2003 वर्ल्डकप में भारतीय क्रिकेट टीम के फ़ील्डिंग कप्तान रहे मोहम्मद कैफ़ रणजी के नए सीज़न में पहली बार खेल रही छत्तिसगढ़ टीम की कप्तानी करते नज़र आएंगे। कैफ़ जिन्होंने भारत को सबसे यादगार जीतो में से एक नैट्वेस्ट सीरीज़ का फ़ाइनल जीताने में भी अहम किरदार निभाया था। अब टीम इंडिया के इस बेहतरीन खिलाड़ी पर छत्तिसगढ़ को क्रिकेट में नई पहचान दिलाने की ज़िम्मेदारी होगी। 2002 में भारत को अंडर-19 वर्ल्डकप में जीत दिलाने वाले कप्तान मोहम्मद कैफ़ का अतंर्राष्ट्रीय करियर मिला जुला रहा है। 35 वर्षीय इस दाएं हाथ के बल्लेबाज़ ने प्रथम श्रेणी मैचों में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया है और अपनी कप्तानी में उत्तर प्रदेश को रणजी का चैंपियन भी बनाया है। 2014 तक कैफ़ उत्तर प्रदेश टीम का हिस्सा थे और फिर आंध्र प्रदेश के लिए भी उन्होंने रणजी मैचों में अपना योगदान दिया। रणजी के पिछले सीज़न में आंध्र प्रदेश के लिए कैफ़ का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था और उन्होंने 13 मैचों में महज़ 27.50 की औसत से 330 रन ही बनाए थे। प्रथम श्रेणी मुक़ाबलों में कैफ़ के नाम 39.89 की औसत से 9974 रन बनाए हैं, जिसमें 19 शतक भी शामिल है। उम्मीद है कि कैफ़ छत्तिसगढ़ के लिए खेलते हुए इस सीज़न में 10 हज़ार रनों का आंकड़ा भी पार कर जाएंगे। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सौरव गांगुली की कप्तानी में मोहम्मद कैफ़ टीम का अहम हिस्सा थे। मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाज़ी के साथ साथ कैफ़ एक शानदार फ़ील्डर भी थे। यही वजह थी कि दादा ने वर्ल्डकप 2003 के दौरान कैफ़ को फ़ील्ड़िंग कप्तान भी बनाया था, भारत ने 2003 वर्ल्डकप में फ़ाइनल तक का सफ़र तय किया था। कैफ़ के करियर का सबसे यादगार पल था इंग्लैंड में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ नैटवेस्ट सीरीज़ के फ़ाइनल में 87 नाबाद रन बनाते हुए भारत को जीत दिलाना, जिसके लिए उन्हें मैन ऑफ़ द मैच से भी नवाज़ा गया था।
रणजी में अपना डेब्यू कर रही छत्तिसगढ़ को इस बल्लेबाज़ और उनके अनुभव से काफ़ी उम्मीदें होंगी, देखना है कि कैफ़ इनपर कितना खरा उतर पाते हैं।