स्कॉटलैंड (Scotland Cricket team) के पूर्व क्रिकेटर माजिद हक (Majid Haq) ने अपने देश के खिलाड़ियों पर भड़ास निकाली, जिन्होंने हाल ही में स्वतंत्र समीक्षा में क्रिकेट स्कॉटलैंड को संस्थागत रूप से नस्लवादी पाए जाने पर कुछ नहीं कहा।
जहां दुनियाभर के कई क्रिकेटरों ने अब नस्लीय भेदभाव का खुलासा किया, वहीं माजिद हक और उनके पूर्व साथी कासिम शेख ने बताया कि उनकी त्वचा के रंग के कारण उनके साथ गलत व्यवहार हुआ जबकि वो स्कॉटलैंड के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेल रहे थे।
हक के दावों के बाद एक स्वतंत्र समीक्षा में पाया गया कि क्रिकेट स्कॉटलैंड की गर्वनेंस और लीडरशिक प्रैक्टिस संस्थागत रूप से नस्लवादी थी। शेख के वकील आमिर अनवर ने टी20 वर्ल्ड 2021 के दौरान घुटने पर बैठकर हाथ उठाने वाले स्कॉटलैंड के खिलाड़ियों की चुप्पी के बारे में ट्विटर पर सवाल किया।
अनवर ने ट्वीट किया, '2021 में टी20 वर्ल्ड कप में घुटने पर बैठकर हाथ उठाने का स्कॉटलैंड का क्या मतलब था, जब किसी श्वेत टीम सदस्य ने संस्थागत नस्लवाद पर पिछले कुछ दिनों में कुछ बोलना ही नहीं था। चुप रहना विकल्प नहीं, नस्लवाद विरोधी नहीं गैर नस्लवाद।'
2006 से 2015 के बीच 54 वनडे और 21 टी20 इंटरनेशनल मैच खेलने वाले माजिक हक ने स्कॉटलैंड के श्वेत टीम सदस्यों की इस मामले पर चुप रहने की आलोचना की। दुनियाभर में कई दर्दनाक घटनाएं होने के बाद खिलाड़ियों ने खेल में नस्लवाद विरोध के रूप में घुटने के बल पर बैठकर हाथ उठाकर इसका समर्थन किया था।
माजिक हक ने ट्वीट किया, 'प्रिय स्कॉटलैंड क्रिकेट टीम और कप्तान बेरिंगटन, किस कारण आप सभी शांत हैं? शर्मनाक है कि क्रिकेट स्कॉटलैंड पर नस्लवाद की रिपोर्ट पर श्वेत सदस्यों ने थोड़ा या कुछ नहीं कहा। मगर 2021 में आप घुटने पर बैठकर खुश थे।'
हक ने एक और ट्वीट, जिसमें गहरी खामोशी का उल्लेख किया गया था, पर जवाब देते हुए कहा कि खिलाड़ियों ने पुख्ता किया कि नस्लवाद जैसी चीजें चल रही हैं। उन्होंने कहा कि भले ही यह सुनने में असहज लगे कि स्कॉटलैंड के श्वेत खिलाड़ी कभी इस मामले की गहराई को समझ नहीं पाएंगे क्योंकि टीम चयन के दौरान उन्हें नस्लवाद की चिंता नहीं करने की लक्जरी हासिल है।
अनवर के ट्वीट पर हक ने जवाब दिया, 'लगता है कि इस बात से संकेत मिल रहे हैं कि नस्लवाद गहराया हुआ है क्योंकि गहरी खामोशी अपने आप में बहुत कुछ बयां कर रही है। वो शायद असहज महसूस कर रहे हो, लेकिन उन्हें यह सम्मान हासिल है कि नस्लवाद के कारण टीम चयन के लिए ज्यादा सोचना नहीं पड़ेगा।'