भारतीय टीम की दिग्गज तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी (Jhulan Goswami) शनिवार, 24 सितम्बर को अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आखिरी मुकाबला खेलेंगी। दाएं हाथ की तेज गेंदबाज ने अपने करियर में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं, साथ ही कई यादगार जीत का भी हिस्सा रही हैं। हालांकि, झूलन ने अपने आखिरी मैच से पहले एक बड़ा खुलासा किया और बताया कि वर्ल्ड कप न जीत पाना, उनके करियर का एकमात्र अफ़सोस है। झूलन वनडे में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली महिला तेज गेंदबाज हैं।
झूलन गोस्वामी के करियर में दो बार ऐसे मौके आये, जब भारतीय टीम वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंची और उनके पास ख़िताब जीतने का मौका था लेकिन टीम चूक गई । 2005 और 2017 में उपविजेता के रूप में फिनिश करने को झूलन ने अपने करियर के अफ़सोस करने वाले पल बताये।
अपने आखिरी मैच की पूर्व संध्या पर दिग्गज तेज गेंदबाज ने कहा,
मैंने दो वर्ल्ड कप फाइनल खेले हैं लेकिन ट्रॉफी नहीं जीत सकी। यह मेरा एकमात्र अफसोस है क्योंकि आप चार साल वर्ल्ड कप की तैयारी करते हैं। इसमें काफी मेहनत लगती है। हर क्रिकेटर के लिए वर्ल्ड कप जीतना एक सपने के सच होने जैसा क्षण होता है।
इसके अलावा झूलन ने अपने करियर को लेकर ख़ुशी जाहिर की और कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह इतने लम्बे समय तक खेलेंगी।
डेब्यू कैप प्राप्त करना मेरे करियर का सबसे यादगार पल है - झूलन गोस्वामी
39 वर्षीय गेंदबाज ने भारत की डेब्यू कैप प्राप्त करने को अपने करियर का सबसे बेहतरीन लम्हा बताया। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि ईडन गार्डन्स में खेले गए 1997 के महिला वर्ल्ड कप फाइनल ने कैसे एक पेशेवर क्रिकेटर बनने की उनकी महत्वाकांक्षाओं को हवा दी। झूलन ने कहा,
मेरी सबसे अच्छी याद तब है जब मुझे भारत की कैप मिली और मैंने पहला ओवर फेंका क्योंकि मैंने कभी कल्पना नहीं की थी (मैं भारत के लिए खेलूंगी)। यात्रा कठिन थी क्योंकि मुझे प्रशिक्षण के लिए प्रतिदिन एक तरह से लोकल ट्रेन से ढाई घंटे की यात्रा करनी पड़ती थी। 1997 में, मैं ईडन गार्डन्स में एक बॉल गर्ल थी जहां मैंने अपना पहला महिला वर्ल्ड कप फाइनल देखा था। उस दिन से मेरा सपना भारत का प्रतिनिधित्व करने का था।
2002 में भारत के लिए डेब्यू करने वाली झूलन ने अपने करियर में 12 टेस्ट, 203 वनडे और 68 टी20 मुकाबले खेले हैं। कल उनका 204वां वनडे होगा और भारतीय टीम चाहेगी कि दिग्गज खिलाड़ी को जीत के साथ विदाई दी जाये।