भारतीय टीम के पूर्व तेज गेंदबाज और 1983 वर्ल्ड कप विजेता टीम के सदस्य मदन लाल ने खुलासा किया है कि कैसे सौरव गांगुली को प्रमोट कर सलामी बल्लेबाज बनाया गया था। मदन लाल उस वक्त भारतीय टीम के कोच थे और सौरव गांगुली को ओपन कराने में उनका बहुत बड़ा योगदान था।
स्पोर्ट्सकीड़ा के साथ खास बातचीत में मदन लाल ने कहा कि नंबर 5 पर सौरव गांगुली जैसे दिग्गज बल्लेबाज का टैलेंट बेकार जा रहा था। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ने के लिए उन्हें ज्यादा गेंदों की जरुरत थी। मदन लाल ने बताया कि कैसे उनकी कोचिंग में सौरव गांगुली को प्रमोट कर ओपनिंग बल्लेबाज बनाया गया और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मदन लाल ने सौरव गांगुली की काफी तारीफ की और कहा कि उन्होंने शानदार तरीके से खुद को स्थापित किया।
ये भी पढ़ें: इरफान पठान ने आईपीएल के आयोजन को लेकर दी बड़ी प्रतिक्रिया
'हम दादा के टैलेंट से ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाना चाहते थे। मैंने उनसे कहा कि अगर आप नंबर 5 पर ही बल्लेबाजी करते रहोगे तो कुछ नहीं होगा। आपको ओपनिंग करनी चाहिए और जैसे ही उसने ओपनिंग करना शुरु किया उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली की जोड़ी ने सलामी बल्लेबाजी में इतिहास रच दिया।
सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर की सलामी जोड़ी ने कई रिकॉर्ड बनाए
सौरव गांगुली ने 236 वनडे पारियों में सलामी बल्लेबाजी का जिम्मा संभाला और इस दौरान 41.57 की शानदार औसत से 9146 रन बनाए। इस दौरान सौरव गांगुली ने 19 शतक और 58 अर्धशतक जड़े।
सलामी बल्लेबाज के तौर पर सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली की जोड़ी काफी सफल रही। 176 पारियों में इस जोड़ी ने ओपनिंग करते हुए 8227 रन बनाए, जिसमें 26 शतकीय और 29 अर्धशतकीय साझेदारियां शामिल हैं।
ये भी पढ़ें: वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए इंग्लैंड की ट्रेनिंग टीम का ऐलान
इन दोनों खिलाड़ियों ने 2001 में केन्या के लिए 258 रनों की मैराथन पार्टनरशिप की थी। दोनों बल्लेबाजों ने आखिरी बार 2007 में पाकिस्तान के खिलाफ ओपनिंग की थी, जिसमें तेंदुलकर महज 3 रन से अपने शतक से चूक गए थे।