खराब फार्म के कारण एमएस धोनी अब सिलेक्टर्स की राडार पर आ गए हैं। उन्हें वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी -20 श्रृंखला के लिए भारतीय टीम में शामिल नहीं किया गया है। सिलेक्टर्स ने यह साफ़ कर दिया है कि अब वे युवा खिलाड़ियों को क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में मौका देना चाहते हैं।
2007 में जब टीम इंडिया ने पहला टी-20 वर्ल्ड कप खेला, तो वरिष्ठ खिलाड़ियों ने स्वयं ही युवा खिलाड़ियों को मौका देने के लिए अपना नाम वापस ले लिया था। पर यहां चीज़ें थोड़ी अलग हैं क्योंकि धोनी का लगातार खराब प्रदर्शन उन पर भारी पड़ रहा है। आईपीएल 2018 में, धोनी ने निश्चित रूप से शानदार प्रदर्शन किया था लेकिन उसके बाद वह अपने इस प्रदर्शन को दोहरा नहीं पाए हैं जिसकी वजह से उनकी बल्लेबाज़ी क्षमता पर अब सवाल उठने लगे हैं। अगर आगे भी धोनी रन बनाने में नाकाम रहते हैं तो मुमकिन है कि उन्हें अगले साल इंग्लैंड में होने वाले विश्व कप के लिए टीम में शामिल ना किया जाये।
सिलेक्टर्स ने धोनी को वेस्टइंडीज़ और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाली आगामी दो टी -20 श्रृंखलाओं के लिए टीम में शामिल ना कर यह स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें जल्द ही अपने प्रदर्शन में सुधार करना पड़ेगा नहीं तो भारत की वनडे टीम से भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। यदि ऐसा होता है, तो विश्व कप 2019 में उनके खेलने के अवसरों को झटका लग सकता है।
आंकड़ों पर एक नज़र डालें तो धोनी ने पिछले 18 एकदिवसीय मैचों की अपनी 12 पारियों में सिर्फ 25.20 की औसत और महज 68.10 की स्ट्राइक रेट के साथ रन बनाए हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि धोनी का अपने 14 साल लंबे करियर में किसी भी कैलेंडर वर्ष में 75 से कम का स्ट्राइक रेट नहीं रहा है।
अब धोनी विश्व कप 2019 खेलेंगे या नहीं, यह आगामी ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दौरे के बाद साफ़ हो जायेगा। यदि धोनी इन दोनों श्रृंखलाओं में अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहते हैं, तो उनके लिए भारत की विश्व कप टीम का हिस्सा बन पाना लगभग नामुमकिन हो जायेगा। ऐसी स्थिति में ऋषभ पंत को उनकी जगह टीम में शामिल किया जा सकता है।
वैसे धोनी के टीम में रहने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि वह कप्तान विराट कोहली को मैदान पर अहम फैसले लेने में मदद कर सकते हैं और विकेट के पीछे उनका प्रदर्शन हमेशा लाजवाब रहता है। रिव्यु लेने में भी उनका कोई सानी नहीं और उनके ज़्यादातर रिव्यु एकदम सही साबित हुए हैं। फिर भी, धोनी को विकेट के पीछे ही नहीं बल्कि विकेट के आगे भी अपनी उपयोगिता साबित करनी होगी। कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि भारतीय टीम के आगामी दो विदेशी दौरे एमएस धोनी के भविष्य की दिशा तय करेंगे।
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