मनीष पांडे के लिए 7 दिसम्बर का दिन काफी ख़ास रहा। रणजी ट्रॉफी के मैच में वो कर्नाटक के लिए मोहाली में मैदान पर उतरे और उनकी टीम ने महाराष्ट्र को सिर्फ 163 रनों पर ऑल आउट कर दिया। इसके अलावा अजिंक्य रहाणे के चोटिल होने के कारण मनीष पांडे को इंग्लैंड के खिलाफ मुंबई में होने वाले चौथे टेस्ट के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया। लेकिन असली विवाद इसके बाद शुरू हुआ। मनीष पांडे के लिए निश्चित तौर पर ये बहुत बड़ी खबर थी लेकिन रणजी ट्रॉफी के मैच के बीच में टीम को छोड़कर जाना भी एक बड़ा फैसला था। खासकर तब जब एक दिन का खेल हो चुके था और पांडे को बल्लेबाजी के लिए आना था। कर्नाटक के लिए ये एक अहम मैच है क्योंकि अगर वो जीतते हैं तो क्वार्टरफाइनल में इस सीजन की मजबूत टीम तमिलनाडु से भिड़ने से वो बच जाएंगे। कर्नाटक ने इसी वजह से मैच के बीच में मनीष पांडे की जगह दूसरे खिलाड़ी को शामिल करने की कोशिश की लेकिन विपक्षी महाराष्ट्र ने इसे सिरे से नकार दिया। महाराष्ट्र के कप्तान स्वप्निल गुगाले ने बिना दोबारा सोचे अपना फैसला दे दिया। उन्होंने कहा कि मैच रेफरी ने हमसे कहा था कि कर्नाटक मनीष की जगह किसी और खिलाड़ी को शामिल करना चाहता है लेकिन ये हमारे नज़रिए से सही नहीं था। अब सबसे बड़ी बात ये है कि मनीष पांडे ने भारत के लिए आज इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू नहीं किया और इस वजह से ये मुद्दा और महत्वपूर्ण हो गया है कि जब उन्हें नहीं खेलना था तो ये कहाँ तक सही था कि मनीष पांडे कर्नाटक के मैच को बीच में छोड़कर भारतीय टीम में जाकर शामिल हों। ये बात भी समझ नहीं आई कि जब कोई खिलाड़ी भारतीय टीम के अंतिम एकादश में नहीं रहते हैं तो उन्हें रणजी मैच खेलने के लिए छोड़ दिया जाता है। लेकिन मनीष पांडे के साथ उल्टा हुआ और वो न तो भारत के लिए खेल रहे हैं और साथ ही अपनी टीम का रणजी मैच बीच में ही छोड़कर आ गए। यहाँ पर ये चर्चा का विषय है और बीसीसीआई को आगे से इस बात का ध्यान देना होगा कि किसी खिलाड़ी के लिए उस समय में कौन सा मैच ज्यादा महत्वपूर्ण है, उनकी रणजी टीम में उनका महत्त्व या भारतीय टीम के लिए ड्रेसिंग रूम में जगह। गौरतलब है कि मौजूदा भारतीय क्रिकेट टीम में कर्नाटक के तीन खिलाड़ी मौजूद हैं। नोट: महाराष्ट्र ने दूसरे दिन मनीष पांडे की जगह कर्नाटक को डेविड माथिआस को शामिल करने की इजाजत दे दी।