पुणे में पहले ही टेस्ट में मिली करारी हार के बाद किसने सोचा होगा कि टीम इंडिया इतने शानादर ढंग से सीरीज जीत का बिगुल बजाएगी। टीम इंडिया के यंगिस्तान ने ना सिर्फ बेंगलुरु टेस्ट जीतकर सीरीज में जबरदस्त वापसी की बल्कि सीरीज 1-1 से बराबर कर जीत की उम्मीदों को भी जिंदा रखा। रांची टेस्ट में भी भारतीय खिलाड़ियों ने जमकर संघर्ष किया लेकिन आखिरकार ऑस्ट्रेलिया मैच ड्रॉ करवाने में कामयाब रहा। जिसके बाद सभी की नजरें टिक गई थी धर्मशाला में होने वाली फाइनल फाइट पर। जहां भारतीय रणबांकुरों ने चौथे दिन के पहले ही सेशन में सफेद जर्सी पर जीत का रंग चढ़ा दिया। वैसे तो पूरी सीरीज में भारतीय टीम एक यूनिट की तरह खेली है लेकिन बावजूद इसके कुछ ऐसे खिलाड़ी ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया और वो बने जीत के हीरो। रविन्द्र जडेजा बार्डर-गावस्कर सीरीज के सबसे बड़े हीरो बने हैं रवींद्र जडेजा। जडेजा ने पूरी सीरीज में बल्ले् और गेंद, दोनों से दमदार प्रदर्शन किया। स्पिन डिपार्टमेंट में तो जडेजा टीम के मुख्य स्पिनर आर. अश्विन से भी ज्या दा कामयाब रहे। रवींद्र जडेजा ने सीरीज में दो अर्धशतकों की मदद से 127 रन बनाए और सबसे ज्यादा 25 विकेट भी हासिल किए। उनके इस शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज से भी नवाजा गया। लोकेश राहुल लोकेश राहुल इस युवा ओपनर बल्लेबाज की जितनी तारीफ की जाए कम है। लोकेश ने सीरीज की 7 पारियों में से 6 में अर्धशतक लगाए। लोकेश ने सीरीज के चार मैचों में उन्हों ने 65.50 के औसत से 393 रन बनाए। खास बात ये है कि राहुल के बल्ले से ये रन तब आए, जब टीम को इसकी सबसे ज्या दा जरूरत थी। बेंगलुरू टेस्टन की पहली पारी में 90 और दूसरी पारी में 51 रन बनाकर राहुल मैन ऑफ द मैच रहे थे। उमेश यादव उमेश यादव के बारे में कहा जाता था कि स्पीड और स्विंग के बावजूद वो अपनी प्रतिभा से न्याय नहीं कर पा रहे लेकिन पिछले कुछ समय में उमेश ने अपनी गेंदबाजी को और बेहतर किया है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में उमेश टीम इंडिया के नंबर 1 तेज गेंदबाज साबित हुए। विराट को जब भी विकेटों की जरूरत हुई उन्होंने उमेश पर ही भरोसा जताया। उमेश ने सीरीज के चार मैचों में 23.41 औसत से 17 विकेट हासिल किए। स्पिनर्स के लिए मददगार इन विकेटों पर शानदार प्रदर्शन कर उमेश ने अपना लोहा मनवाया। चेतेश्वर पुजारा पहले टेस्ट में नाकाम रहने के बाद पुजारा ने अगले तीन टेस्टर मैचों में इसकी शानदार अंदाज में भरपाई की। इस सीरीज में चेतेश्वर पुजारा ने अपने धैर्य का परिचय देते हुए बताया कि क्यों उनकी तुलना मिस्टर रिलायबल राहुल द्रविड़ से की जाती है। पुजारा ने बेंगलुरू टेस्ट की दूसरी पारी में 92 रन बनाकर मैच का रुख टीम इंडिया के हक में मोड़ने में अहम योगदान दिया। उन्होंने सीरीज के चार मैचों में 57.85 के प्रभावी औसत से 405 रन बनाए। जिसमें एक दोहरा शतक भी शामिल है। जो उन्होंने रांची टेस्ट में लगाया था। कुलदीप यादव इन सब महारथियों के बीच इस युवा चाइनामैन गेंदबाज ने भी अपनी छाप छोड़ी। अपने पहले ही टेस्ट में कुलदीप ने ऑस्ट्रेलिया के चार बल्लेबाजों को घुटने टेकने पर मजबूर किया। कुलदीप यादव ने पहले डेविड वॉर्नर का विकेट निकाला और फिर पिछले मैच के हीरो रहे पीटर हैंड्सकोम्ब को भी उन्होंने चलता किया। उसके बाद बल्लेबाज़ी करने आए ग्लेन मैक्सवेल ने कुलदीप की गेंद पर चौका लगाकर उन्हें दबाव में डालने की कोशिश की, लेकिन कुलदीप ने जबरदस्त पलटवार कर अपनी शानदार गुगली से मैक्सवेल की गिल्लियां बिखेर दी।