महेंद्र सिंह धोनी के टीम इंडिया में शामिल होने से पहले समय समय पर अलग अलग विकेटकीपर देखने को मिले लेकिन जैसे ही धोनी ने ये जिम्मेदारी संभाली , उन्होंने इसे लगातार बखूबी निभाया। जब से धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया तो ये जिम्मेदारी ऋद्धिमान साहा को सौंपी गई। मगर धोनी का जादू अब भी बरकरार है, क्योंकि अभी भी उनकी कमी पूर्व दिग्गज बल्लेबाज-कप्तान सुनील गावस्कर तक को खल रही है। गावस्कर का मानना है कि धोनी को टेस्ट क्रिकेट से इतनी जल्दी संन्यास नहीं लेना चाहिये था। यह बात उन्होंने उस समय कही जब दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच से पहले साहा के चोटिल होने के कारण पार्थिव पटेल को ये मौका दिया गया। क्योंकि पार्थिव ने अपने प्रदर्शन से निराश किया इसीलिए उन्होंने ये इच्छा जाहिर की। गावस्कर ने कहा "धोनी की मौजूदगी में भारतीय क्रिकेट टीम लम्बे समय तक फायदे में रही, हो सकता है धोनी कप्तानी का दवाब ढोने को तैयार न थे, इसीलिए उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया। लेकिन मैं तो फिर भी चाहूंगा धोनी फिर से कप्तानी संभाल कर विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में नज़र आएं। धोनी के ड्रेसिंग रूम में रहते हुए कई मददगार सलाह मिलतीं जिनसे निश्चित ही फ़ायदा होता।'' हालांकि सुनील गावस्कर ने ये भी कहा कि ''भारतीय टीम ऋद्धिमान साहा को बहुत मिस कर रही होगी। उन्होंने पिछले मैच में 10 कैच पकड़े थे। वो एक अलग दर्जें के विकेटकीपर हैं। पार्थिव भी प्रयोगों के तौर पर अच्छे विकेटकीपर हैं और वो बल्लेबाज के रूप में छोटे लड़ाके हैं। " साथ ही गावस्कर ने इस मैच की कमियां उजागर करते हुए कहा " हमने कैच करने के कई आसान मौके गंवाए। जब आप कैच छोड दें तो ये क्रिकेट में होता रहता है, कोई बड़ी बात नहीं है मगर आप उसी आसान कैच को पकड़ने की कोशिश ही ना करें तो ये एक अहम मुद्दा और कमी उभर कर सामने आती है।"