वर्ल्ड कप जीतना हर एक खिलाड़ी का सबसे बड़ा सपना होता है। ये सपना कुछ खिलाड़ियों का पूरा हो जाता है लेकिन कुछ खिलाड़ी अपने पूरे करियर में भी अपने इस सपने को पूरा नहीं कर पाते हैं। आज हम आपको एक ऐसे खिलाड़ी के बारे में बताने वाले हैं जो अपनी टीम को वर्ल्ड कप जितवाने के बावजूद भी गुमनामी के अंधेरे में खो गए। वो खिलाड़ी कोई और नहीं बल्कि जोगिंदर शर्मा हैं। अगर आप नाम से इस खिलाड़ी को नहीं पहचान पा रहे हैं तो हम आपको बता दें कि ये वही खिलाड़ी हैं जिसने 2007 के टी20 वर्ल्ड कप में भारत की तरफ से आखिरी ओवर फेंका था और अपनी टीम को जीत दिलवाई थी।
उस मैच में पाकिस्तान को आखिरी ओवर में जीत के लिए 13 रनों की आवश्यकता थी लेकिन जोगिंदर शर्मा ने ओवर की तीसरी ही गेंद पर मिस्बाह उल हक को श्रीसंत के हाथ कैच आउट करवा दिया। मिस्बाह के आउट होते ही मानों पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई क्योंकि भारत वर्ल्ड कप का चैंपियन बन चुका था। अंतिम ओवर में शानदार जीत दिलवाने के कारण जोगिंदर शर्मा रातों रात हीरो बन चुके थे। बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि अंतिम ओवर में गेंदबाजी करवाने को लेकर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के मन मे दुविधा थी, वो दुविधा जोगिंदर शर्मा और हरभजन सिंह को लेकर थी। वो इस बात को लेकर निर्णय नहीं ले पा रहे थे कि अंतिम ओवर में किससे गेंदबाजी कराई जाए। अंततः उन्होंने गेंद सौंपी जोगिंदर शर्मा को और फिर जोगिंदर शर्मा ने जो किया इतिहास उसका गवाह है।
वर्ल्ड कप में टीम इंडिया को जीत दिलवाने के बावजूद भी वो टीम में ज्यादा टिक नहीं सके। उनके छोटे अंतरराष्ट्रीय करियर का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने पूरे करियर में सिर्फ चार एकदिवसीय और चार टी20 मैच ही खेले हैं। इसे उनका खराब किस्मत कहे या फिर कुछ और कि वर्ल्ड कप का खिताब दिलवाने के बावजूद भी उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतना कम खेलने को मिला। भले ही उन्हें टीम इंडिया की तरफ से बहुत कम खेलने को मिला लेकिन वो घरेलू स्तर पर काफी बड़ा नाम हुआ करते थे। ये उनके घरेलू मैचों में शानदार प्रदर्शन का नतीजा ही था कि उन्हें टीम इंडिया की तरफ से खेलने का अवसर प्राप्त हुआ। आज भले ही वो गुमनामी के अंधेरे में खो से गए हों लेकिन ये देश और पूरा क्रिकेट जगत उन्हें उस अंतिम ओवर के कारण हमेशा याद रखेगा।
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