भारतीय टीम का मैच देखना मेरा सपना है : फ़तेह लांदा

आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की शुरूआत 1 जून से इंग्लैंड में होगी। टूर्नामेंट में 8 देशों के बीच प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी। मैदान के अंदर जबर्दस्त खेल देखने को मिलने की उम्मीद है और दर्शकों का समर्थन टीम के लिए बहुत मायने रखेगा। यह भी सच है कि दर्शकों की मौजूदगी से खेल का महत्व बढ़ जाता है। आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसे फैन की, जिसका अपने जीवन से अधिक क्रिकेट से लगाव है। शेरवूड राइज स्कूल से एक लड़के ने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का टिकट जीता है। फ़तेह लांदा जिनकी उम्र 13 साल है, उनके पिताजी ने अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के टिकट के लिए उनका नाम नोमिनेट किया था, जिसको जीत कर वह अब भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले एतिहासिक मैच के गवाह बनेंगे। फ़तेह की मां दिव्यांग है और 13 वर्षीय फ़तेह भी एलोपेसिया बीमारी से ग्रस्त हैं। अपनी बीमारी को एक तरफ रखते हुए, फ़तेह अंडर 13 काउंटी टीम के कप्तान है और पिछले सत्र में उन्होंने टीम के लिए शानदार शतक भी लगाया था। बचपन से उनका सपना मैदान से अपने चहेते खिलाडियों को मैदान में खेलते हुए देखने का था, जो चैंपियंस ट्रॉफी में सच होता दिखेगा। फ़तेह ने अपने क्रिकेट प्रेम के बारे में बताया, 'जब मुझे पहली बार एलोपेसिया हुआ था, तो मैं अपने आप को सबसे दूर रखने की कोशिश करता था। क्रिकेट खेलते समय मेरा ध्यान दूसरी जगह पर नहीं होता है। मेरा सारा ध्यान सिर्फ क्रिकेट पर होता है। क्रिकेट खेलने से मुझे ख़ुशी मिलती है। मैंने 3 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। मुझे ख़िलाड़ी होना पसंद है, मैं सभी खेलों में रूचि लेता हूँ, लेकिन सबसे ज्यादा लगाव क्रिकेट से हैं। मुझे बल्लेबाजी करना पसंद है। जब मैंने काउंटी में पहला शतक लगाया, तो बहुत ख़ुशी हुई। वह मेरे जीवन की सबसे बड़ी कामयाबी है। मैं आगे जाकर प्रोफेशनल क्रिकेटर बनना चाहता हूँ।' आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के मैच को लेकर फ़तेह ने कहा, 'मै भारत और पाकिस्तान के मैच को लेकर काफी उत्साहित हूँ। मुझे लगता है कि मैच के दौरान माहौल अच्छा होगा। मै भारत का मैच देखूं, यह मेरा सपना था, जो 4 जून को पूरा होने जा रहा है। मैं बहुत भाग्यशाली हूँ और अपने पिताजी का शुक्रगुजार हूँ कि उन्होंने मुझे इन टिकटों के लिए नोमिनेट किया।' फ़तेह की 47 वर्षीय पिता ने कहा, 'फ़तेह ने पिछले कई वर्षों में काफी परेशानियां झेली है। उसकी मां दिव्यांग इसलिए बनी क्योंकि डायबिटीज में कुछ परेशानी थी। फ़तेह भी एलोपेसिया से ग्रस्त है, जिसकी वजह से उसके सिर पर एक भी बाल नहीं है। यह सब पिछले कुछ वर्षों में हुआ।' उन्होंने आगे कहा, 'फ़तेह के लिए बहुत मुश्किल था उसकी मां का आस-पास न होना। हालांकि, क्रिकेट से उसे काफी विश्वास मिला। वो काफी प्रतिभाशाली खिलाड़ी है और पुरुष टीम के साथ ट्रेनिंग करता है। उसे काउंटी टीम का कप्तान भी बनाया गया, जो कि काफी सुखद एहसास है। मुझे उस पर गर्व है।'

Edited by Staff Editor
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