वर्ल्ड टी20 महिला रैंकिंग में पहले स्थान पर काबिज 16 साल की शेफाली वर्मा ने क्रिकेट से जुड़े कई मुद्दों पर अपनी राय रखी है। आईएएनएस के साथ हुए एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने टी20 विश्वकप, ड्रेसिंग रूम का माहौल, लॉकडाउन के बीच फिटनेस और गेम खेलने के तरीके जैसे कई मुद्दों के बारे में बात की है।
ट्रॉफी हाथ में होती तो बेहतर होता
शेफाली वर्मा ने टी20 विश्वकप के फाइनल के बारे में बात करते हुए कहा कि उस दिन हमारे हिसाब से चीजें नहीं हुईं। लेकिन अंत में खेल जीत या हार की बात है। जो हो गया वो तो हम नहीं बदल सकते लेकिन हमारे पास और भी मौके आएंगे। जब लोग आपकी परफार्मेंस की तारीफ करते हैं तो अच्छा तो लगता है लेकिन अगर वर्ल्ड कप की ट्रॉफी हाथ में होती तो ज्यादा अच्छा लगता।
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ड्रेसिंग रूम में नहीं है सीनियर जूनियर जैसा माहौल
शेफाली वर्मा का कहना है कि टीम में सीनियर जूनियर जैसा कोई बंटवारा नहीं है। ऐसा कुछ भी नहीं है कि सीनियर बोलेंगे और जूनियर सुनेंगे। ड्रेसिंग रूम का माहौल काफी आरामदायक है। इसके साथ ही उन्होंने अपने कोच के बारे में बात करते हुए कहा कि हमारे पास काफी अच्छे कोच हैं। जब भी दिक्कत होती है वो हमेशा साथ देते हैं। उनका दिमाग कमाल का है और वो आसानी से कॉन्फिडेंट फील करा देते हैं।
लॉकडाउन के समय फिटनेस का खास ख्याल
शेफाली वर्मा बताती हैं कि वो अपनी फिटनेस का खास ध्यान रख रही हैं और हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन ने फिटनेस को लेकर एक चार्ट दिया है जिसे वो फॉलो करती हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ऐसे समय में दिमाग में कई तरह के निगेटिव ख्याल भी आते हैं लेकिन स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट से काफी मदद मिलती है और मोटिवेटेड रहने की प्रेरणा मिलती है।
बॉल खराब है तो वो हिट होनी चाहिए
शेफाली वर्मा से जब पूछा गया कि स्मृति मंधाना जैसी धुआंधार बल्लेबाजी करने वाली बल्लेबाज के साथ जब ओपनिंग करने उतरती हैं तो उनके दिमाग में क्या होता है तो उन्होंने कहा कि वो नैचुरल खेव खेलने में विश्वास रखती हैं। अगर बॉल खराब है तो वो हिट होनी चाहिए और अगर अच्छी है तो उसे हिट करके वो सिंगल ढूंढने की कोशिश करती हैं।