सुनहरे रंग के लंबे बाल और घर में बनी हुई बल्लेबाजी तकनीक जो कि ज्यादा चाहने वाली नहीं, लेकिन काफी असरदार थी। एमएस धोनी जो कप्तान न हो, ऐसा लगता है कि किसी और युग की यादें लगती हैं। वह पहले क्लब में गेंदबाज हुआ करते थे, कप्तानी से पहले वह अपने बल्ला बिलकुल थोर के जोलनिर जैसे फेंकते थे। फिर घड़ी का काँटा बदला और धोनी पूरी तरह से विकेटकीपर बल्लेबाज बने। इंग्लैंड के खिलाफ कटक में धोनी ने पुराने अंदाज में रन बनाए और एक दशक पुरानी याद ताजा कर दी। उन्होंने 2013 अक्टूबर के बाद पहला शतक बनाया और उन आलोचनाओं को ख़ारिज किया, जिसमें 35 वर्षीय बल्लेबाज की सीमित ओवरों में क्षमता पर सवाल उठाए जा रहे थे। चलिए आज उन यादों को ताजा करते हैं जब धोनी पर कप्तानी का भार नहीं था, उस समय उन्होंने सर्वश्रेष्ठ पारियां कौनसी खेली थी :
72* vs पाकिस्तान, लाहौर (2005)
लंबे सुनहरे बाल वाले धोनी को पाकिस्तान के प्रेसीडेंट परवेज मुशर्रफ के रूप में नया फैन मिला था, जिन्होंने भारत-पाकिस्तान वन-डे के बाद पोस्ट मैच प्रेजेंटेशन सेरेमनी में प्रोटोकॉल तोड़ते हुए धोनी से अपने बाल नहीं कटवाने को कहा था। कई घंटों पहले, धोनी ने मुश्किल लक्ष्य का सफल पीछा करके पाकिस्तान के कप्तान इंज़माम उल हक को गुस्से में सर के सभी बाल खींचने के लिए मजबूर कर दिया था। शॉर्ट गेंद स्क्वायर लेग बाउंड्री के ऊपर से जा रही है, फुल लेंथ की गेंदें साइटस्क्रीन पर तथा कैमरामैन का सबसे पसंदीदा काम पाकिस्तानी गेंदबाजों के निराश चेहरे को ज़ूम करके दिखाना, यह सभी देखने को मिल रहा था। धोनी ने मुश्किल लक्ष्य का सफल पीछा करने के लिए पारी का निर्माण किया और उनके इस काम में साथी रहे युवराज सिंह। धोनी और युवराज ने पाकिस्तानी गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाते हुए सिर्फ 79 गेंदों में 102 रन की साझेदारी की। एक समय राणा नावेद उल हसन अपनी लेंथ पूरी तरह भूल गए थे। वह धोनी को लगातार शॉर्ट गेंदे पटकने लगे, जिसमें से तीन लगातार गेंदों को बल्लेबाज ने बाउंड्री पार भेजा। इस समय किसी को धोनी के भविष्य में शीर्ष फिनिशर बनने की क्षमता पर संदेह नहीं हुआ। 91* vs बांग्लादेश, ढाका (2007)
कुछ महीनों पहले भारतीय टीम अपने सबसे मुश्किल समय से गुजर रही थी क्योंकि वह बांग्लादेश के हाथों शिकस्त खाकर 2007 विश्व कप के पहले दौर से बाहर हो गई थी। एमएस धोनी के लिए बड़े मौके पर बल्लेबाज के रूप में उभरने की साख पर बट्टा लगा था जब वह पांच गेंदों में शून्य रन पर आउट हुए थे। चीजों को जल्दी भूलने की जरूरत थी और इसका सर्वश्रेष्ठ तरीका बड़ी पारी खेलकर विश्वास हासिल करना था। धोनी ने बाद में कहा था कि विश्व कप से बाहर होने ने उनके दिमाग पर गहरा प्रभाव छोड़ा था। इस पारी के बाद अलग तरह के धोनी देखने को मिले जो चिंतामुक्त नहीं लेकिन अपने आक्रामक शॉट्स के साथ नपे-तुले हुए। पहले बल्लेबाजी करते हुए बांग्लादेश ने 250 रन बनाए। जवाब में भारतीय टीम 63 रन पर तीन विकेट गंवाकर संघर्ष कर रही थी। धोनी ने एक छोर पर शानदार बल्लेबाजी की और दिनेश कार्तिक के साथ मिलकर टीम को जीत दिलाई। 96 vs इंग्लैंड, जमशेदपुर (2006)
