भारतीय टेस्ट टीम में तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट (Jaydev Unadkat) को काफी पहले मौका मिला था लेकिन इसके बाद उन्हें दोबारा टेस्ट जर्सी पहनने के लिए 12 साल का लम्बा इंतजार करना पड़ा था। इस गेंदबाज को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दो मैचों की सीरीज के लिए भी चुना गया था लेकिन उन्होंने 17 फरवरी से दिल्ली में होने वाले दूसरे टेस्ट के स्क्वाड से अपना नाम वापस लेकर रणजी ट्रॉफी के फाइनल में सौराष्ट्र के लिए खेलना बेहतर समझा।
अपने इस फैसले को लेकर उनादकट ने इसे एक बिना सोचने वाला फैसला बताया। उन्होंने कहा कि सौराष्ट्र के लिए अच्छे प्रदर्शन की वजह से वह भारतीय टीम में वापसी कर पाए और मेरे लिए भारतीय टीम से नाम वापस लेना मुश्किल फैसला नहीं था।
रणजी ट्रॉफी फाइनल के पहले दिन के खेल के बाद, सौराष्ट्र के कप्तान उनादकट ने ईएसपीएन क्रिकइंफो से बातचीत के दौरान कहा,
यह एक आसान फैसला था, सौराष्ट्र ने मेरी वापसी और सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और फाइनल के लिए निर्णय लेना मुश्किल नहीं था। मैंने भारतीय मैनेजमेंट से बात की और उन्होंने भी इस फैसले का समर्थन किया। सौराष्ट्र की सफलता में भूमिका निभाना मेरे दिल के करीब है इसलिए यह फैसला करना आसान था।
टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने के फैसले को लेकर भी जयदेव उनादकट ने दी प्रतिक्रिया
बंगाल के खिलाफ सौराष्ट्र ने टॉस जीतकर फील्डिंग चुनकर सबको हैरान कर दिया क्योंकि 2017-18 फाइनल के बाद से सभी टीमों ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी ही की है। उनादकट ने फैसले को लेकर कहा कि उन्होंने गेंदबाजी की मददगार परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा फैसला लिया। उन्होंने कहा,
पिच पर हरे रंग की चमक ने फाइनल में टॉस के फैसले को आसान बनाने में भूमिका निभाई। लेकिन शुरुआती विकेट हासिल करने के लिए अन्य गेंदबाजों के पास कौशल भी था। हम जानते थे कि हमें पिच पर शुरुआती बढ़त को अधिकतम करना होगा क्योंकि दिन बीतने पर पिच सपाट होती जाएगी। हम जानते थे कि ऐसा होगा, इसलिए नमी का फायदा उठाते हुए कुछ विकेट हासिल करना महत्वपूर्ण था।
फाइनल मुकाबले के पहले दिन का खेल समाप्त होने तक सौराष्ट्र ने अपनी पहली पारी में 17 ओवर में 81/2 का स्कोर बना लिया था। इससे पहले बंगाल की पहली पारी 174 पर सिमट गई थी। जयदेव उनादकट ने तीन विकेट हासिल किये।