भारतीय महिला क्रिकेटरों और घरेलू क्रिकेटरों की मैच फीस बढ़ाई जा सकती है

अगर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के नए प्रस्तावित आर्थिक मॉडल को मंजूरी मिल जाती है तो प्रथम श्रेणी घरेलू क्रिकेट के सभी क्रिकेटरों और महिला क्रिकेटरों की मैच फीस बढ़ सकती है। बीसीसीआई की आर्थिक समिति की बैठक 13 अक्टूबर को होगी, जिसके बाद इस पर फैसला लिया जाएगा। प्रस्ताव में सीनियर घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों की मैच फीस 10 हजार से बढ़ाकर 25 हजार करने की योजना है। वहीं भारतीय महिला क्रिकेटरों की मैच फीस 3, 500 से बढ़ाकर 12, 500 करने की योजना है। माना जा रहा है कि समिति नए राजस्व डिस्ट्रिब्यूशन मॉडल में कुछ बदलाव करेगी और फिर इसको सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासकों की समिति के पास भेजेगी। सीनियर महिला क्रिकेटरों को टू प्लेयर कैटेगरी में 15 लाख और 10 लाख रुपए मिलते हैं। अगर नया आर्थिक मॉडल लागू होता है तो फिर ये राशि लगभग दोगुनी हो जाएगी। इसके बाद ग्रेड ए की खिलाड़ियों को 30 लाख रुपए, ग्रेड बी की खिलाड़ियों को 15 लाख रुपए और ग्रेड सी की खिलाड़ियों को 10 लाख रुपए मिलेंगे। वहीं घरेलू क्रिकेटरों में बी ग्रेड का भी खिलाड़ी चाहे वो आईपीएल में ना खेले एक साल में लगभग एक करोड़ रुपए कमा सकता है। ये अतिरिक्त पैसे टेस्ट प्लेयर फंड से दिए जाएंगे। टेस्ट प्लेयर फंड को भी स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड इसलिए घरेलू क्रिकेट के खिलाड़ियों की मैच फीस बढ़ाना चाहता है ताकि वो घरेलू मैचों को छोड़कर ज्यादा पैसे वाले टी20 लीग की तरफ ना आकर्षित हों। वहीं इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद अंपायरों, मैच रेफरी और स्कोरर के भी मैच फीस बढ़ सकते हैं। आईसीसी के एलीट पैनल के अंपायर और बीसीसीआई के एलीट पैनल के अंपायरों की मैच फीस एक दिन में 5 हजार से बढ़कर 20 हजार प्रतिदिन हो सकती है। बीसीसीआई की ये पहल सराहनीय योग्य है, इससे ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट खेलने की तरफ अग्रसर होंगे। जिससे भविष्य में भारतीय क्रिकेट टीम को अच्छे क्रिकेटर मिलने की संभावना ज्यादा रहेगी।

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