एम एस धोनी द्वारा मैदान पर लिए गए 5 सबसे निंदनीय फैसले

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महेंद्र सिंह धोनी को उनके अलग अंदाज के लिए जाना जाता है। जिस तरह से धोनी मैदान पर जुआ खेलते हैं वो कोई और कप्तान नहीं कर सकता और मुश्किल परिस्थितियों में जिस तरह माही रिस्क लेते हैं, वो उन्हें सबसे जुदा करता है। इसकी शुरुआत 2007 टी20 वर्ल्ड से हुई जब धोनी ने आखिरी ओवर अनुभवी हरभजन सिंह की जगह जोगिंदर शर्मा से कराया। धोनी अपने दिल की सुनते हैं न कि लॉजिक देखते हैं। धोनी ने जोगिंदर को मैच का रुख भारत के पक्ष में करने का मौका दिया, और उन्होंने भारत को 5 रन से जीत दिलाकर ये कारनामा कर दिखाया। अगर भारत उस दिन हार जाता, तो धोनी के इस फैसले को कोई स्वीकार न करता और उन्हें भारी आलोचना झेलनी पड़ती। ऐसा ही धोनी ने 2011 वर्ल्ड कप में भी किया, जब उन्होंने खुद को बैटिंग ऑर्डर में प्रमोट कर इन-फॉर्म बल्लेबाज युवराज सिंह की जगह बल्लेबाजी करने का फैसला किया, और उस वक्त माही को रन बनाने के लिए खासा संघर्ष करना पड़ रहा था। इस बार भी माही ये जुआ जीत गए और भारत 28 साल बाद फिर वर्ल्ड चैंपियन बना। दुर्भाग्यवश, धोनी के कई फैसले ऐसे थे जिनकी वजह से भारत जीत की दहलीज तक पहुंच कर रह गया और उन्हें अपने निम्न फैसलों की वजह से काफी आलोचना झेलनी पड़ी। धोनी के गलत फैसलों पर एक नजर :


  1. वर्ल्ड कप 2011, भारत बनाम साउथ अफ्रीका

भारतीय प्रशंसक उस वक्त बेहद खुश नजर आ रहे थे जब, आखिरी ओवर में साउथ अफ्रीका को जीत के लिए 13 रन की दरकार थी। वीसीए स्टेडियम में खेले गए इस मैच में धोनी ने आखिरी ओवर में गेंद, हरभजन की बजाय आशीष नेहरा के हाथ में थमा दी। भारतीय फैंस को क्रिकेट पंडितों और धोनी के इस फैसले पर यकीन था कि भारत ये मैच जीत जाएगा। लेकिन जिसकी कल्पना किसी ने भी नहीं कि थी ऐसा वाक्या हुआ। रॉबिन पीटरसन ने धुआंधार बल्लेबाजी करते हुए दो चौके और एक छक्का जड़कर इस हाई वॉल्टेज मैच में साउथ अफ्रीका को विजय दिलाई। भारत की हार के बाद फैन्स ने धोनी के खिलाफ जमकर विरोध किया और नेहरा पर भी अपना गुस्सा जाहिर किया।

  1. टी20 वर्ल्ड कप 2014, भारत बनाम श्रीलंका फाइनल

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2014 टी-20 वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला भारतीय फैंस के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है। जिस स्टार खिलाड़ी ने भारतीय प्रशंसकों को जश्न मनाने और गर्व करने के कई यादगार पल दिए, युवराज सिंह ही फाइनल मुकाबले में भारत को मिली हार के जिम्मेदार थे। अचानक ही, ये हीरो एक विलेन में तबदील हो गया। 21 गेंदों पर 11 रन बनाने वाले युवराज ने, फाइनल में के विराट कोहली के योगदान पर पानी फेर दिया। जो मैच आसानी से जीत की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा था उसका परिणाम भारत को हार के साथ भुगतना पड़ा। इस शर्मनाक हार के बाद, धोनी को युवराज को प्लेंइग 11 में शामिल करने के फैसले के लिए क्रिकेट प्रशंसको के गुस्से का सामना करना पड़ा। धोनी युवराज के समर्थन में मीडिया के सामने आए और कहा, ‘जितने निराश युवराज हैं उतना कोई नहीं होगा।’

  1. 2011-12 ऑस्ट्रेलिया, कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज

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कैप्टन कूल माही को मैच को आखिरी ओवर तक ले जाने और टीम को जीत दिलाने की आदत है। लेकिन जब धोनी ऐसा करने में नाकाम होते हैं तो उन्हें क्रिकेट पंडितों और भारतीय फैंस की आलोचना का शिकार होना पड़ता है। ऑस्ट्रेलिया में कॉमनवेल्थ सीरीज के दौरान, भारतीय टीम 237 रन के लक्ष्य का पीछा कर रही थी और गौतम गंभीर की बेहतरीन 91 रनों की पारी के बाद भारत की जीत निश्चित लग रही थी, लेकिन मैच को आखिरी ओवरों तक ले गए और भारत मैच हार गया। जिसके बाद गंभीर ने धोनी की आलोचना करते हुए कहा कि अगर वो आखिर तक रहते तो मैच को 45 ओवर में ही खत्म कर देते। इसके अलावा गंभीर ने अपने रन आउट होने के लिए भी धोनी को ही जिम्मेदार बताया।

  1. 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ टी20 मैच

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आखिरी ओवर में भारत को जीत के लिए 17 रन चाहिए थे, और क्रीज पर धोनी और रायडु मौजूद थे। धोनी को अपनी मैच फीनिशिंग क्षमता पर पूरा यकीन था, और उन्होंने आखिरी ओवर की हर गेंद का सामना किया, और रायडु को एक बार भी स्ट्राइक नहीं दी। जिसकी कीमत भारत को हार कर चुकानी पड़ी। इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी दो गेंद शेष थी, और भारत को पांच रन की दरकार थी। धोनी ने अगली गेंद को डीप शॉट लेग की ओर खेला और सिंगल लेकर रायडु को स्ट्राइक देने की बजाय वो अपने जगह पर ही खड़े रहे, उन्होंने आखिरी गेंद खुद खेलने का फैसला किया लेकिन आखिरी गेंद पर एक ही रन ले पाए और इसी के साथ भारत ये मुकाबला हार गया।

  1. इंग्लैंड के खिलाफ 2011 में लॉर्ड्स पर खेला गया सीरीज का पहला टेस्ट
England v India: 1st npower Test - Day Two

धोनी अपनी असामान्य कप्तानी को लेकर अक्सर आलोचनाओं का शिकार होते रहे हैं और 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स टेस्ट के पहले दिन जहीर खान इंजरी के चलते नहीं खेल पाए थे जिस वजह से धोनी फिर सवालों के घेरे में आ गए थे। टेस्ट के दूसरे दिन धोनी ने खुद गेंदबाजी करने का फैसला लिया, जिसके बारे में किसी ने नहीं सोचा था। धोनी के इस फैसले की आलोचना करते हुए पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव ने कहा, “धोनी खुद गेंदबाजी करके टेस्ट क्रिकेट का मजाक बना रहे है, जिसे मैच के दूसरे दिन स्वीकार नहीं किया जा सकता, तुम ऐसा नहीं कर सकते।” धोनी ने 8 ओवर गेंदबाजी की लेकिन वो अपनी छाप छोड़ने में नाकाम साबित हुए। भारत 196 के बड़े अंतर से ये मैच हार गया।