हाल ही में इंडियन प्रीमियर लीग की दो नई टीमों का आधिकारिक तौर पर ऐलान किया गया। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने 2022 के लिए नई आईपीएल टीमों के मालिक के रूप में आरपीएसजी वेंचर्स लिमिटेड और सीवीसी कैपिटल पार्टनर्स को नामित किया है। इस बीच रिपोर्ट्स के मुताबिक सीवीसी कैपिटल जांच के दायरे में है, क्योंकि उनके सट्टेबाजी कंपनियों के साथ संबंध हैं।
पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी ने दावा किया कि सीवीसी कैपिटल ने सट्टेबाजी और गैंबलिंग कंपनियों में भारी निवेश किया है और इसके बावजूद वह टीम को खरीदने में सफल रही है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की घोषणा के तुरंत बाद ललित मोदी ने बीसीसीआई पर तंज़ कसा है। ललित ने निशाना साधते हुए ट्वीट में लिखा कि मुझे लगता है कि सट्टेबाजी कंपनियां आईपीएल टीम खरीद सकती हैं। यह एक नया नियम होना चाहिए। जाहिर है एक योग्य बोली लगाने वाला भी एक बड़ी सट्टेबाजी कंपनी का मालिक है। बीसीसीआई ने अपना होमवर्क नहीं किया। ऐसे मामले में एंटी करप्शन क्या कर सकता है?
बता दें आरपीएसजी ग्रुप ने 7,090 करोड़ रुपये का भुगतान करके लखनऊ फ्रेंचाइजी हासिल की, जबकि सीवीसी कैपिटल ने अहमदाबाद फ्रेंचाइजी जीतने के लिए दूसरी सबसे बड़ी बोली (5,625 करोड़ रुपये) लगाई। सीवीसी कैपिटल ने बोली में अडाणी ग्रुप को पीछे छोड़ दिया था, जिन्होंने 5100 करोड़ की पेशकश की थी।
आउटलुक ने शीर्ष अधिकारियों के हवाले से बताया कि बीसीसीआई का ध्यान सीवीसी कैपिटल की व्यावसायिक गतिविधियों पर है। वहीं ऐसा भी माना जा रहा है कि बीसीसीआई आश्वस्त है कि नई फ्रेंचाइजी के साथ कोई समस्या नहीं है।
2013 के सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग कांड के कारण आईपीएल की छवि पहले ही खराब हो चुकी है। गौरतलब है कि चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स को दो सीजन के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था क्योंकि उनके कुछ शीर्ष अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।