ये रिकॉर्ड बनाने वाली 2 ऑस्ट्रेलियाई टीमों में से ये पहली टीम थी, जिसने कप्तान रिकी पॉंटिंग की अगुवाई में लगातार 22 टेस्ट मैचों तक हार का स्वाद नहीं चखा था। लगभग ढाई साल तक ये कंगारु टीम अजेय रही और इसकी शुरुआत 2005 में मशहूर एशेज सीरीज से हुई, जिसे जीतक ऑस्ट्रेलियाई टीम ने अपना विजयी रथ आगे बढ़ाया। ओवल में पहला टेस्ट मैच ड्रॉ कराने के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम के हौसले बुलंद थे। इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम ने ना केवल एशेज जीती बल्कि अगले कुछ महीनों में टेस्ट का किंग बन गई। लगातार 22 टेस्ट मैचों से ऑस्ट्रेलियाई टीम को कोई भी टीम हरा नहीं पाई। इस दौरान केवल 2 ही मैच ड्रॉ रहे और कंगारु टीम ने 20 टेस्ट मैच जीते। कंगारु टीम ना केवल 22 टेस्ट मैचों तक अजेय रही, बल्कि इस दौरान उसने दुनिया की दिग्गज टीमों को जिस तरह से हराया वो काबिलेतारीफ था। अपने 20 टेस्ट जीत के दौरान केवल 3 बार ऐसा मौका आया जब टीम 100 से ज्यादा कम रनों से या फिर 5 विकेट से कम हाथ में रहते हुए जीती हो। इससे पता चलता है कि उस वक्त ये ऑस्ट्रेलियाई टीम कितनी खतरनाक थी। कंगारु टीम ने उस दौरान घरेलू सीरीज में श्रीलंका, वेस्टइंडीज और इंग्लैंड को व्हॉइटवॉश किया, जबकि घर से बाहर बांग्लादेशी टीम को व्हॉइटवॉश किया। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई टीम का तेजी से बढ़ रहा ये विजय रथ उस वक्त रुक गया जब अनिल कुंबले की अगुवाई में भारतीय टीम ने पर्थ टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया को 72 रनों से हरा दिया। इससे कंगारु टीम का लगातार 22 टेस्ट मैचों से ना हारने का सिलसिला टूट गया।