वीरेंदर सहवाग और एमएस धोनी एकसाथ ओपनिंग करे, ऐसा सपने में सोचा जा सकता है। मगर यह असलियत में तब्दील हुआ जब भारत और इंग्लैंड के बीच 2006 में जमशेदपुर में मैच खेल गया। इस मैच में शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों ने अच्छा योगदान नहीं दिया, लेकिन धोनी को रमेश पोवार के रूप में साथी मिला और दोनों ने भारत को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया। पोवार ने इस मैच में अपने करियर का पहला अर्धशतक जमाया। भारत ने 79/5 की ख़राब स्थिति से उबरते हुए 223 रन का स्कोर खड़ा किया। गर्मी और उमस के बावजूद धोनी ने बढ़िया संयम बरतते हुए बल्लेबाजी की। उन्होंने पारी के दौरान पीठ पर आइस पैक भी लगाया। 183* vs श्रीलंका, जयपुर (2005)
'धोनी का दिवाली धमाका' टाइटल के साथ अगले दिन की सुर्खियां बनी जब भारत को नया पॉवर हिटर मिला, जिसने एक पारी में लगभग कई वन-डे रिकॉर्ड्स को चुनौती दे डाली। जयपुर स्टेडियम जो 6 महीने पहले बंजर जमीन बनी पड़ी थी, अब इतिहास का हिस्सा बन चुकी थी क्योंकि धोनी ने वन-डे में विकेटकीपर द्वारा बनाए सर्वाधिक स्कोर का रिकॉर्ड बनाया था। यह रिकॉर्ड अब भी उनके नाम दर्ज है। 7/1 के स्कोर पर क्रीज पर उतरे धोनी अलग ही अवतार में नजर आए। उन्होंने चामिंडा वास की गेंद पर ऑफ़साइड में कुछ बेहतरीन स्ट्रोक्स खेले और फिर अपने गियर बदलते हुए स्पिनरों की धज्जियां उड़ा दी। धोनी ने उपुल चंदना को बिलकुल नेट गेंदबाज के जैसे बर्ताव किया तथा फरवीज महरूफ व दिलहारा फ़र्नांडो की गेंदों पर जमकर प्रहार करते हुए अपना लोहा मनवाया। धोनी ने लांगऑन पर लंबा छक्का मारकर लक्ष्य का सफल पीछा किया, जो कि पारी का उनका 10वां छक्का था। 148 vs पाकिस्तान, विशाखापट्टनम (2005)
इस मैच से पहले धोनी ने पिछले चार वन-डे में क्रमशः 0, 12, 7* और 3 रन की पारी खेली थी। ख़राब शुरुआत के कारण धोनी को उनकी अजीब बल्लेबाजी स्टाइल के लिए काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। वह अपनी जगह गंवाने से सिर्फ एक मैच दूर थे, लेकिन तभी उन्होंने बड़े मंच पर अपनी उपयोगिता की दस्तक दी। पाकिस्तान के खिलाफ धोनी ने बेहद आक्रामक पारी खेलते हुए 148 रन बनाए। लेग स्पिनर्स की गेंद पर लॉफ्टेड ड्राइव्स खेलकर छक्का जमाना तथा ऑफ़स्पिनर्स की गेंद को स्टैंड्स में भेजा। अलग तरह के जश्न मनाने में दर्शाया कि यह पारी उनके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी अपने आप को साबित करने के लिए। उन्होंने यह शानदार अंदाज में किया।