंकि डेनियल विटोरी आरसीबी टीम के कप्तान थे तो मुरली को ही क़ुर्बानी देने पड़ रही थी। मुरली मैदान से बाहर थे और बतौर कप्तान विटोरी को ज़्यादा कामयाबी हासिल नहीं हो पा रही थी। ऐसे में विटोरी ने एक ज़िम्मेदारी भरा फ़ैसला लिया और विराट कोहली को कप्तानी सौंपकर ख़ुद प्लेइंग-XI से बाहर हो गए। कोहली को कप्तानी मिलते ही बैंगलौर टीम ने लगातार 3 मैच जीते। विटोरी ने ये साबित किया कि उनका फ़ैसला टीम के हित में था।
रिकी पॉन्टिंग
साल 2013 में जब मुंबई इंडियंस के मालिकों ने रिकी पॉन्टिंग को ख़रीदा था, तब उनसे काफ़ी उम्मीदें लगाई जा रहीं थीं। हांलाकि मुंबई टीम में सचिन तेंदुलकर और हरभजन सिंह जैसे दिग्गज खिलाड़ी मौजूद थे, लेकिन टीम मैनेजमेंट ने रिकी पर भरोसा जताते हुए उन्हें मुंबई की कमान सौंप दी कप्तानी मिलने के बाद ऑस्ट्रेलिया के ये महान खिलाड़ी अगली 6 पारियों में 10.4 की औसत से महज़ 52 रन ही बना सके। वो न ही खिलाड़ी के तौर पर और न ही कप्तान के रूप में मुंबई के लिए फ़ायदेमंद साबित हो रहे थे। पॉन्टिंग ने भले ही कंगारू टीम की शानदार कप्तानी की हो लेकिन वो मुंबई की ज़िम्मेदारी संभालने में नाकाम रहे। ऐसे बुरे हालात में रिकी ने अपनी कप्तानी रोहित शर्मा को सौंप दी और प्लेइंग-XI से भी बाहर हो गए। इसके बाद रोहित शर्मा ने अपनी कप्तानी में मुंबई को 3 बार आईपीएल चैंपियन बनाया। लेखक- नवीन के अनुवादक – शारिक़ुल होदा