सितम्बर में भारत के पूर्व विकेटकीपर एमएसके प्रसाद को बीसीसीआई ने प्रमुख चयनकर्ता के तौर पर नियुक्त किया था। इस नई चयन समिति के सामने कई चुनौतियां थी और अभी तक प्रसाद के साथ बाकी चयनकर्ताओं ने काफी बढ़िया काम किया है। खिलाड़ियों के बढ़िया प्रदर्शन को पूरी तरह तरजीह दी जा रही है और इसी वजह से न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में गौतम गंभीर की वापसी हुई थी। भारतीय टीम का मौजूदा सीजन काफी लंबा है और इस कारण से कई खिलाड़ी चोटिल हो रहे हैं और ऐसे में चयनकर्ताओं के सामने एक बड़ी चुनौती आ रही है। उन्हें ऐसे खिलाड़ियों को चोटिल खिलाड़ियों की जगह देनी होती है जो सही मायने में टीम में जगह के हकदार हैं। रिद्धिमान साहा के चोटिल होने के कारण इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट में पार्थिव पटेल को आठ साल बाद टीम में शामिल किया गया और उन्होंने बढ़िया प्रदर्शन किया। इस कारण से पार्थिव के मुंबई टेस्ट में खेलने की भी काफी संभावनाएं हैं। चयन प्रक्रिया को लेकर इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए प्रमुख चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने कहा कि सीनियर खिलाड़ियों से बातचीत करना काफी जरुरी है। उन्होंने बताया कि चयन समिति को युवराज सिंह, गौतम गंभीर और शिखर धवन से बात करके उन्हें बताना पड़ा कि उन्हें टीम से बाहर क्यों रखा गया है। प्रसाद ने कहा कि प्रदर्शन के अलावा आपकी फिटनेस भी टीम में जगह बनाने के लिए काफी जरुरी होती है। इस परिस्थिति में खिलाड़ियों को हमें बताना होता है कि उन्हें टीम में नहीं रखा जा सकता। प्रसाद ने कहा कि अगर आप किसी को टीम से बाहर कर रहे हैं या उन्हें टीम में शामिल कर रहे हैं, तो उन्हें इसका कारण बताना जरुरी है। सुरेश रैना को भी लेकर एमएसके प्रसाद ने कहा कि हामी खिलाड़ियों से क्या अपेक्षाएं रहती हैं, ये हम उन्हें बताते हैं। अगर वो उसपर खड़े नहीं उतरते हैं तो हमें उन्हें टीम से बाहर रखना पड़ता है। सीनियर खिलाड़ी अगर फिट नहीं हैं तो वो इतने समझदार तो हैं कि ये समझ सकें कि टीम में उनकी जगह नहीं बनती। रैना को न्यूजीलैंड के खिलाफ एकदिवसीय सीरीज के लिए टीम में वापस बुलाया गया था लेकिन फिट नहीं होने के कारण वो टीम में वापसी नहीं कर सके। अब देखना है कि क्या इंग्लैंड के खिलाफ तीन मैचों की एकदिवसीय सीरीज में चयनकर्ता सीनियर खिलाड़ियों को मौका देते हैं या नहीं?