मयंक में है भारतीय टीम को रोशन करने का माद्दा

भारतीय टीम में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। बात चाहे जूनियर स्तर की हो या सीनियर स्तर की, सभी टीमों में एक से बढ़कर एक खिलाड़ी क्रिकेट जगत में देश का नाम रोशन कर रहे हैं। हालांकि बीते कुछ समय से भारतीय सीनियर टीम की बल्लेबाजी क्रम का संयोजन कप्तान और चयनकर्ताओं के लिए चिंता का विषय है। यही कारण है कि इंग्लैंड के खिलाफ चल रहे टेस्ट सीरीज के दौरान लोकेश राहुल को टीम में शामिल करने के लिए चेतेश्वर पुजारा को बाहर बैठना पड़ रहा है। इससे साफ जाहिर होता है कि भारतीय टीम में जगह बनाने को लेकर कड़ी प्रतिस्पर्धा है। इसी प्रतिस्पर्धा के बीच एक युवा बल्लेबाज ऐसा भी है जिसके निरंतर शानदार प्रदर्शन ने सबको हैरान कर दिया है। अपने अब तक के छोटे से करिअर में रनों का अंबार लगाने वाले इस बल्लेबाज का नाम मयंक अग्रवाल है। प्रथम श्रेणी मैचों में लगभग 51 के औसत से पांच हजार से ज्यादा रन बनाने वाले इस सलामी बल्लेबाज को भारतीय टीम का अगला ओपनर माना जा रहा है। मयंक ने पिछले आठ मैचों में तीन शतक, एक दोहरा शतक और एक अर्धशतकीय पारी खेली है। बंगलुरु में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चले रहे अनऔपचारिक टेस्ट मैच में लगाए उनके दोहरे शतक को छोड़ दें तो बाकि सभी बेहतरीन पारियां उन्होंने विदेशों में खेली है। उन्होंने पिछले रणजी मैचों में भी धुआंधार बल्लेबाजी की थी। उनकी यही काबिलियत भारतीय टीम में जगह पाने के लिए उन्हें प्रबल दावेदार बनाती हैं। रणजी ट्रॉफी के 2017-18 सीजन में अग्रवाल ने महाराष्ट्र के खिलाफ तिहरा शतक लगाया था। इसके बाद उन्होंने पिछे मुड़ कर नहीं देखा। इस 27 साल के बल्लेबाज ने इसके बाद महज 27 दिन के भीतर अपने खाते में 1000 रन जोड़ लिए। पुणे में 304 रन की नबाद पारी खेलने के बाद मयंक ने अगली आठ पारियों में 176, 23, 90, 133, 173, 134, और 78 रन बनाए। अपनी पांच शतकीय पारी की बदौलत उन्होंने 105.45 के औसत से 1160 रन बनाए। अग्रवाल के इस बल्लेबाजी प्रदर्शन से लगता है कि उनमें रनों की भूख समाई है। सैयद मुश्ताक टी-20 में भी मयंक ने उम्दा बल्लेबाजी की और नौ पारियों में 144.94 की स्ट्राइक रेट और तीन अर्धशतकों की बदौलत 258 रन अपने नाम किए। अग्रवाल का बल्ला विजय हजारे ट्रॉफी में भी जमकर धमाल मचाया। इस टूर्नामेंट में मयंक ने 90 के औसत से 723 रन अपने खाते में जोड़े। इसमें उनके तीन शानदार शतक भी शामिल हैं। इस प्रदर्शन से वह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय एक दिवसीय मैचों की शृंखला में किसी भारतीय बल्लेबाज का सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया। साथ ही उन्होंने दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को भी पीछे छोड़ दिया। सचिन के नाम 2003 विश्व कप में 623 रन बनाने का रिकॉर्ड दर्ज है। मयंक ने विजय हजारे ट्रॉफी के आठ मैचों में कुल तीन शतक और चार अर्धशतक बनाए। फाइनल मुकाबले में 90 की अर्धशतकीय पारी से मयंक ने कर्नाटक को तीसरी बार खिताब जीतने का गौरव दिलाया। मयंक के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज है। उन्होंने सचिन और विराट कोहली के जैसे दिग्गज जो कारनामा नहीं कर पाए उसे अंजाम तक पहुंचाया। भारतीय घरेलू क्रिकेट के एक सत्र में 2000 या उससे अधिक रन बनाने वाले वे पहले बल्लेबाज बने। उनके इन आंकड़ो से साफ हो जाता है कि इस युवा बल्लेबाज में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। एक मौका उन्हें दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों में शुमार कर सकता है। यह कहना गलत नहीं कि यह 27 साल का बल्लेबाज टीम इंडिया में पदार्पण के लिए बिलकुल तैयार है।