एम एस धोनी (MS Dhoni) भारत के सबसे सफल कप्तान रहे हैं। उन्होंने अपनी कप्तानी में भारतीय टीम (Indian Cricket Team) को आईसीसी की तीनों ही ट्रॉफी जिताई। इसके अलावा एम एस धोनी की सबसे खास बात ये थी कि विकेटों के पीछे रहते हुए वो गेंदबाजों को हमेशा काफी गाइड भी करते थे। उनके गाइडेंस से गेंदबाजों को काफी फायदा होता था। सबसे बड़ा उदाहरण युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव का है। धोनी अक्सर विकेटकीपिंग करते हुए चहल और कुलदीप को दिशा-निर्देश देते रहते थे कि वो किस तरह से गेंदबाजी करें।
2017 के चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में भारतीय टीम को हार मिली और इसके साथ ही रविचंद्रन अश्विन को टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। वहीं जडेजा को भी कम ही मैचों में मौका मिलने लगा। इनकी जगह युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव की जोड़ी ने ले ली। 2017 से लेकर 2019 के वर्ल्ड कप तक चहल और कुलदीप की जोड़ी बरकरार रही और इस जोड़ी ने मिडिल ओवर्स में काफी सारे विकेट लेकर भारतीय टीम को मैच जिताए। चहल और कुलदीप की जोड़ी की खास बात ये थी कि ये विकेट लेने के लिए जाते थे और हमेशा अटैक करते थे। इसी वजह से भारतीय टीम ने काफी सारी सीरीज भी जीती।
चहल और कुलदीप को एम एस धोनी काफी गाइड करते थे
चहल और कुलदीप की सफलता के पीछे एम एस धोनी का भी बड़ा हाथ था। वो विकेटों के पीछे से इन दोनों ही गेंदबाजों को बताते थे कि कहां पर गेंदबाजी करें और कहां नहीं करें। कई बार दोनों ही गेंदबाजों ने खुद ये बात कबूल की थी कि उनका प्रदर्शन एम एस धोनी की वजह से और ज्यादा अच्छा हो गया। हालांकि 2019 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में मिली हार के बाद एम एस धोनी ने एक भी इंटरनेशनल मुकाबला नहीं खेला और इसके साथ ही चहल और कुलदीप की जोड़ी भी टूट गई।
धोनी के संन्यास के बाद इनका प्रदर्शन वैसा नहीं रहा। चहल ने तो किसी तरह टीम में अपने आपको बनाए रखा लेकिन कुलदीप यादव काफी ज्यादा रन देने लगे और उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। पिछले दो टी20 वर्ल्ड कप से कुलदीप यादव को टीम में जगह नहीं मिली है। वहीं चहल को भी पिछले टी20 वर्ल्ड कप से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। इससे तो यही पता चलता है कि एम एस धोनी के बगैर दोनों ही गेंदबाज उतने प्रभावशाली नहीं साबित हुए हैं और उनके संन्यास का असर इनके परफॉर्मेंस पर भी पड़ा है।