मुझे फिल ह्यूज की मौत के बाद ही संन्यास ले लेना चाहिए था: माइकल क्लार्क

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क ने ये खुलासा किया है कि उन्हें 2014 में फिलिप ह्यूज की मौत के बाद ही संन्यास ले लेना चाहिए था। क्लार्क ने यह भी बताया कि वो अपने दोस्त और साथी क्रिकेटर की मौत के बाद बुरी तरह टूट गए थे। गौरतलब है कि क्लार्क ने 2015 एशेज के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा था। उसी साल क्लार्क की कप्तानी में ही ऑस्ट्रेलिया ने विश्व कप का खिताब भी जीता था। 2014 में शेफील्ड शील्ड के एक मैच के दौरान ऑस्ट्रेलिया के पूर्व बल्लेबाज फिलिप ह्यूज की बाउंसर गेंद से चोट लगने के कारण मौत हो गई थी। सीन एबोट की गेंद ह्यूज के गर्दन पर लगी और वह उनके ज़िन्दगी की आखिरी गेंद साबित हुई। 27 नवम्बर को सिडनी के सेंट विसेंट हॉस्पिटल में ह्यूज ने अंतिम सांसें ली थी। माइकल क्लार्क ने कहा कि इस अप्रिय घटना के बाद मुझे एक भी मैच नहीं खेलना चाहिए था। उन्होंने यह भी बताया कि मेरा करियर वहीं खत्म हो जाना चाहिए था, क्योंकि ह्यूज की मौत से उबरने में मुझे काफी समय लगा। क्लार्क ने कहा कि मैं दुखी था लेकिन मेरे परिवार के प्रति और ऑस्ट्रेलिया का कप्तान होने के नाते टीम के प्रति मेरी जिम्मेदारी बड़ी थी, इसलिए मैं उस समय ज्यादा दिनों तक दुखी नहीं रह पाया। 2015 में ऑस्ट्रेलिया की टीम वेस्टइंडीज के दौरे पर गई थी और क्लार्क ने कहा कि यह उनका सबसे खराब दौरा था क्योंकि मैं काफी ज्यादा दुःख में था। क्लार्क ने बताया कि टीम 6 हफ्ते तक वेस्टइंडीज में थी और हर रात वो सोने से पहले रोते थे। क्लार्क की पत्नी काइली उस दौरे पर उनके साथ नहीं थी, क्योंकि वो गर्भवती थी और उन्हें यात्रा करने में परेशानी थी। क्लार्क ने कहा कि उस समय ह्यूज की मौत का दुःख एकदम ताज़ा था और मैं उन्हें बुरी तरह याद कर रहा था। माइकल क्लार्क ने ऑस्ट्रेलिया के लिए 115 टेस्ट, 245 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय और 34 टी20 अंतरराष्ट्रीय खेले और संन्यास के बाद फ़िलहाल उन्हें कमेंट्री करते हुए देखा जा सकता है।

Edited by Staff Editor
App download animated image Get the free App now