क्या सीमित ओवर क्रिकेट अजिंक्य रहाणे के खेल को ख़राब कर रहा है ?

भारतीय क्रिकेट टीम के प्रतिभाशाली बल्लेबाज़ अजिंक्य रहाणे, जिन्होंने टेस्ट मैचों में अपनी बल्लेबाज़ी से सभी को अपना मुरीद बना लिया है। सफ़ेद पोशाक मेंं लाल गेंद के ख़िलाफ़ दाएं हाथ के इस बल्लेबाज़ का प्रदर्शन अद्भुत है। 28 वर्षीय इस दाएं हाथ के बल्लेबाज़ के नाम सिर्फ़ 29 टेस्ट मैचों में 8 शतक और 9 अर्धशतक शामिल हैं, जिसमें रहाणे का औसत 51.37 का है। जो ये दर्शाता है कि छोटे क़द का ये खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया के लिए कितना अहम है। रहाणे की ख़ासियत है उनकी शानदार तकनीक, जो उन्हें किसी भी परिस्थिति में अव्वल दर्जे का बल्लेबाज़ बनाती है। इसका सबूत है रहाणे का घर से बाहर आंकड़ा, दाएं हाथ के इस बल्लेबाज़ ने भारत से बाहर खेले गए 21 टेस्ट में 51.22 की औसत से 1588 रन बनाए हैं जिसमें 5 शतक शामिल हैं। यानी रहाणे ने घर में कम और बाहर में ज़्यादा शानदार क्रिकेट खेली है। लेकिन सीमित ओवर क्रिकेट में रहाणे का आंकड़ा इसके ठीक उलट है, वनडे क्रिकेट में वह अब तक अपने आपको साबित कर पाने में नाकाम रहे हैं। रहाणे ने 70 वनडे मैचों में 32.71 की साधारण औसत से सिर्फ़ 2159 रन बनाए हैं, जिसमें 2 शतक और 15 अर्धशतक शामिल हैं। इस दौरान रहाणे की स्ट्राइक रेट भी 80 से कम है, जो आज के वनडे क्रिकेट में अच्छी नहीं मानी जाती है। न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ मौजूदा वनडे सीरीज़ में भी रहाणे का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है, अब तक तीन मैचों में रहाणे ने 22 की औसत से सिर्फ़ 66 रन बनाए हैं, जिसमें उनका स्ट्राइक रेट 70 के आस पास है। वनडे क्रिकेट में रहाणे की सबसे बड़ी समस्या है स्ट्राइक रोटेट न कर पाना, जिस वजह से दबाव सामने वाले बल्लेबाज़ पर आ जाता है और रनों का पीछा करते हुए इसका असर टीम पर ज़्यादा पड़ता है। नतीजा ये कि रहाणे अब अपने खेल में इम्प्रोवाइज़ करने की कोशिश कर रहे हैं जिससे उनके नैचुरल खेल पर असर पड़ सकता है। टीम मैनेजमेंट को इस ओर ध्यान देना चाहिए, ज़रूरी नहीं कि हर खिलाड़ी विराट कोहली, सचिन तेंदुलकर, ए बी डीविलियर्स या केन विलियमसन की तरह हर फ़ॉर्मेट में अव्वल हो। लिहाज़ा चेतेश्वर पुजारा और मुरली विजय की ही तरह अजिंक्य रहाणे को भी टेस्ट मैचों पर ही केंद्रित करने की सलाह देनी चाहिए। क्योंकि टेस्ट क्रिकेट में रहाणे बहुत प्रतिभावान खिलाड़ी हैं और अगर वह सीमित ओवर क्रिकेट में लगातार खेलते रहे थे तो उनकी तकनीक पर भी इसका ख़राब असर पड़ सकता है, जो न ही टीम इंडिया के लिए अच्छा होगा न ही अजिंक्य रहाणे के टेस्ट करियर को लंबा करने में मदद कर सकेगा। भारतीय टीम मैनेजमेंट को अजिंक्य रहाणे की टेस्ट में बड़ी भूमिका के मद्देनज़र सीमित ओवर क्रिकेट से उन्हें बाहर रखते हुए कोई बड़ा और ठोस फ़ैसला लेना होगा।

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