अनिल कुंबले का कोच बनना वनडे कप्तान एम एस धोनी के करियर को कर सकता है लंबा

भारतीय क्रिकेट टीम को 16 साल बाद कोई स्वदेशी कोच मिला है और वह भी दिग्गज अनिल कुंबले के रूप में। अनिल कुंबले से पहले आख़िरी भारतीय कोच थे कपिल देव, जिनके बाद न्यूज़ीलैंड के जॉन राइट पर टीम इंडिया के कोचिंग की ज़िम्मेदारी आई थी। राइट के कार्यकाल को सौरव गांगुली के साथ मिलकर भारतीय क्रिकेट टीम को एक नई पहचान देने के लिए जाना जाता है। जॉन राइट के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के कोच बने ऑस्ट्रेलियाई ग्रेग चैपल, जिनका दौर सबसे बुरा माना जाता है। चैपल अपने तानाशाह रवैये की वजह से खिलाड़ियों के साथ तालमेल बिठाने में असफल रहे जिसका ख़ामियाज़ा टीम इंडिया को भी भुगतना पड़ा था। सौरव गांगुली और ग्रेग चैपल के बीच विवाद किसी से नहीं छिपा है। आख़िरकार चैपल के कार्यकाल को बीसीसीआई ने आगे नहीं बढ़ाया और फिर गैरी कर्स्टन के रूप में एक और विदेशी कोच मिला, कर्स्टन और धोनी की जोड़ी ने भारत को टेस्ट में नंबर-1 भी बनाया और 28 साल बाद भारत को इसी जोड़ी ने 2011 में वनडे का वर्ल्ड चैंपियन बनाया था। गैरी कर्स्टन के बाद एक और विदेशी कोच टीम इंडिया को डंकन फ़्लेचर के तौर पर मिला, फ़्लेचर का कार्यकाल मिला जुला रहा लेकिन कर्स्टन और राइट की तरह वह उतने लोकप्रिय नहीं हो पाए। फ़्लेचर के बाद टीम इंडिया को कोई स्थाई कोच नहीं मिला था, जिसकी तलाश अब अनिल कुंबले ने पूरी कर दी है। ऐसा कहा जाता है कि कोच और कप्तान की जोड़ी टीम को सफल बनाने में काफ़ी अहम होती है। जैसे कभी सौरव गांगुली और राइट की जोड़ी ने भारतीय टीम में एक नई ऊर्जा डाली और लड़ने का जज़्बा सिखाया, तो धोनी और कर्स्टन की जोड़ी ने भी भारतीय टीम को जीत की पटरी पर ख़ूब दौड़ाया। पिछले कुछ सालों से टीम इंडिया के पास कोई मुख्य कोच नहीं था, हालांकि पूर्व भारतीय ऑलराउंडर रवि शास्त्री इस ख़ाली जगह को निदेशक के हैसियत से बख़ूबी भर रहे थे और टीम को कई सफलताएं भी मिली। लेकिन रवि शास्त्री और वनडे कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बीच में सबकुछ ठीक चल रहा था, इस पर संदेह के बादल हमेशा मंडराते रहे। ख़बरें ये भी आईं कि शास्त्री के दबाव की वजह से धोनी ने टेस्ट से संन्यास लिया और उनकी जगह विराट कोहली को कप्तान बनाया गया। रवि शास्त्री ने हाल ही में कोहली को लेकर एक बयान देते हुए ये कहा था कि धोनी की जगह कोहली को हर एक फ़ॉर्मेट का कप्तान बना देना चाहिए, जिसके बाद इस बात को और भी बल मिला कि धोनी और शास्त्री के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। ऐसे में धोनी और उनके फ़ैंस के लिए अनिल कुंबले का कोच बनना अच्छी ख़बर लेकर आया है, क्योंकि अनिल कुंबले और महेंद्र सिंह धोनी का रिश्ता काफ़ी अच्छा और सुनहरा रहा है और कुंबले ने ही पहली बार धोनी को टेस्ट कप्तान के योग्य बताया था। साल 2007 में जब अनिल कुंबले भारतीय क्रिकेट टीम के टेस्ट कप्तान बने थे तब धोनी उप-कप्तान थे। नवंबर 2008 में ऑस्ट्रेलिया भारत दौरे पर थी और आख़िरी टेस्ट मैच में कुंबले चोटिल हो गए थे लिहाज़ा धोनी को पहली बार टेस्ट मैच में कप्तानी का मौक़ा मिला था और उस मैच में धोनी ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए टेस्ट मैच में भारत को एक बड़ी जीत दिलाई थी। धोनी की कप्तानी ने कुंबले को बेहद प्रभावित किया, और इस मैच के बाद ही अनिल कुंबले ने ये कहते हुए संन्यास की घोषणा कर दी थी कि मेरे उत्तराधिकारी और टीम इंडिया को आगे ले जाने के लिए धोनी बेस्ट हैं। धोनी ने कुंबले के विश्वास पर खरा उतरते हुए ठीक एक साल बाद भारत को टेस्ट में नंबर-1 बना दिया था। ऐसे में एक बार फिर जब धोनी और कुंबले की जोड़ी साथ होगी तो भारत का सुनहरा भविष्य तो होगा ही साथ ही धोनी का करियर भी लंबा हो सकता है, और अगर कुंबले के साथ मिलकर धोनी 2019 का वर्ल्डकप भी खेल जाएं तो कोई हैरानी नहीं।