टेस्ट में नम्बर-1 बनने को मिस्बाह-उल-हक़ ने बताया वर्ल्डकप जीत के बराबर

मौजूदा समय क्रिकेट में बड़ी हलचल मची हुई है क्योंकि कई बड़ी टीमें एक दूसरे के साथ सीरीज खेलने में जुटी हुई है। जिसमें ऑस्ट्रेलिया श्रीलंका दौरे पर है तो न्यूजीलैंड अफ़्रीकी दौरे पर, वहीं एक तरफ भारत वेस्टइंडीज़ दौरे पर है तो दूसरी तरफ पकिस्तान इंग्लैंड का दौरा कर रही है। सभी टीमें बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं और टेस्ट में नम्बर-1 का पायदान हासिल करने के लिए पूरा पसीना बहा रही हैं। वेस्ट इंडीज़ दौरे पर गई भारतीय टीम को 4 टेस्ट मैच की सीरीज खेलनी थी जिसके पहले तीन टेस्ट पूर्ण रूप से संपन्न हुए और भारत तीन टेस्ट मैचों में 2-0 से अजयी बढ़त बना चुका था। इस तरह से भारत ने 4 टेस्ट मैचो की सीरीज़ 2-0 से जीत हासिल कर ली, लेकिन चौथा टेस्ट मैच ड्रॉ होने की वजह से भारत के हाथ से नंबर-1 की कुर्सी खिसक गई और अब टेस्ट की नंबर-1 टीम पाकिस्तान बन गई है। ऐसा माना जाता है कि ‘मौके निराशा से ही उत्पन्न होते हैं’, जब साल 2010 में पकिस्तान टीम पर स्पॉट फिक्सिंग का साया पड़ा तो टीम पूरी तरह बिखर गई थी। खिलाड़ियों के साथ साथ बोर्ड भी सकते में पड़ गया था। टीम ने तीन बेहतरीन खिलाडी खो दिए थे, टीम का कोई कप्तान नहीं था और उस वक़्त टीम आईसीसी रैंकिंग में छठे पायदान पर खिसक चुकी थी। सभी चीज़ें पूरी तरह उथल पुथल हो चुकी थी। उसके ठीक बाद बोर्ड का एक बड़ा और चौंकाने वाला फैसला आया और मिस्बाह-उल-हक़ को पकिस्तान टीम का नया टेस्ट कप्तान बनाया गया, तब से लेकर अब तक पूरे छह साल हो गए हैं और आज पकिस्तान टीम टेस्ट में आईसीसी रैंकिंग में पहले पायदान पर पहुंच चुकी है जो अपने आप में सबसे बड़ी गर्व की बात है। इंग्लैंड दौरे पर 14 अगस्त को टेस्ट मैच में जीत देकर पाकिस्तानी कप्तान मिस्बाह ने अपने देश के क्रिकेट समर्थकों को स्वतंत्रता दिवस का तोहफा दिया। “नंबर-1 बनना अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, ये बिल्कुल ऐसा ही है जैसे आपने कोई वर्ल्डकप जीता हो। इस नंबर-1 के टैग ने टीम के खिलाड़ियों का आत्मविश्वास भी बढाया है और सभी खिलाड़ी इससे प्रोत्साहित भी हुए हैं”: मिस्बाह

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इससे पहले पूर्व ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज डीन जोन्स ने भी पकिस्तान के नंबर-1 बनने पर कटाक्ष करते हुए कहा था, मैं इस आईसीसी टेस्ट रैंकिंग की इस नीति से सहमत नहीं हूं। पकिस्तान के पास नंबर-1 की कुर्सी तो है पर उनके ठीक बाद भारत दूसरे स्थान पर है जिसके पास इस पायदान को पाने के 13 मौके हैं अब देखना ये है कि पकिस्तान कब तक इस पायदान पर बरकरार रहता है और भारत कितनी जल्दी इस कुर्सी को हतिया सकता है।

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