क्या ये वनडे में सुरेश रैना का अंत है?

ज़िन्दगी की तरह ही क्रिकेट में सबकुछ सीधा नहीं होता। लेकिन एकदिवसीय क्रिकेट में सुरेश रैना के आकंड़े एकदम सीधे हैं। 2008 से मध्यक्रम के अहम खिलाडी बनने के बाद से उन्होंने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। हालांकि वे टेस्ट में कामयाब नहीं हुए लेकिन वे टी20 के विशेषज्ञ खिलाड़ी हैं। लेकिन वनडे में वे कहीं न कहीं फ़ीके पड़ते जा रहे हैं। जून 2008 से भारत ने 214 वनडे मैच खेले हैं, जिसमें से रैना को 187 मैचों में जगह मिली है। लेकिन इस साल रैना को एक भी मैच में मौका नहीं मिला। इस साल उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में हुए एकदिवसीय मैच के लिए नहीं चुना गया था। वे टी20 टीम का हिस्सा थे जिसने ऑस्ट्रेलिया को 3-0 से हराया। इसके अलावा रैना को ज़िम्बाम्बे दौरे के लिए भी नहीं चुना गया। वैसे विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे खिलाडियों को भी टीम में नहीं चुना गया, लेकिन रैना के विपरीत इनकी जगह टीम में पक्की है। वनडे में रैना की तकनीक पर सवाल खड़े किये गए हैं लेकिन फिर भी वें टीम में बने रहे। इस बार गुजरात लायंस के लिए मिला जुला आईपीएल रहा, इसलिए उनके चयन पर चयनकर्ताओं को ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। लेकिन फिर भी उनके आकंड़े और प्रदर्शन देखकर ऐसा कहा जा सकता है कि क्या उन्हें एक मौका और दिया जाना चाहिए? यहाँ पर हम इसी बात पर चर्चा करेंगे। वनडे में लगातार अच्छा प्रदर्शन 2008 में मुख्य टीम का हिस्सा बनाने के बाद से रैना लगातार अच्छा प्रदर्शन करते आएं हैं। उनका एकदिवसीय मैचों में औसत 35 है और केवल साल 2011 और 2015 में उनका औसत 35 के नीचे गिरा था। इसके साथ साथ उनका स्ट्राइक रेट भी 95 था। नंबर 5 या 6 पत बल्लेबाज़ी करनेवाले खिलाडी के लिए ये बहुत है। वैसे नाबाद रहने से औसत बढ़ता है लेकिन जिस स्थान पर रैना बल्लेबाज़ी करने आते हैं उस स्थान पर आपको जल्दी रन बनाने की ज़रूरत होती है। इन दोनों स्थानों में 29 वर्षीय रैना फिट बैठते हैं। नंबर 5 या 6 पर बल्लेबाज़ी करते हुए 2000 से ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ों में से सुरेश रैना के 94.13 के स्ट्राइक रेट से अच्छा स्ट्राइक रेट केवल एंड्रू साइमंड्स का है। लेकिन रैना ने साइमंड्स से दोगुने मैच खेले हैं और दोगुने रन बनाये हैं। रही बात ताबड़तोड़ रन बनाने की, तो औसतन रैना हर 9.92 गेंद में एक चौक जड़ते हैं जो कि उनके स्थान पर बल्लेबाज़ी करनेवाले खिलाडी के लिए बहुत अच्छा है। पिछले दो साल में जब सब ये मानाने लगे की अब उनका समय खत्म हो गया, तब उनकी औसत 35.4 और स्ट्राइक रेट 107 है और हर 7.92 गेंदों पर चौका जड़ते हैं। ये उनके करियर आंकड़े से भी अच्छा है। ताकत और संघर्ष शॉर्ट गेंद और अत्याधिक उछाल भरी गेंदों पर संघर्ष करते हैं। इसलिए विदेशी ज़मीन पर उनका औसत 31.2 है तो घर पर 36.3। लेकिन इसके उलट इंग्लैंड में जहां पर भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी खेली, वहां पर रैना के आकंड़े अच्छे हैं। इंग्लैंड में उनका औसत 37.5 है और स्ट्राइक रेट 113.6, वहीँ इंग्लैंड के विरुद्ध उनका औसत 43 छु जाता है। न्यूजीलैंड में न्यूजीलैंड के खिलाफ भी उनके आकंड़े अच्छे हैं। वहाँ पर उनकी औसत 63.8 और स्ट्राइक रेट 117.7 है। इसलिए उन्हें न्यूजीलैंड रास आता है। वहीँ ऑस्ट्रेलिया में उनका औसत 27.2 और स्ट्राइक रेट 93.6 है। भारतीय टीम जब अपने ही देश में इंग्लैंड और न्यूजीलैंड का सामना करनेवाली है, ऐसे में रैना जैसे अनुभवी और इन टीमों के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन करनेवाले बल्लेबाज को टीम से निकालना सही नहीं होगा। चयनकर्ता भविष्य की टीम बनाने में लगे हुए हैं। लेकिन दुनिया भर के फ्लैट पिचों पर एक अनुभवी और अच्छे मध्यक्रम के बल्लेबाज की जगह कम अनुभवी खिलाडी को मौका देना सही नहीं है। खासकर मजबूत विरोधी के सामने। लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी वनडे में शतक जड़नेवाले मनीष पांडे का ज़िम्बाम्बे दौरा कैसा रहता है, उसपर रैना के भविष्य का फैसला होगा। लिखक: श्रीहरि, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी

Edited by Staff Editor
Sportskeeda logo
Close menu
WWE
WWE
NBA
NBA
NFL
NFL
MMA
MMA
Tennis
Tennis
NHL
NHL
Golf
Golf
MLB
MLB
Soccer
Soccer
F1
F1
WNBA
WNBA
More
More
bell-icon Manage notifications