भारतीय बल्लेबाजी कोच संजय बांगर ने कहा है कि टीम के निचले क्रम के बल्लेबाजों को भी ज्यादा अभ्यास कराया जाता है, जिसकी बदौलत वह टीम के लिए अच्छा योगदान देने में कामयाब हो रहे हैं। विराट कोहली के नेतृत्व में भारतीय टीम ने अधिकांश पांच गेंदबाजों को खिलाने की रणनीति अपनाई है और निचले क्रम के बल्लेबाजों ने दबाव अपने कंधों पर उठाते हुए शानदार प्रदर्शन किया, जिसकी मदद से कई मैचों के परिणाम बदले। इंग्लैंड के खिलाफ हाल ही में संपन्न पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में भारत ने 4-0 से जीत दर्ज की। दोनों टीमों के बीच सबसे बड़ा फर्क निचलेक्रम के बल्लेबाजों का योगदान रहा। रविचंद्रन अश्विन, रविंद्र जडेजा और जयंत यादव ने क्रमशः मोहाली, मुंबई और चेन्नई में शानदार प्रदर्शन किया। इंग्लैंड के बल्लेबाज इस जगह सफल नहीं रहे। भारतीय बल्लेबाजी कोच संजय बांगर ने मुंबई मिरर से बातचीत में कहा, 'मेरा मानना है कि आपकी शैली सुधारने का सबसे बड़ा जरिया सही अंदाज में अभ्यास करना है। आपका शरीर सही जगहों पर जाने लगता है और आप क्षमता के मुताबिक अपने सभी शॉट खेलने में सक्षम होते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने अपने निचलेक्रम के बल्लेबाजों को उपरीक्रम के बल्लेबाजों के समान अभ्यास कराना शुरू किया। इससे फर्क देखने को मिला।' हाल ही में आईसीसी क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर और टेस्ट क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर बनने वाले अश्विन ने निचले क्रम में खेलते हुए कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। 2016 में अश्विन ने 43 की मजबूत औसत से 612 रन बनाए। बांगर ने कहा कि अश्विन एक चालाक क्रिकेटर हैं, हमेशा अपनी तकनीक को सुधारने के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं। बांगर ने कहा, 'वह ठंडे दिमाग वाले खिलाड़ी हैं, उनकी तकनीक शानदार हैं और वह गेंद को बल्ले के नजदीक आने देते हैं। आप अश्विन को आसानी से चकमा नहीं दे सकते। वह अच्छे कट और ड्राइव लगाते हैं और स्पिनर्स के खिलाफ भी उनका प्रदर्शन शानदार है। वह बहुत ही व्यस्त खिलाड़ी हैं। विराट कोहली और टीम प्रबंधन को श्रेय देना होगा कि उन्होंने अश्विन को छठें क्रम पर बल्लेबाजी करने भेजने का फैसला लिया।'