यह चिंतन का मुद्दा बन गया है कि मुंबई टेस्ट में जेम्स एंडरसन ने विराट कोहली की तकनीकी कमी को लेकर टिप्पणी क्यों की। क्या तीन टेस्ट मैचों में इस तेज गेंदबाज को मदद नहीं मिली इसलिए बयानबाजी की गई? क्या भारत द्वारा सीरीज़ जीतने पर ऐसा कहा गया? क्या वे मिडल-ईस्ट में एक सप्ताह की छुट्टियाँ बिताने के बाद मुंबई में खुद को ढाल नहीं पाए? इस कदम के पीछे मंशा पर सवाल उठाया जाना चाहिए, यह किसी एक नहीं बल्कि सभी को देखना चाहिए। मामले में तब और उबाल आया जब अश्विन ने इसे अपने हाथों में लेने का फैसला किया, उन्होंने अपने चरित्र से विपरीत जाकर एंडरसन को अपनी नाराजगी दिखाई, इसके बाद मामले पर विस्फोट हो गया। घटना पर एक ब्रिटिश अखबार ने अश्विन पर अभद्र भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाया और एक षड्यंत्र रचने की कोशिश की, अश्विन ने ऐसी भाषा का उपयोग किया या नहीं, इसकी भी कोई पुष्टि नहीं हुई है। कोहली ने पुराने दिनों की तुलना में एक परिपक्व खिलाड़ी होने का परिचय देते हुए मामले को हंसकर टाल दिया। इस मामले पर इंग्लैंड के एक पूर्व कप्तान ने भी बयान दिया है। भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही मौजूदा सीरीज में माइकल वॉन विशेषज्ञ के तौर पर बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं और सब मामलों को नजदीकी से देख रहे हैं। इस कद के व्यक्ति के लिए जेम्स एंडरसन के शब्दों और प्रतिक्रिया से वे निराश दिखे। वॉन ने कहा "पिछली रात एंडरसन ने भारतीय मीडिया के साथ अनुभवहीनता दर्शाई। आपको पता होना चाहिए कि आप भारतीय मीडिया के सामने हो, वे एक छोटे कमेन्ट को भी बड़ी हेडलाइन बना देते हैं। विराट की तकनीक में कोई बदलाव न होने और परिस्थितियाँ अनुकूल होने की बात कहना भोलापन है।" 2014 के इंग्लैंड दौरे पर कोहली को एंडरसन ने खासा परेशान किया था लेकिन उसके बाद भारतीय टेस्ट कप्तान ने काफी सुधार करते हुए इसी वर्ष टेस्ट क्रिकेट में तीन दोहरे शतक जड़ चुके हैं।