Mohammed Shami's Brother statement Roza Controversy: भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी इस वक्त टीम इंडिया के साथ हैं। पूरे देश की नजरें इस स्टार तेज गेंदबाज पर टिकी है। जिनके हाथ में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के फाइनल मैच में टीम इंडिया की गेंदबाजी की जिम्मेदारी होगी। मोहम्मद शमी इस वक्त देश के क्रिकेट फैंस के लिए आंखों का तारा बने हुए हैं। लेकिन वो अपने ही धर्म के लोगों के निशाने पर आ गए हैं।
मोहम्मद शमी के रोजा मामले ने पकड़ा तूल
भारतीय टीम में शामिल मोहम्मद शमी पर रोजा ना रखने को लेकर जबरदस्त हमला किया जा रहा है। हाल ही में चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान वो मैच खेलते हुए जूस पीते हुए नजर आए। इसके बाद सोशल मीडिया पर शमी को कुछ लोगों ने खूब टारगेट किया। जिसमें बरेली के एक मौलाना ने जबरदस्त हमला बोलते हुए उन्हें इस्लाम धर्म का गुनहगार करार दिया।
मोहम्मद शमी के रोजा मामले को लेकर खड़ी हुई सियासत के बीच अब उन्हें अपने भाई मोहम्मद जैद का सपोर्ट मिला है। जहां इस दिग्गज तेज गेंदबाज के भाई ने मौलाना और बाकी लोगों पर कड़ा प्रहार करते हुए उन्हें जमकर सुनाया है। जैद ने दो-टूक अंदाज में कह दिया कि मौलाना ये सब बयानबाजी टीआरपी के लिए कर रहे हैं।
शमी के सपोर्ट में उतरे भाई मोहम्मद जैद
मोहम्मद शमी के भाई मोहम्मद जैद ने एक बयान में कहा,
"आदमी कुछ भी बोल देता है। इस्लाम का गुनाहगार कोई मुसलमान एकदम नहीं बन सकता। यहां तक कि गैर-मुस्लिम भी कुछ कर देते हैं तो वो इस्लाम के गुनाहगार नहीं बनते। यह सही नहीं है। रोजा और नमाज हर मुस्लिम का फर्ज है। जब इंसान सफर में होता है, तो उसमें कई रियायतें हैं। इमाम साहब को इस्लाम की कुछ किताबें पढ़नी चाहिए। उनमें साफ-साफ लिखा है कि सफर के दौरान इंसान रोजा छोड़ सकता है और वह रोजा बाद में रख सकता है। इमाम साहब को लोगों को जागरुक करना चाहिए। ऐसे बयान सिर्फ टीआरपी के लिए दिए जाते हैं। यह सिर्फ डिमोटिवेट करने वाला बयान है।"
आपको बता दें कि भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी को मैच के दौरान पानी और जूस पीते हुए देखा गया,जिसे लेकरमौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने शमी के रोजानहीं रखने पर सवाल उठाते हुए कहा था,
"रोजा न रखकर मोहम्मद शमी ने बड़ा गुनाह किया है। पवित्र रमजान के महीने के दौरान रोजा ना रखना अल्लाह की नजर में सबसे बड़ा गुनाह है जबकि इस्लाम में रोजा रखना फर्ज है। अगर कोई मुसलमान रोजा नहीं रखता है तो वह गुनहगार है। शरीयत के नियम कायदे होते हैं और उन्हें पालन करना हर एक मुसलमान का फर्ज है।"