वनडे क्रिकेट का स्वर्णिम युग 1992 के विश्व कप के बाद शुरू हुआ था। ये पहला मौका था जब सीमित ओवरों का ये खेल रंगीन कपड़ों में खेला गया था। इस खेल में रोमांच भी यहीं से शुरू हुआ था। साथ ही दर्शकों का इस खेल के प्रति जूनून और बढ़ने लगा था। न्यूजीलैंड के मार्क ग्रेटबैच ने इस प्रारूप में सलामी बल्लेबाजों की भूमिका को भी बदल दिया। बल्लेबाजों ने 15 ओवर के फील्ड रीस्ट्रिक्सन का फायदा लेना सीखा। जिसकी वजह से दुनिया के बल्लेबाजों ने इस खेल को नई दिशा दी। जो 1996 के विश्वकप तक जारी रहा और इस दौरान विश्व क्रिकेट को कई बेहतरीन बल्लेबाज मिले।
आमिर सोहेल
पूर्व पाकिस्तानी कप्तान व सलामी बल्लेबाज आमिर सोहेल ने सईद अनवर के साथ मिलकर कई शानदार शुरूआत पाकिस्तान को दिलाने में अहम योगदान दिया। खासकर इन दोनों विश्व कप में सोहेल का प्रदर्शन बेहतरीन रहा। सोहेल उस दौर के सबसे स्टोयलिश बल्लेबाज थे। जो गेंदबाजों पर पहली गेंद से टूट पड़ते थे।
हालांकि सोहेल का करियर बहुत बड़ा नहीं रहा है, लेकिन इस लेख के हिसाब से उस दौर में उनका प्रभाव अच्छा रहा था। सोहेल ने 32.61 के औसत व 68.24 के स्ट्राइक रेट से 70 मैचों में 2218 रन बनाये थे। जिसमें दो शतक व 14 अर्धशतक शामिल हैं। पाकिस्तान को जब भी बढ़िया शुरूआत की जरुरत रही सोहेल ने हमेशा उसमें मदद की।
अरविंद डिसिल्वा
90 के दशक के अरविंद डिसिल्वा बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक थे। श्रीलंकाई क्रिकेट को शिखर पर ले जाने में उनका योगदान रहा है। डिसिल्वा उम्दा तकनीक, गजब की क्षमता और प्रतिभा के धनी बल्लेबाज थे। अपने समय में वह सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की श्रेणी में चौथे क्रम पर थे। साथ ही पाकिस्तान व ऑस्ट्रेलिया पर श्रीलंका की जीत में उनकी भूमिका अहम रही है।
इन दोनों विश्वकप में उन्होंने 81.26 के स्ट्राइक रेट से 2312 रन बनाए थे। जबकि इस दौरान उनका औसत 35 का रहा। दो शतक व 16 अर्धशतकों के साथ वह श्रीलंकाई टीम के महत्वपूर्ण स्तम्भ बने रहे। साथ ही विश्वकप 1996 के फाइनल में लाहौर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डिसिल्वा ने शानदार शतकीय पारी खेली थी। जिससे श्रीलंकाई टीम ने पहली बार विश्वकप ट्रॉफी पर कब्जा जमाया था।
मार्क वॉ
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ऑस्ट्रेलिया 90 के दशक में एक मात्र ऐसी टीम थी, जिसने लगातार उम्दा प्रदर्शन किया था। जिसकी एक वजह सलामी बल्लेबाज मार्क वॉ भी थे। वॉ एक बेहतरीन स्ट्रोक प्लेयर थे। जिन्होंने इस पीरीयड में 73 मैचों में 39 के औसत से 2602 रन बनाए थे। वॉ न सिर्फ चौके-छक्के लगाते थे, बल्कि वह अच्छी शुरूआत को शतक में बदलने में भी माहिर थे। इसलिए आपको ये जानकर हैरानी होगी कि उनके नाम 5 शतक भी दर्ज हैं। उनके नाम 19 अर्धशतक भी दर्ज हैं।
इंजमाम-उल-हक
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पाकिस्तान के महान कप्तान इंजमाम-उल-हक ने विश्वकप 1992 में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में 37 गेंदों में 60 रन की पारी खेलकर दुनिया को अपने आगमन का संकेत दे दिया था। इंजी की इस पारी के बदौलत पाकिस्तान ने वैश्विक स्तर पर कोई बड़ा टूर्नामेंट पहली बार जीता था। यही नहीं इंजी की ये फॉर्म लगातार जारी रही और कई वर्षों तक वह वनडे में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज़ भी बने रहे। इन दोनों विश्वकप के दरमियां उन्होंने 79 मैचों में 41.79 के औसत से 2675 रन बनाये। जिसमें 2 शतक और 21 अर्धशतक शामिल थे। इंजमाम की सबसे बड़ी खासियत ये थी कि वह बड़े शॉट से रन बनाना ज्यादा पसंद करते थे। उहोने 225 चौके और 29 छक्के लगाते हुए अरविन्द डिसिल्वा की बराबरी भी की। पाकिस्तान की जीत में इंजमाम की भूमिका सबसे अहम मानी जाती थी।
ब्रायन लारा
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ब्रायन लारा यकीनन दुनिया के सबसे बेहतरीन बाएं हाथ के बल्लेबाजों में से एक रहे हैं। 5वें व 6वें विश्व के दरम्यान उन्होंने वनडे क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया था। लारा ने अपने वक्त के तकरीबन हर विपक्षी गेंदबाजों की जमकर खबर ली। 68 मैचों में उन्होंने 11 रन कम 3000 रन बनाए थे। जहां उनका स्ट्राइक रेट 77 व औसत 49 का था। साथ ही इस दौरान उन्होंने 6 शतक और 21 अर्धशतक भी ठोंके थे। शारजाह में श्रीलंका के खिलाफ लारा ने शानदार 169 रन बनाए थे। उनकी इस पारी की मदद से वेस्टइंडीज ने 1995 में सर्वाधिक 334 रन का स्कोर बनाया था। लेखक-सोहम, अनुवादक- जितेंद्र तिवारी