पिछले कई महीनों से युवराज सिंह टीम से बाहर चल रहे हैं। इस प्रतिभाशाली बल्लेबाज की वर्तमान फॉर्म को देखकर निकट भविष्य में उनके टीम में वापस आने के आसार भी नज़र नहीं आ रहे हैं। खास तौर पर ये देखते हुए कि इस समय टीम में शामिल युवाओं द्वारा किए जा रहे अच्छे प्रदर्शन के कारण टीम में उनकी कमी भी महसूस नहीं हो रही है। क्या युवी 2019 में होने वाले अगले विश्व कप में टीम का हिस्सा बन पाएंगे? या पिछले विश्व कप 2015 की तरह ही अगले विश्व कप में भी टीम में जगह बनाने में नाकाम रहेंगे? इस पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है। एक जमाना था कि जब कम से कम छोटे प्रारूप में तो युवराज सिंह के बिना टीम इंडिया की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। अपने शानदार प्रदर्शन से युवराज सिंह ने टीम इंडिया में सचिन तेंदुलकर, वीरेंदर सहवाग, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली जैसे शानदार बल्लेबाजों की मौजूदगी के बाबजूद भी अपनी अलग चमक बिखेरी। उन्होंने सभी को अपने दमदार खेल से इतना प्रभावित किया कि छोटे प्रारुप के विशेषज्ञ माने जाने वाले युवी को चयनकर्ताओं को टेस्ट टीम में भी शामिल करना पड़ा। अपने अब तक के करियर में वो भारत की ओर से 40 टेस्ट मैच खेल चुके हैं। वर्ष 2011 में भारत को विश्व विजेता बनाने में उनके योगदान को भला कौन भूल सकता है। अस्वस्थ होने के बाबजूद भी वो न सिर्फ विश्व कप खेले, बल्कि टीम इंडिया को विजयी बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई। प्रतिभाशाली बल्लेबाज युवी का बचपन में क्रिकेट के प्रति बिल्कुल भी रुझान नहीं था। अल्पायु में उनकी पहली पसंद स्केटिंग थी, युवी के पिता योगराज सिंह खुद भी एक क्रिकेटर थे, लेकिन उन्हें भारत के लिए सिर्फ एक ही मैच खेलने का अवसर मिल पाया। उनकी दिली तमन्ना थी कि भारत के लिए खेलते हुए अपने प्रदर्शन से अपने परिवार और शहर का सारी दुनिया में नाम रोशन करने का उनका जो सपना अधूरा रह गया था, उनके उस सपने को उनका पुत्र पूरा करे। इसीलिए उन्होंने अपने पुत्र को उसकी इच्छा के विरुद्ध क्रिकेट खेलने के लिए विवश किया। युवराज की जिंदगी में 2011 विश्व कप के बाद बड़ा बुरा दौर आया। जब जांच रिपोर्ट में पता चला कि उन्हें कैन्सर है और यदि शीघ्र ईलाज नहीं हुआ तो उनका बचना मुश्किल है। युवी ने न सिर्फ कैन्सर जैसी खतरनाक और जानलेवा बीमारी को हराया, बल्कि मैदान पर फिर वापसी भी की। फाइटर युवराज ने अपनी इच्छा शक्ति के बल पर टीम इंडिया में फिर वापसी करके दिखाई। उनके इस जज्बे की सारी दुनिया कायल हो गई। बेहद प्रतिभाशाली होने के बावजूद युवी कई बार टीम से अंदर-बाहर होते रहे हैं, विशेषकर पिछले कुछ वर्षों में। टीम से बाहर होने के बाद हर बार वो अपने शानदार प्रदर्शन से फिर टीम में वापसी करने में सफल रहते हैं। लेकिन इस बार वापसी की राह आसान नहीं है। बढ़ती उम्र, गिरती फिटनेस, खराब फॉर्म और इस समय टीम में खेल रहे युवा बल्लेबाजों का शानदार प्रदर्शन उनकी वापसी की राह में अड़चन बने हुए हैं। युवी को अगर अपनी अगले विश्व कप खेलने की इच्छा पूरी करनी है तो इसके लिए उन्हें अपनी फिटनेस और फॉर्म में सुधार लाना होगा। घरेलू क्रिकेट में उन्हें जो अवसर मिल रहे हैं, उनमें उन्हें निरन्तर अच्छा प्रदर्शन करके चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना होगा, और टीम इंडिया में कोई जगह खाली होने का इंतजार करना होगा। जहाँ तक टीम में युवी की टेस्ट क्रिकेट में वापसी का सवाल है तो उनके लिए दरवाजे लगभग बंद हो गए हैं। हाँ ये देखते हुए कि विश्व कप जैसे बड़े मंच पर किसी भी टीम को अनुभवी खिलाड़ियों की आवश्यकता होती है, लिहाज़ा छोटे फॉर्मेट में युवराज सिंह की दावेदारी को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता।