कई वर्षों से भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की बहुत बड़ी पहचान रही है शांतचित रहना, फिर चाहे वो मैदान पर हो या मैदान से बाहर। यही कारण है कि उन्हें एक दूसरा नाम 'कैप्टन कूल' मिला। विजय हजारे ट्रॉफी के सेमीफाइनल में झारखंड की कप्तानी करने वाले धोनी टीम की हार के बाद उत्तेजित हो गए, यह देखना टीम के सभी खिलाड़ियों के लिए झटका लगने जैसा था। झारखंड के एक खिलाड़ी ने मैच के बाद कहा, 'हम मैच जीतकर विजय हजारे ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचना चाहते थे और यह माही भाई की इच्छा थी। हमारे गेंदबाजों में नियमितता की कमी रही। एक सेमीफ़ाइनल मैच में आप ऐसी गेंदबाजी की उम्मीद नहीं कर सकते।' उन्होंने आगे कहा, 'ख़राब क्षेत्ररक्षण और गेंदबाजी में नियमितता की कमी के चलते बंगाल ने 330 का स्कोर खड़ा कर दिया। धोनी भाई इससे खुश नहीं थे और पहली बार मैंने उन्हें उदास देखा। धोनी भाई से आप उनका शांत स्वभाव खोने की उम्मीद नहीं कर सकते। उन्होंने हमेशा हमारा समर्थन किया है।' यह भी पढ़ें : भारतीय टीम की प्रमुख जानकारी वाला एमएस धोनी का फ़ोन दिल्ली में हुआ चोरी बता दें कि बंगाल ने अभिमन्यु ईस्वरन और श्रीवत्स गोस्वामी के शतकों की बदौलत झारखंड के सामने 331 रनों का विशाल लक्ष्य रखा था। महेंद्र सिंह धोनी इससे नाराज और निराश थे। उन्होंने बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए खुद में भरोसा रखते हुए स्कोर का पीछा किया और तीन विकेट जल्दी गिरने के बाद सौरभ तिवारी के साथ 100 रन की साझेदारी की। इसके बाद झारखंड के लिए नियमित अच्छा प्रदर्शन करने वाले ईशांक जग्गी के साथ मिलकर जरुरत के हिसाब से 10 रन प्रति ओवर से रन बनाते हुए तेजी से 97 रन जोड़े, लेकिन धोनी के आउट होने के बाद झारखंड की टीम को हार का मुंह देखना पड़ा। ईशांक जग्गी ने कहा, 'जब हम खेल रहे थे तब वे काफी सोच-समझकर खेलते हुए कब बड़े शॉट के लिए जाना है, मुझे यह सलाह भी दे रहे थे। उन्हें मालूम था कि अंत तक खेलने से वे मैच को हमारे पक्ष में समाप्त कर देंगे। वे बहुत उदास थे क्योंकि यह हम सबके लिए बहुत मायने रखता था।'